Amarnath Yatra 2025 Registration: अमरनाथ यात्रा रजिस्ट्रेशन शुरू, 3 जुलाई से 9 अगस्त तक तीर्थयात्री करेंगे शिवलिंगम के दर्शन

Amarnath Yatra 2025 Registration: अमरनाथ यात्रा रजिस्ट्रेशन शुरू, 3 जुलाई से 9 अगस्त तक तीर्थयात्री करेंगे शिवलिंगम के दर्शन

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, April 15, 2025

Updated On: Tuesday, April 15, 2025

अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू - 3 जुलाई से 9 अगस्त तक दर्शन
अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू - 3 जुलाई से 9 अगस्त तक दर्शन

Amarnath Yatra 2025 Registration: आगामी अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 15 अप्रैल से शुरू हो गया है. . इस वर्ष यह यात्रा 3 जुलाई से दोनों मार्गों - अनंतनाग जिले में पहलगाम ट्रैक और गंदरबल जिले में बालटाल से एक साथ शुरू होने वाली है. यात्रा का समापन 9 अगस्त को रक्षा बंधन के अवसर पर होगा.

Authored By: स्मिता

Updated On: Tuesday, April 15, 2025

Amarnath Yatra 2025 Registration: आगामी अमरनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण 15 अप्रैल से शुरू हो गया है. पंजीकरण के लिए लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं. यात्रा के लिए पंजीकरण कराने वाले श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच की जा रही है.यात्रा के लिए पंजीकरण कराने वाले श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच से गुजरना पड़ता है। श्रद्धालु काफी उत्साहित हैं. इस वर्ष यह यात्रा 3 जुलाई से दोनों मार्गों – अनंतनाग जिले में पहलगाम ट्रैक और गंदरबल जिले में बालटाल से एक साथ शुरू होने वाली है. यात्रा का समापन 9 अगस्त को रक्षा बंधन के अवसर पर होगा. यात्रा की तिथियों की घोषणा जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 5 मार्च को राजभवन में श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) की 48वीं बोर्ड बैठक के दौरान की थी.

जुलाई-अगस्त अमरनाथ तीर्थयात्रा के लिए सबसे बढ़िया समय (Amarnath Yatra Timing)

आम तौर पर अमरनाथ यात्रा पूरा करने में 3-5 दिन लगते हैं. यह तीर्थयात्रियों पर निर्भर करता है. यहां दो मार्गों से पहुंचा जा सकता है, लगभग 32 किलोमीटर लंबा पहलगाम मार्ग या लगभग 14 किलोमीटर लंबा बालटाल मार्ग. इस वर्ष अनंतनाग जिले के पहलगाम ट्रैक और गंदरबल जिले के बालटाल ट्रैक से यात्रा एक साथ शुरू होने वाली है. जुलाई-अगस्त की अवधि अमरनाथ तीर्थयात्रा के लिए सबसे बढ़िया समय है. वार्षिक तीर्थयात्रा की शुरुआत प्रथम पूजन से होती है. तीर्थयात्रा की समय सीमा बर्फ के लिंगम के निर्माण पर निर्भर करती है.

कुछ महीनों के लिए दिखाई देता है बर्फ का लिंगम (Ice Shivling)

यह गुफा हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए एक पवित्र स्थान है. गुफा के अंदर शिवलिंग बर्फ के रूप में मौजूद हैं. दो छोटे बर्फ के स्तंभ माता पार्वती और गणेश जी का प्रतिनिधित्व करते हैं. अमरनाथ को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक नहीं माना जाता है, क्योंकि बर्फ के शिवलिंग स्थायी नहीं हैं. ज्योतिर्लिंग के लिए स्थाई और प्राकृतिक रूप से निर्मित लिंगम की आवश्यकता होती है. अमरनाथ में शिवलिंग एक प्राकृतिक रूप से निर्मित बर्फ का लिंगम है, जो हर साल केवल कुछ महीनों के लिए दिखाई देता है. जब बर्फ पिघलती है तो यह गायब हो जाता है.

अमरनाथ का आध्यात्मिक महत्व (Amarnath Spiritual Significance)

ज्योतिर्लिंग नहीं होने के बावजूद अमरनाथ हिंदुओं के लिए बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है. माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान शिव ने पार्वती को अमरता का रहस्य बताया था. अमरनाथ गुफा को एक पवित्र स्थान माना जाता है, जहां शिव और पार्वती निवास करते हैं.

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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