भगवान कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई? साजिश या श्राप… असली रहस्य क्या था?

Authored By: Nishant Singh

Published On: Thursday, November 20, 2025

Last Updated On: Thursday, November 20, 2025

Lord Krishna: भगवान कृष्ण की मृत्यु के रहस्य पर सवाल—क्या यह साजिश, श्राप या नियति का परिणाम था? पौराणिक कथाओं में छिपी असली सच्चाई जानें.
Lord Krishna: भगवान कृष्ण की मृत्यु के रहस्य पर सवाल—क्या यह साजिश, श्राप या नियति का परिणाम था? पौराणिक कथाओं में छिपी असली सच्चाई जानें.

भगवान श्रीकृष्ण का जीवन जितना दिव्य और प्रेरणादायक था, उनकी मृत्यु उतनी ही रहस्यमयी मानी जाती है. कंस-वध, माखन चोर, गोवर्धन कृपा, और महाभारत में धर्मयुद्ध के मार्गदर्शक के रूप में उनके चरित्र को पूरी दुनिया जानती है. परंतु उनके जीवन का अंतिम अध्याय आज भी लोगों के मन में प्रश्न छोड़ देता है कि क्या कृष्ण की मृत्यु संयोग थी, श्राप का परिणाम या यह स्वयं उनकी इच्छा मृत्यु थी?

Authored By: Nishant Singh

Last Updated On: Thursday, November 20, 2025

Lord Krishna: हम सब श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, रास, कंस वध और महाभारत के युद्ध तक की उनकी भूमिका से परिचित हैं. लेकिन एक सवाल आज भी रहस्य बना हुआ है- आखिर भगवान कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई? क्या यह किसी साजिश का हिस्सा थी? क्या किसी ने कृष्ण की हत्या की या यह किसी श्राप का परिणाम था? या फिर स्वयं कृष्ण ने देह त्यागने का निर्णय लिया?

महाभारत के बाद की स्थिति: शुरुआत हुई अंत की

महाभारत युद्ध के 18 दिनों की विनाश लीला के बाद जब पांडवों और श्रीकृष्ण ने धृतराष्ट्र और गांधारी से मिलने गए, तो वहां का माहौल शोक और क्रोध से भरा था. दुर्योधन का शव और कौरव वंश का नाश देखकर गांधारी के मन में पीड़ा और रोष भर गया. वह कृष्ण को इस विनाश का कारण मानती थीं, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि यदि कृष्ण चाहते तो यह युद्ध रोक सकते थे.

इसी भावनात्मक उथल-पुथल में गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया-“जैसे मेरा वंश नष्ट हुआ है, वैसे ही 36 वर्ष बाद तुम्हारा यदुवंश भी नष्ट हो जाएगा.” कहते हैं, समय पूरा होते ही यह श्राप सत्य में बदलने लगा.

सांब का श्राप: द्वारका के विनाश का पहला संकेत

कुछ वर्ष बाद द्वारका में ऋषियों का आगमन हुआ. उसी दौरान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने मज़ाक में स्त्री वेश धारण कर गर्भवती होने का नाटक किया. ऋषियों की परीक्षा लेते हुए उसने पूछा- “मेरे गर्भ में क्या है?”

यह अपमान देखकर ऋषि क्रोधित हुए और बोले-“यह तुम्हारे गर्भ से लोहे का दंड जन्म लेगा, जो तुम्हारे कुल को नष्ट कर देगा.”
भयभीत होकर लोहे के उस दंड को पीसकर समुद्र में बहा दिया गया, पर विधि को जो स्वीकार्य था, वह वापस लौट आया और वही दंड आगे जाकर यदुवंश के विनाश का हथियार बना.

पाप, शक्ति और पतन: यदुवंश का काला समय

श्राप के बाद द्वारका में बुराई का प्रभाव बढ़ने लगा. धर्म, संयम, सम्मान- सब धीरे-धीरे गायब होने लगे. यहां तक कि सुदर्शन चक्र और बलराम का हल तक अदृश्य हो गया. यह संकेत था कि अब दिव्य शक्तियां मनुष्यों से विदा ले रही थीं.

कृष्ण ने समझा कि समय आ गया है, इसलिए उन्होंने पूरे यादव समाज को प्रभास क्षेत्र में तीर्थ स्नान और प्रायश्चित के लिए भेजा. लेकिन वहां स्नान और पूजा की जगह नशा, विवाद और हिंसा ने पकड़ ली.

एक मामूली बहस खूनी संघर्ष में बदल गई और यादव आपस में ही युद्ध करने लगे. अंत में वही लोहे का चूर्ण ज़मीन पर उगकर हथियार बना और उसी से यादवों ने एक-दूसरे का संहार कर दिया. यह दृश्य ठीक वैसा ही था जैसा गांधारी के श्राप में कहा गया था.

कृष्ण की मृत्यु: शिकारी या पूर्वजन्म का प्रतिशोध?

सब कुछ नष्ट होने के बाद श्रीकृष्ण जंगल में एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठे. तभी एक शिकारी जरा ने उन्हें हिरण समझकर तीर चला दिया.
जब वह करीब पहुंचा तो उसे पता चला कि उसने भगवान कृष्ण को घायल कर दिया है. वह घबरा गया, पर कृष्ण मुस्कुराए और बोले-
“चिंता मत करो, यह वही फल है जो मुझे त्रेतायुग में राम रूप में करना पड़ा था जब मैंने बाली को पेड़ के पीछे से मारा था. तुम वही बाली हो, और यह कर्म का न्याय है.”

  • कुछ क्षणों बाद कृष्ण योग मुद्रा में बैठे-बैठे देह त्यागकर परमधाम में विलीन हो गए.

निष्कर्ष: यह मृत्यु थी या लीलांत?

भगवान कृष्ण की मृत्यु एक साधारण मृत्यु नहीं थी. न तो वह हत्या थी, न संयोग- यह था समय, कर्म और श्रापों का एक संगम. कई लोग इसे लीलांत कहते हैं, क्योंकि कृष्ण का आना और जाना दोनों ही मानव मात्र के लिए संदेश थे. कहते हैं, कृष्ण के देह त्याग के साथ ही कलियुग की शुरुआत हुई.

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निशांत कुमार सिंह एक पैसनेट कंटेंट राइटर और डिजिटल मार्केटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता और जनसंचार का गहरा अनुभव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए आकर्षक आर्टिकल लिखने और कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने में माहिर, निशांत हर लेख में क्रिएटिविटीऔर स्ट्रेटेजी लाते हैं। उनकी विशेषज्ञता SEO-फ्रेंडली और प्रभावशाली कंटेंट बनाने में है, जो दर्शकों से जुड़ता है।
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