Jyeshtha Month 2025 : आत्म चिन्तन का महीना है ज्येष्ठ!

Jyeshtha Month 2025 : आत्म चिन्तन का महीना है ज्येष्ठ!

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, April 25, 2025

Last Updated On: Friday, April 25, 2025

Jyeshtha Month 2025 के दौरान गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी और वट सावित्री व्रत जैसे प्रमुख व्रत-त्योहारों का महत्व और अनुष्ठान!
Jyeshtha Month 2025 के दौरान गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी और वट सावित्री व्रत जैसे प्रमुख व्रत-त्योहारों का महत्व और अनुष्ठान!

Jyeshtha Month 2025 : हिंदी कैलेंडर का तीसरा महीना है ज्येष्ठ माह. यह महीना आध्यात्मिक कार्यों के लिए विशेष है. इसलिए इस माह में ध्यान, योग और आत्म-चिंतन भी किया जा सकता है.

Authored By: स्मिता

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Jyeshtha Month 2025 : ज्येष्ठ माह हिंदी कैलेंडर का तीसरा महीना है. हर महीने की अपनी महत्ता होती है. बारह महीनों में मौसम में काफी बदलाव देखने को मिलते हैं. ये सभी महीने जीवन के उतार-चढ़ाव में भी अहम भूमिका निभाते हैं. ज्येष्ठ माह को सबसे गर्म महीनों में से एक माना जाता है. दां-पुण्य, गंगा में स्नान और गंगा की पूजा का बहुत महत्व है. इस महीने में गंगा दशहरा, ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी और निर्जला एकादशी व्रत-त्योहार प्रमुख हैं. गंगा नदी का दूसरा नाम ज्येष्ठ भी है. गुणों के आधार पर गंगा को सभी नदियों में सर्वोच्च स्थान दिया गया है. इसे जेठ महीना (Jyeshtha Month 2025) भी कहा जाता है.

ज्येष्ठ माह की महत्ता (Jyeshtha Month Significance)

ज्येष्ठ को कुछ खास अनुष्ठानों और समारोहों के लिए एक शुभ महीना माना जाता है. खास तौर पर भगवान विष्णु और भगवान शिव से जुड़े अनुष्ठान इस महीने में खूब किए जाते हैं. मान्यता है कि ज्येष्ठ का महीना आध्यात्मिक कार्यों के लिए विशेष है. इसलिए इस माह में ध्यान, योग और आत्म-चिंतन भी किया जा सकता है. इस माह में सूर्य की गर्मी से बचने वाली वस्तुओं का दान करना उत्तम रहता है. ऐसी वस्तुओं में छाता, पंखा, जल आदि शामिल हैं.

प्रमुख व्रत और त्योहार (Jyeshtha Month 2025 Vrat)

ज्येष्ठ माह में गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी(Nirjala Ekadashi 2025), वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2025), ज्येष्ठ पूर्णिमा, योगिनी एकादशी जैसे व्रत-उपवास किए जाते हैं. ये त्योहार हमारे जीवन में नई चेतना और विकास लाते हैं. इस महीने में तीर्थ यात्रा पर जाना, नदियों में स्नान करना, लोगों को ठंडा जल पिलाना आदि का बहुत महत्व होता है. लोगों के पीने के लिए जगह-जगह मिट्टी के घड़े में पानी भरकर रखा जाता है. इस महीने में मौसम इतना कठोर होता है कि न केवल मनुष्य बल्कि पशु-पक्षी भी अत्यधिक गर्मी से परेशान हो जाते हैं. इस कारण पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था की जाती है, ताकि वे गर्मी को सहन कर सकें. इस दौरान लोग मीठा जल भी बांटते हैं.

गंगा दशहरा (Ganga Dussehra)

गंगा दशहरा पवित्र गंगा नदी के पृथ्वी पर आगमन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इस त्योहार के दौरान गंगा पूजन और व्रत रखने का बहुत महत्व होता है. इसके साथ ही गंगा नदी में स्नान करना भी शुभ माना जाता है. साथ ही इस दिन जप-तप और दान का भी विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं.

गंगा दशहरा की महत्ता (Ganga Dussehra Significance)

भारत में गंगा नदी को पवित्र नदी माना जाता है। मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी कर्मों में गंगा का महत्व सभी को पता है. ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं, इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2025) 5 जून 2025 को मनाया जाएगा।

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025)

ज्येष्ठ माह का एक और महत्वपूर्ण त्योहार निर्जला एकादशी है. यह त्योहार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. निर्जला एकादशी के दिन लोगों और राहगीरों को मीठा जल पिलाया जाता है, जिसे ‘छबील’ भी कहा जाता ह.। इस एकादशी पर तीर्थ स्थलों पर स्नान करना भी शुभ माना जाता है.

वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2025)

ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री व्रत के रूप में मनाया जाता है. यह व्रत सौभाग्य को बढ़ाने के लिए किया जाता है. हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ का बहुत महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस पेड़ पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का वास होता है. इस पेड़ के सामने सावित्री और सत्यवान की कथा पढ़ी जाती है और पूजा, व्रत और कथा के बाद व्रत पूरा होता है.

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अस्वीकरण (Disclaimer) : इस लेख में वर्णित धार्मिक जानकारी, मान्यताएँ एवं विवरण प्राचीन शास्त्रों, पुराणों, लोककथाओं एवं जनश्रुतियों पर आधारित हैं. इनका उद्देश्य केवल जनसामान्य को सांस्कृतिक एवं धार्मिक परंपराओं से अवगत कराना है. हमारी वेबसाइट इन विवरणों की सत्यता या वैज्ञानिक प्रमाण की पुष्टि नहीं करती. पाठकों को सुझाव दिया जाता है कि वे किसी भी धार्मिक विश्वास या कार्य को अपनाने से पूर्व स्वतंत्र रूप से विचार करें अथवा विशेषज्ञ परामर्श प्राप्त करें.

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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