Hartalika Teej 2024: कब है हरतालिका तीज? जानें कथा और अनुष्ठान

Hartalika Teej 2024: कब है हरतालिका तीज? जानें कथा और अनुष्ठान

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, August 23, 2024

Last Updated On: Friday, August 23, 2024

Hartalika Teej 2024
Hartalika Teej 2024

हरतालिका तीज 2024 (Hartalika Teej 2024) एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें महिलाएं पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए व्रत और उपवास रखती हैं। भोले शंकर और देवी पार्वती की पूजा उपासना करती हैं। इस वर्ष देश भर में 6 सितंबर को हरितालिका तीज मनाई जा रही है।

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Friday, August 23, 2024

शिव-पार्वती सर्वश्रेष्ठ जीवनसाथी हैं। इसलिए हर स्त्री और पुरुष की कामना उनकी तरह बनने की होती है। हर स्त्री चाहती है कि भोलेनाथ की तरह उन्हें पति मिले, जिन्होंने मां पार्वती के लिए अर्धनारीश्वर का रूप लिया। सुखद वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु की कामना के लिए हिंदू स्त्रियां हरतालिका तीज व्रत (Hartalika Teej 2024) करती हैं। शिव जी की तरह जीवनसाथी पाने के लिए अविवाहित लड़कियां भी यह व्रत रखती हैं।

हरतालिका तीज की पौराणिक गाथा (Hartalika Teej Mythological story)

हरतालिका का अर्थ है -एक स्त्री मित्र द्वारा हरण (हरित)। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने शैलपुत्री के रूप में अवतार लिया था। वे हिमालय की पुत्री थीं। देवर्षि नारदजी के सुझाव पर उनके पिता ने भगवान विष्णु से उनका विवाह करने के बारे में विचार किया था। पार्वतीजी अपने पिता के फैसले से सहमत नहीं थीं। इसलिए उनकी सहेली पार्वती को एक घने जंगल में ले गईं, ताकि उनके पिता उनकी इच्छा के विरुद्ध उनका विवाह न करें।

पार्वतीजी का हरण

ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देवी पार्वती ने अपने बालों और पत्तियों से एक शिवलिंग बनाया। उनके समर्पण से प्रभावित होकर भगवान शिव ने पार्वती से विवाह करने का वचन दिया। अंत में वह भगवान शिव के साथ मिल गईं। अपने पिता के आशीर्वाद से उनका विवाह शिवजी के साथ हो गया। तब से लेकर आज तक इस दिन को हरितालिका तीज के रूप में मनाया जाता है। देवी पार्वती को भगवान शिव से विवाह कराने के लिए उनकी सखी को पार्वती जी का हरण करना पड़ा था।

निर्जला व्रत रखती हैं स्त्रियां (Nirjala Vrat)

विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इसमें वे पूरे दिन न तो भोजन करती हैं और न ही पानी पीती हैं। स्वास्थ्य समस्या होने पर पानी पिया जा सकता है और फल भी ग्रहण किये जा सकते हैं। पूरे दिन उपवास करके महिलाएं अपने पति, बच्चों और खुद के लिए आशीर्वाद मांगती हैं। भक्तजन शिव और पार्वती से वैवाहिक सुख के लिए प्रार्थना करते हैं। हरियाली तीज के उत्सव के एक महीने बाद हरतालिका तीज मनाई जाती है।

हरतालिका तीज के दौरान किये जाने वाले अनुष्ठान (Hartalika Teej Rituals)

  • महिलाएं बिना भोजन या पानी के उपवास रखती हैं। वे दिन भर भगवान शिव और देवी पार्वती से प्रार्थना करती रहती हैं।
  • वे बिंदी, कुमकुम, मेहंदी, रंग-बिरंगी चूड़ियों और अन्य श्रृंगार के सामन से खुद को सजाती हैं।
  • शाम को कई सारी स्त्रियां मिलकर मिट्टी से शिवलिंग तैयार करती हैं। इन पर फूल, बिल्वपत्र और धतूरा अर्पित करती हैं। इस शिवलिंग को इसके ऊपर लटके हुए झूले से ढक दिया जाता है। झूले को फूल से तैयार किया जाता है।
  • वे भगवान शिव की पूजा करती हैं और पूरी रात मंत्रों का जाप करती हैं। ॐ शिवाये नम:। ॐ उमाये नम:। ॐ पार्वत्यै नम:। ॐ जगद्धात्रयै नम:। ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नम:। ॐ शांतिरूपिण्यै नम: मन्त्रों का जाप किया जाता है।
  •  पूजा सुबह व्रत कथा के वर्णन के साथ समाप्त होती है, जिसके बाद देवी पार्वती और भगवान शिव की सुंदर शोभायात्रा निकाली जाती है। सभी महिलाएं बिल्व पत्र खाकर अपना व्रत तोड़ती हैं। फल ग्रहण कर उपवास तोड़ा जाता है।
About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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