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Lord Shree Krishna: कर्मयोगी श्री कृष्ण ने फल की चिंता किए बिना कर्म करने का दिया संदेश.
Lord Shree Krishna: कर्मयोगी श्री कृष्ण ने फल की चिंता किए बिना कर्म करने का दिया संदेश.
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, April 30, 2025
Last Updated On: Wednesday, April 30, 2025
Lord Shree Krishna : मान्यता है कि चार चक्रीय युगों में से द्वापर युग के दौरान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. वर्तमान युग जिसे कलियुग के रूप में जाना जाता है, भगवान कृष्ण की मृत्यु के बाद शुरू हुआ. कर्मयोगी श्री कृष्ण ने अपने भक्तों को फल की चिंता किए बिना कर्म करने का संदेश दिया.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Wednesday, April 30, 2025
Lord Shree Krishna: भगवान कृष्ण सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक माने जाते हैं. उन्हें भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है. कुछ स्थान पर भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है. श्रीकृष्ण का जन्म पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, चार चक्रीय युगों में से द्वापर युग के दौरान हुआ था. धर्म शास्त्रों के विवरण और ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर श्रीकृष्ण का जन्म 3228 ईसा पूर्व है. श्रीकृष्ण की मृत्यु यानी उनके अपने शाश्वत निवास वैकुंठ में लौटना 3102 ईसा पूर्व माना जाता है. वर्तमान युग जिसे कलियुग के रूप में जाना जाता है, भगवान कृष्ण (Lord Shree Krishna) की मृत्यु के बाद शुरू हुआ.
भगवान श्रीकृष्ण की उत्पत्ति (Shree Krishna Origin)
भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा नगर में राजकुमारी देवकी और उनके पति वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया. श्रीकृष्ण का पालन-पोषण उनके पालक माता-पिता यशोदा और नंद ने मथुरा जिले के एक छोटे से गांव गोकुल में किया था. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हिंदू कैलेंडर के कृष्ण पक्ष के दौरान अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि के दौरान हुआ था. सभी हिंदू इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी या जयंती के रूप में मनाते हैं.
श्रीकृष्ण के अवतार की आकाशवाणी (Shree Krishna Avatar Akashvani)
कथा है कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से पहले ही उनके अवतार की भविष्यवाणी की गई थी. जब कंस अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव से करने के बाद उसे रथ पर ले जा रहा था, तो आकाशवाणी हुई कि “देवकी और वासुदेव का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा”. इस भविष्यवाणी से भयभीत होकर कंस ने अपनी नवविवाहित बहन को उसके पति के साथ कैद कर लिया और उनके नवजात पुत्रों को एक-एक करके मारना शुरू कर दिया.
निश्चित कार्यों को पूरा करने के लिए अवतार (Shree Krishna Avatar)
पृथ्वी पर भगवान श्रीविष्णु का प्रत्येक अवतार किसी उद्देश्य और कुछ निश्चित कार्यों को पूरा करने के लिए होता है. भगवान श्रीकृष्ण राजा कंस का वध करने और ब्रज के लोगों को अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए पृथ्वी पर आए थे. अपने बचपन में भगवान श्रीकृष्ण ने कई दुष्ट और मायावी राक्षसों का वध किया और अलग-अलग सामाजिक कार्यों के माध्यम से ब्रज के लोगों को प्रसन्न किया. बाद में श्री कृष्ण महाभारत युद्ध में अर्जुन के सारथी बने और महाभारत युद्ध के परिणामों पर गहरा प्रभाव डाला. श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश भी उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान दिया था.
श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम (Shree Krishna Radha Eternal Love)
माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बचपन की प्रेमिका राधा से कभी विवाह नहीं किया, लेकिन अधिकांश चित्रों में उन्हें राधा के साथ चित्रित किया गया है. रुक्मिणी श्रीकृष्ण की पत्नी थीं. ब्रह्म वैवर्त पुराण और गर्ग संहिता के अनुसार, भगवान कृष्ण और राधा का विवाह भगवान ब्रह्मा द्वारा गुप्त रूप से तय किया गया था. यह विवाह समारोह ब्रज क्षेत्र स्थित भांडीरवन नामक स्थान पर किया गया था.
द्वारकाधीश के रूप में प्रसिद्ध ( Dwarkadhish Shree Krishna)
भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ और उनका लालन-पालन गोकुल में हुआ. उन्होंने अपने बचपन के दिन राधा और अन्य गोपियों के साथ वृंदावन में बिताए, जो एक प्राचीन वन स्थल है. इसके बाद, श्री कृष्ण ने द्वारिका नामक शहर पर शासन किया और सभी लोकों में द्वारकाधीश के रूप में प्रसिद्ध हुए. कृष्ण की एक बहन भी थीं, जिनका नाम सुभद्रा था. श्रीकृष्ण की 16,108 रानियां थीं, जिनमें से आठ मुख्य रानियां अष्टभार्या कहलाती थीं. उनकी आठ मुख्य रानियों के नाम रुक्मणी, जामवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रवृंदा, नग्नजीति, रोहिणी और लक्ष्मणा हैं.
श्रीकृष्ण की प्रतिमा (Shree Krishna Idol)
श्री कृष्ण को आमतौर पर नीले वर्ण के साथ दिखाया जाता है. उन्हें अक्सर मोर पंख मुकुट, पीली रेशमी धोती पहने और बांसुरी बजाते हुए दिखाया जाता है. त्रिभंगी मुद्रा भगवान कृष्ण की सबसे लोकप्रिय मुद्रा है, जिसमें वे एक पैर को दूसरे के सामने क्रॉस करके खड़े होते हैं और आराम की मुद्रा में अपने होठों से बांसुरी लगाए रहते हैं.
कई चित्रों में उन्हें एक हाथ में लकुटी थामे भी दिखाया गया है, जिसका उपयोग गाय चराने के लिए किया जाता है. भगवान कृष्ण को चतुर्भुज रूप में भी दिखाया गया है, जिसमें वे दो हाथों से बांसुरी बजाते हैं और अन्य दो हाथों में शंख और कमल धारण करते हैं.
भगवान कृष्ण का एक और रूप लड्डू गोपाल के नाम से लोकप्रिय है, जिसकी पूजा ज़्यादातर हिंदू घरों में की जाती है. लड्डू गोपाल को एक छोटे शिशु के रूप में दर्शाया जाता है, जो दोनों हाथों में लड्डू पकड़े हुए घुटनों पर बैठा होता है.
श्री कृष्ण के मंत्र (Shree Krishna Mantra)
- सामान्य मंत्र –
- क्रीं कृष्णाय नमः
- बीज मंत्र –
- क्लीं कृष्णाय नमः
- द्वादशाक्षरी मंत्र –
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
- श्री कृष्ण गायत्री मंत्र –
- ॐ देवकीनंदनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्॥
भगवान कृष्ण से संबंधित पर्व-त्योहार (Shri Krishna Parv Tyohar)
- कृष्णजन्माष्टमी
- होली
- गोपाष्टमी
- शरद पूर्णिमा
प्रमुख श्रीकृष्ण मंदिर
- श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, मथुरा, उत्तर प्रदेश
- श्री केशव देव जी मंदिर, मथुरा, उत्तर प्रदेश
- श्री बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन, उत्तर प्रदेश
- श्री राधावल्लभ लाल जी मंदिर, , वृंदावन, उत्तर प्रदेश
- श्री राधा मदन मोहन जी मंदिर, , वृंदावन, उत्तर प्रदेश
- श्री कृष्ण मठ मंदिर, उडुपी, कर्नाटक
- श्री द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात
- श्री सांवरिया सेठ मंदिर, चित्तौड़गढ़, राजस्थान
- जगन्नाथ पुरी, उड़ीसा
- श्री भालका तीर्थ मंदिर, प्रभास क्षेत्र, गुजरात
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