Prayagraj Mahakumbh : प्रयागराज कुंभ में एक मंच पर आए चारों शंकराचार्य और हिंदू धर्म प्रतिनिधि

Prayagraj Mahakumbh : प्रयागराज कुंभ में एक मंच पर आए चारों शंकराचार्य और हिंदू धर्म प्रतिनिधि

Prayagraj Mahakumbh: All four Shankaracharyas and Hindu representatives on one stage
Prayagraj Mahakumbh: All four Shankaracharyas and Hindu representatives on one stage

प्रयागराज में महाकुंभ मेले के पावन अवसर पर वर्ष 1966 में विश्व हिंदू परिषद की ओर से प्रथम विश्व हिंदू सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस अवसर पर चारों शंकराचार्यों सहित कई संत और धर्माचार्य एक मंच पर उपस्थित हुए थे। इस सम्मेलन में अफ्रीका, श्रीलंका, मारीशस, फीजी, त्रिनिनाद, अमेरिका, थाईलैंड आदि देशों से बड़ी संख्या में हिंदू प्रतिनिधि सम्मिलित (Prayagraj Mahakumbh) हुए थे।

प्रयागराज महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh) के सेक्टर 18 में विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) का शिविर लगा हुआ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक रहे माधव राव सदाशिवराव गोलवलकर (श्रीगुरूजी) के नाम से भव्य प्रवेश द्वार बनाया गया है। द्वार पर श्रीगुरूजी का बड़ा चित्र लगाया गया है। मुख्य प्रवेश द्वार पर अंदर जाने पर राम मंदिर की प्रतिकृति के दर्शन होते हैं। राम मंदिर की प्रतिकृति के पीछे संत रामानुजाचार्य की विशालकाय घूमती हुए प्रतिमा स्थापित की गयी है। यह प्रतिमा श्रद्धालुओं का ध्यान बरबस ही खींच रही है। बाएं हाथ पर भव्य महर्षि सांदीपनि सभागार बनाया गया है। विहिप के सभी बड़े कार्यक्रम इसी सभागार में संपन्न हो रहे हैं। 1966 में महाकुंभ मेले के अवसर पर चारों शंकराचार्यों सहित कई संत और धर्माचार्य एक मंच पर उपस्थित हुए थे।

अफ्रीका और अमेरिका से आए हिंदू धर्म प्रतिनिधि

विहिप के क्षेत्र संगठन मंत्री गजेन्द्र सिंह ने बताया कि विश्व हिंदू परिषद की स्थापना श्रीगुरूजी की ही प्रेरणा से 29 अगस्त 1964 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हुई थी। इसके बाद महाकुंभ मेले के पावन अवसर पर 1966 में प्रयाग में विश्व हिंदू परिषद की ओर से प्रथम विश्व हिंदू सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में श्रीगुरुजी के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप चारों शंकराचार्यों सहित विभिन्न पंथ व संप्रदायों के संत धर्माचार्य एक मंच पर आए थे। इस सम्मेलन में अफ्रीका, श्रीलंका, मारीशस, फीजी, त्रिनिनाद, अमेरिका, थाईलैंड आदि देशों से बड़ी संख्या में हिंदू प्रतिनिधि आए थे।

कौन हैं शंकराचार्य (Shankaracharya)

8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य एक भारतीय वैदिक विद्वान, दार्शनिक और अद्वैत वेदांत के आचार्य थे। ऐसा माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की : उत्तर में बद्रीकाश्रम ज्योतिर्पीठ, पश्चिम में द्वारका शारदापीठ, पूर्व में पुरी में गोवर्धन पीठ और कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में श्रृंगेरी शारदा पीठम। शंकराचार्य को हिंदू धर्म के सबसे प्रभावशाली दार्शनिकों में से एक माना जाता है। वे धर्म को उसके वर्तमान स्वरूप में परिभाषित करने और व्यवस्थित करने के लिए जिम्मेदार थे। उन्होंने अद्वैत वेदांत के विकास में भी योगदान दिया, जो हिंदू दर्शन का एक स्कूल है। यह अद्वैत और सभी वास्तविकता की एकता पर जोर देता है। आदि शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत के दर्शन का प्रचार करने और सनातन धर्म की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चार प्रमुख मठों – बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, श्रृंगेरी की स्थापना की। इन चारों मठों के प्रमुख शंकराचार्य कहलाते हैं।

विदेश में रहने वाले हिंदुओं की चिंताजनक स्थिति पर चर्चा 

प्रथम विश्व हिंदू सम्मेलन में विदेश में रहने वाले हिंदुओं की चिंताजनक स्थिति की चर्चा की गई थी। उस समय त्रिनिदाद-टोबैगो में 40 प्रतिशत हिंदू थे और हिंदुओं का दमन होता था। चर्च में शादी करनी पड़ती थी, वहां मंदिर नहीं थे। उस समय वहां के सांसद शम्भूनाथ कपिलदेव भारत आए। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से वे मिले, फिर श्रीगुरुजी से मिले। हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के संस्थापक दादा साहब आप्टे ने विदेश में रहने वाले हिंदुओं और उनकी समस्याओं और उनके हल के बारे में तीन लेख लिखे थे।

सुरक्षा व स्वच्छता का विशेष ध्यान (Security & Sanitation)  

विश्व हिंदू परिषद के शिविर में महाकुंभ के दौरान बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है। विहिप के बड़े पदाधिकारियों व पूज्य संतों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा चाक-चौबंद की गई है। किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षा की दृष्टि से ठोस बंदोबस्त किए गए हैं। परिसर में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। कई भाषाओं के स्वयंसेवक व्यवस्था में लगाए गए हैं। वहीं विहिप के शिविर में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। आधुनिक शौचालय बनाए गए हैं। सैकड़ों स्वच्छताकर्मी लगाए गए हैं।

सीता रसोई का संचालन (Sita Rasoi) 

विश्व हिंदू परिषद की ओर से सीता रसोई का संचालन किया जा रहा है। अभी सैकड़ों श्रद्धालु नि:शुल्क भोजन-प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। प्रतिदिन यह संख्या बढ़ रही है। संतों के भोजन-प्रसाद के लिए अलग से व्यवस्था है। इसके अलावा, झण्डेवाला मंदिर, नई दिल्ली की ओर से विहिप के शिविर के अंदर और बाहर चाय का स्टॉल लगाया गया है।

संतों के ठहरने के लिए लग्जरी टेंट सिटी (Luxury Tent City) 

विहिप के शिविर में 3000 संतों के ठहरने के लिए लग्जरी टेंट सिटी बनाई गई है। परिसर को फूल-पत्तियों से सजाया गया है। पार्किंग की भी उत्तम व्यवस्था है। रोशनी के लिए स्ट्रीट लाइट लगाई गई है। वहीं सभी नगरों में चिकित्सा कैंप भी खोले गए हैं।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ) 

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About the Author: स्मिता
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