Lifestyle News
Mahavir Jayanti 2025: अहिंसा, सत्य और आत्म अनुशासन है आध्यात्मिक ज्ञान पाने का मार्ग
Mahavir Jayanti 2025: अहिंसा, सत्य और आत्म अनुशासन है आध्यात्मिक ज्ञान पाने का मार्ग
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, April 9, 2025
Last Updated On: Wednesday, April 9, 2025
Mahavir Jayanti 2025: 10 अप्रैल 2025 को महावीर जयंती मनाई जाएगी. जैन ग्रंथों के अनुसार, उनका जन्म चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की 13 तारीख को हुआ था. भगवान महावीर की आध्यात्मिकता अहिंसा, सत्य और आत्म अनुशासन पर जोर देती थी.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Wednesday, April 9, 2025
Mahavir Jayanti 2025 : भगवान महावीर ने छठी शताब्दी ईसा पूर्व में जैन दर्शन का प्रसार किया था. देश भर में 10 अप्रैल 2025 को महावीर जयंती मनाई जा रही है. धार्मिक लिपियों और जैन ग्रंथों के अनुसार, भगवान महावीर का जन्म चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की 13 तारीख को बिहार के कुंडलग्राम स्थान पर हुआ था. यह स्थान पटना से कुछ ही किलोमीटर दूर है. महावीर को वर्धमान के नाम से भी जाना जाता है. वे जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे. वे मानते थे कि अहिंसा, सत्य और आत्म अनुशासन के बल पर अध्यात्म के सर्वोच्च शिखर (Mahavir Jayanti 2025) पर पहुंचा जा सकता है.
ध्यान और आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से ज्ञान की प्राप्ति (Self- Enlightenment)
भगवान महावीर के जन्म की तारीख के बारे में विद्वान के बीच मतभेद है. इतिहासकार आमतौर पर मानते हैं कि वे 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में अवतरित हुए थे. वे 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी थे. पारंपरिक कथाओं के अनुसार, महावीर का जन्म 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व की शुरुआत में प्राचीन भारत के एक शाही क्षत्रिय जैन परिवार में हुआ था. उनकी माता का नाम त्रिशला और पिता का नाम सिद्धार्थ था. जैन दर्शन के अनुसार, सभी तीर्थंकरों का जन्म मनुष्य के रूप में हुआ था, लेकिन उन्होंने ध्यान और आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से पूर्णता या ज्ञान की स्थिति प्राप्त की है.
भगवान महावीर की आध्यात्मिकता (Bhagwan Mahavir Spirituality)
वर्धमान महावीर ने जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया. महावीर का जैन दर्शन अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), अपरिग्रह (असंलग्नता), ब्रह्मचर्य (पवित्रता), अनेकांतवाद (गैर-निरपेक्षता) और उनके कर्म सिद्धांत पर आधारित था. महावीर जैन किसी भगवान में विश्वास नहीं करते थे, लेकिन आत्म अनुशासन, सत्य और अहिंसा के बल पर वे अध्यात्म के चरम शिखर को प्राप्त कर लिया. भगवान महावीर की आध्यात्मिकता अहिंसा, सत्य और अनासक्ति पर जोर देती थी.
शाश्वत आनंद का मार्ग (Path of Enlightenment)
महावीर ने जैन भिक्षुओं, भिक्षुणियों और आम लोगों के लिए धार्मिक जीवन के नियम भी स्थापित किए. उन्होंने सिखाया कि लोग अत्यधिक तपस्वी जीवन जीकर और सभी जीवित प्राणियों के प्रति अहिंसा का अभ्यास करके अपनी आत्मा को किसी भी प्रकार की अशुद्धि से बचा सकते हैं. बुरे कर्मों पर विजय पाने के लिए भगवान महावीर ने तीन महान सिद्धांत बताए. जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने का असली रास्ता सम्यक दर्शन (सही विश्वास), सम्यक ज्ञान (सही ज्ञान) और सम्यक चरित्र (सही आचरण) है. उनका मानना था कि सभी जीवित प्राणी समान हैं. उनमें शाश्वत आनंद की क्षमता है.
अहिंसा का व्रत (Ahinsa Vrat)
महावीर ने सिखाया कि प्रत्येक जीवित प्राणी में पवित्रता और गरिमा होती है, जिसका सम्मान किया जाना चाहिए. हर व्यक्ति अपनी पवित्रता और गरिमा का सम्मान पाने की अपेक्षा रख सकता है. अहिंसा जैन धर्म का पहला और सबसे महत्वपूर्ण व्रत है, जो कर्म, वाणी और विचार पर लागू होता है.
यह भी पढ़ें :- Kanpur Buddha Devi Mandir: यहां प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती हैं हरी सब्जियां