Male Forbidden Temples : ऐसे 5 मंदिर जहां वर्जित हैं पुरुष

Male Forbidden Temples : ऐसे 5 मंदिर जहां वर्जित हैं पुरुष

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, January 31, 2025

Updated On: Friday, January 31, 2025

Male Forbidden Temples, jahan purushon ka pravesh mana hai, vishesh sthalon ka zikr
Male Forbidden Temples, jahan purushon ka pravesh mana hai, vishesh sthalon ka zikr

भारत में कुछ ऐसे मंदिर ही नहीं हैं, जहां स्त्रियों का प्रवेश वर्जित है. कुछ ऐसे मंदिर भी हैं, जहां पुरुषों को मंदिर के अंदर जाने की मनाही है. ऐसे मंदिरों में पुरुष गर्भगृह तक नहीं जा सकते हैं. आइये जानते हैं ऐसे 5 मंदिर, जिन के भीतर जाने की पुरुषों को मनाही है.

Authored By: स्मिता

Updated On: Friday, January 31, 2025

Male Forbidden Temples: कुछ साल पहले जब सबरीमाला मंदिर में स्त्रियों के प्रवेश को रोका गया था, तब कई विरोध प्रदर्शन हुए थे। फेमिनिज्म विचार वाल लोगों ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की थी. पुरुष और स्त्री के मंदिर मन प्रवेश के समान अधिकार पर बहुत चर्चा हुई थी. कुछ लोग परंपरा के पक्ष में रहे, तो कुछ लोगों ने विरोध भी किया. ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत में मंदिर भेदभावपूर्ण नहीं हैं. वे केवल उन नियमों और परंपराओं का पालन करते हैं, जो अनादि काल से चली आ रही हैं. कई मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, तो भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं, जहां पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं है.

क्यों पुरुष किए जाते हैं वर्जित (Male Forbidden) 

कुछ मंदिरों के अंदरूनी हिस्से में जहां देवी की मूर्ति रखी जाती है, वहां पुरुषों, खास तौर पर विवाहित पुरुषों को जाने की अनुमति नहीं है. केवल महिलाएं ही वहां देवी की सीधे पूजा कर सकती हैं. ऐसा कहा जाता है कि संन्यासी केवल मंदिर के द्वार तक ही जा सकते हैं. विवाहित पुरुष मंदिर की परंपराओं और नियमों के अनुसार दूर से ही प्रार्थना कर सकते हैं.

असम का कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple, Assam)

भारत में सबसे प्रसिद्ध शक्ति पीठों में से एक कामाख्या मंदिर है। मान्यता है कि माता सती की यहां ‘योनि’ गिरी थी। कामाख्या मंदिर असम के गुवाहाटी में नीलाचल पहाड़ी के ऊपर स्थित है। यह मंदिर देवी कामाख्या और उनकी दिव्य स्त्री शक्ति के मासिक धर्म चक्र का जश्न मनाता है। हर साल अंबुबाची मेले के दौरान मंदिर तीन दिनों के लिए बंद रहता है और इस दौरान पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं होती है।

केरल का अट्टुकल भगवती मंदिर (Attukal Bhagavathy Temple, Kerala)

केरल के तिरुवनंतपुरम में अट्टुकल भगवती मंदिर अट्टुकल पोंगाला उत्सव के लिए प्रसिद्ध है. इस आयोजन के दौरान लाखों स्त्रियां मुख्य देवी भगवती को विशेष प्रसाद चढ़ाने के लिए एक साथ आती हैं. माता अपने भक्तों को आशीर्वाद, प्रचुरता और समृद्धि प्रदान करती हैं. त्योहार के दौरान पुरुषों को मंदिर परिसर के अंदर जाने की अनुमति नहीं होती है. इस पवित्र अनुष्ठान में महिलाओं की भागीदारी का जश्न मनाने वाली परंपरा का सम्मान करने के लिए ऐसा किया जाता है।

तमिलनाडु का कुमारी अम्मन मंदिर (Kumari Amman Temple, Tamil Nadu)

तमिलनाडु में कन्याकुमारी मंदिर देवी कन्याकुमारी के लिए है, जो देवी पार्वती का अवतार हैं। पुरुषों विशेष रूप से विवाहित पुरुषों को मंदिर के अंदरूनी हिस्से में जाने की अनुमति नहीं है. यहां देवी की मूर्ति रखी गई है. वहां देवी की सीधे स्त्रियां ही पूजा कर सकती हैं. ऐसा कहा जाता है कि संन्यासी केवल मंदिर के द्वार तक ही जा सकते हैं. विवाहित पुरुष मंदिर की परंपराओं और नियमों के अनुसार दूर से प्रार्थना कर सकते हैं।

राजस्थान का ब्रह्मा मंदिर (​Brahma Temple, Rajasthan) 

राजस्थान के पुष्कर में भगवान ब्रह्मा मंदिर में एक पौराणिक कथा के कारण विवाहित पुरुषों का प्रवेश वर्जित है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान ब्रह्मा के सम्मान में एक वार्षिक उत्सव मनाया जाता है. इस मंदिर का नियम एक कहानी से उपजा है, जिसमें देवी सरस्वती द्वारा एक अनुष्ठान में देरी किए जाने के बाद ब्रह्मा ने गायत्री से विवाह किया था. क्रोधित होकर मां सरस्वती ने मंदिर को श्राप दे दिया. जिसमें विवाहित पुरुषों को गर्भगृह में प्रवेश करने से मना कर दिया गया. माना जाता है कि पुरुषों के गर्भगृह में प्रवेश करने से उनके वैवाहिक जीवन में परेशानी आती है.

जोधपुर का संतोषी माता मंदिर (Santoshi Mata Temple Jodhpur)

जोधपुर शहर में संतोषी माता मंदिर है, जिसमें पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं है. यह देवी संतोषी को समर्पित है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे भक्तों के जीवन में संतोष लाती हैं. शुक्रवार को संतोषी माता का दिन माना जाता है. यह दिन विशेष होता है, जब महिलाएं शांति और खुशी की तलाश में यहां आती हैं. मान्यता है कि शुक्रवार को मंदिर की शक्ति बढ़ जाती है, जिससे दूर-दूर से महिलाएं पारिवारिक सद्भाव और खुशहाली के लिए प्रार्थना करने आती हैं. इस दौरान, पुरुषों को गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं होती है.

माता मंदिर (Mata Mandir, Bihar) 

इनके अलावा बिहार में भी माता मंदिर (Mata Mandir, Bihar) हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर में माता मंदिर में केवल “मासिक धर्म” के दौरान महिलाओं को प्रवेश की अनुमति है। मंदिर अपने नियमों का इतनी सख्ती से पालन करता है कि पुरुष पुजारी भी उस दौरान मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करते हैं. माना जाता है कि उस समय देवी मासिक धर्म में होती हैं. इसलिए मंदिर केवल महिलाओं के लिए है.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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