UCC: हलाला पर रोक, Live In में रहने वालों पर शिकंजा, शादी का रजिस्ट्रेशन ना कराया तो सरकारी लाभ से होंगे वंचित

UCC: हलाला पर रोक, Live In में रहने वालों पर शिकंजा, शादी का रजिस्ट्रेशन ना कराया तो सरकारी लाभ से होंगे वंचित

Authored By: JP Yadav

Published On: Sunday, January 26, 2025

Updated On: Tuesday, January 28, 2025

UCC: हलाला पर रोक, Live In में रहने वालों पर शिकंजा, शादी का रजिस्ट्रेशन ना कराया तो सरकारी लाभ से होंगे वंचित
UCC: हलाला पर रोक, Live In में रहने वालों पर शिकंजा, शादी का रजिस्ट्रेशन ना कराया तो सरकारी लाभ से होंगे वंचित

UCC: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform civil code) कानून लागू होते ही जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा. लिव इन में रहने वाले जोड़े रजिस्ट्रेशन रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे.

Authored By: JP Yadav

Updated On: Tuesday, January 28, 2025

UCC: पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform civil code) कानून सोमवार ( 27 जनवरी) से प्रभावी हो जाएगा. उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा, जहां यह कानून प्रभावी होगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद यह जानकारी दी है कि सोमवार से UCC लागू कर दिया जाएगा. UCC के लागू होते ही बहुत सारी चीजें बदल जाएंगी. कौन-कौन सी चीजें बदल जाएंगी? इसको लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा. इस स्टोरी में हम जानेंगे कि 27 जनवरी से UCC लागू होने के बाद उत्तराखंड में कौन-कौन सी चीजें बदल जाएंगी ?

शादी का रजिस्ट्रेशन होगा जरूरी

राज्य में प्रत्येक ग्राम सभा स्तर पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी. शहरों में तो यह सुविधा होगी ही. ऐसे में UCC लागू होने के बाद शादी का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा. ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही राज्य में अब विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी. यहां पर बता दें कि यह राष्ट्रीय स्तर पर भी नियम है कि शादी के लिए लड़की की उम्र 18 तो लड़के की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष अनिवार्य रूप से हो.

सबके लिए होगा तलाक का एक नियम/कानून

राज्य में रह रहे सभी जाति, धर्म और संप्रदाय पर तलाक का एक ही नियम/कानून लागू होगा. खास संप्रदाय के लोग तलाक के मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के जरिए करते हैं. इस पर अब रोक लगेगी. यानी तलाक अब हर किसी के लिए कानूनी स्तर पर ही होगा.

एक से अधिक शादी/पत्नी नहीं

राज्य में अब बहुविवाह पर रोक लगेगी. यह प्रत्येक धर्म और संप्रदाय पर लागू होगा. लड़कियों की शादी की उम्र चाहे वह किसी भी जाति-धर्म से हों, एक समान होगी. इसका मतलब यह है कि लड़की की शादी की उम्र 18 साल होगी.

बच्चा गोद ले सकेंगे सभी धर्म के लोग

UCC लागू होने के बाद राज्य में सभी धर्मों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार मिलेगा. इसके लिए शर्त यह है कि दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा.

हलाला और इद्दत पर रोक लगेगी

UCC लागू होने के बाद उत्तराखंड में उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर की हिस्सेदारी होगी. खास संप्रदाय में तलाक के बाद दूसरी करने से पहले होने वाली हलाला जैसी प्रथा पर भी रोक लग जाएगी. इसके साथ ही सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून प्रभावी होगा.

लिव इन में रहने वालों पर कसेगा शिकंजा

उत्तराखंड में अब यानी 27 जनवरी से लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराना जोड़ों के लिए अनिवार्य होगा. युवा जोड़े 18 से 21 साल के हैं तो उन्हें रजिस्ट्रेशन के दौरान अपने माता-पिता का सहमति पत्र भी देना होगा. इसे भी अनिवार्य कर दिया गया है. इसके साथ ही UCC लागू होने के बाद राज्य में लिव-इन रिलेशन से पैदा होने वाले बच्चे को भी शादीशुदा जोड़े के बच्चे की तरह ही सभी अधिकार हासिल होंगे.

किसे मिली छूट

आदिवासी वर्ग को UCC नियम-कानून से पू्र्ण रूप से बाहर रखा गया है. इसके अलावा ट्रांसजेंडर और धार्मिक मामलों जैसे पूजा-पद्धति व परंपराओं से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है. कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकेगा.

कहां होगा रजिस्ट्रेशन

नगर निगम, महानगर पालिका के अलावा ग्राम पंचायत, नगर पंचायत और नगर पालिका स्तर पर रजिस्ट्रेशन पर सुविधा होगी. अगर रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो 6 माह की सजा और अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना लगेगा. इसके अलावा पंजीकरण नहीं कराने की सूरत में लोगों को सरकारी सुविधा भी नहीं मिलेगी.

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About the Author: JP Yadav
जेपी यादव डेढ़ दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। वह प्रिंट और डिजिटल मीडिया, दोनों में समान रूप से पकड़ रखते हैं। अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान, लाइव टाइम्स, ज़ी न्यूज और भारत 24 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवाएं दी हैं। कई बाल कहानियां भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं. मनोरंजन, साहित्य और राजनीति से संबंधित मुद्दों पर कलम अधिक चलती है। टीवी और थिएटर के प्रति गहरी रुचि रखते हुए जेपी यादव ने दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक 'गागर में सागर' और 'जज्बा' में सहायक लेखक के तौर पर योगदान दिया है. इसके अलावा, उन्होंने शॉर्ट फिल्म 'चिराग' में अभिनय भी किया है।
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