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UCC: लिव इन में रहने वालों के क्या हैं अधिकार? उत्तराखंड सरकार ने गलतफहमी की दूर; आप भी जान लें फुल डिटेल्स
UCC: लिव इन में रहने वालों के क्या हैं अधिकार? उत्तराखंड सरकार ने गलतफहमी की दूर; आप भी जान लें फुल डिटेल्स
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Friday, January 31, 2025
Updated On: Friday, January 31, 2025
उत्तराखंड नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है. अब इसके रजिस्ट्रेशन आदि खासकर लिव-इन कपल्स को लेकर कुछ अफवाहें भी फैल रही हैं. उत्तराखंड सरकार ने इन अफवाहों को दूर किया है. लिव-इन कपल्स के लिए जिला रजिस्ट्रार के पास खुद को पंजीकृत करना अनिवार्य है लेकिन सभी को धर्मगुरु से सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है.
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Updated On: Friday, January 31, 2025
UCC live-in relationships: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद कई तरह की अफवाहें भी फैल रही हैं. खासकर लिव-इन संबंधों, उसके पंजीकरण, पंजीकरण के लिए जरूरी दस्तावेजों आदि से संबंधित. मसलन, अफवाह यह है कि लिव-इन कपल्स को पंजीकरण के लिए 15 दस्तावेज लगेंगे. धार्मिक गुरुओं से एनओसी लेना होगा, पंजीकरण शुल्क आदि-आदि. इन अफवाहों के बीच उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने गलतफहमी दूर की है. यूसीसी नियमावली कमेटी के सदस्य मनु गौड़ ने फैल रही गलतफहमी के हर बिन्दु को स्पष्ट किया है.
धर्म गुरुओं का एनओसी जरूरी नहीं
सरकार की ओर से बताया गया है कि लिव-इन में रहने वाले सभी कपल्स को धार्मिक गुरुओं से प्रमाण-पत्र लेने की जरूरत नहीं है. यूसीसी नियमावली कमेटी के सदस्य मनु गौड़ ने स्पष्ट किया है कि धर्म गुरुओं से सिर्फ उन कपल्स को प्रमाण-पत्र लेना होगा, जिन रिश्तों के मध्य विवाह पर रोक है. इसमें कौन से रिश्ते निषिद्ध हैं, इसका उल्लेख संहिता की अनुसूची 01 में स्पष्ट किया गया है. मनु गौड़ ने कहा, ‘सामान्य तौर पर उत्तराखंड में ऐसे रिश्तों में विवाह करने वाले लोग बहुत कम हैं. यहां यूसीसी के तहत होने वाले पंजीकरण में एक प्रतिशत से भी कम मामलों में इसकी जरूरत पड़ेगी. साथ ही जिन समाजों में प्रतिषिद्ध श्रेणी के रिश्तों में विवाह होता है, वो भी धर्मगुरुओं के प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं.
हाईलाइट
- यूसीसी के मुताबिक उत्तराखंड में लिव-इन कपल्स के लिए पंजीकृत करना अनिवार्य.
- लिव-इन के सभी कपल्स को धर्म गुरुओं से एनओसी लेने की अनिवार्यता नहीं है.
- सिर्फ कुछ निषिद्ध संबंधों में ही एनओसी की जरूरत.
- यूसीसी के नियमों में लगभग 74 निषिद्ध संबंधों की सूची भी दी गई है.
- पंजीकरण के लिए 16-पृष्ठ का फॉर्म भरना होगा.
उद्देश्य रोकना नहीं बल्कि सहायता देना
इसका उद्देश्य किसी के भी पंजीकरण को रोकना नहीं है. बल्कि उसे पंजीकरण में सहायता प्रदान करना है। संहिता में धर्मगुरुओं के प्रमाणपत्र के फार्मेट को भी स्पष्ट तौर पर बताया गया है। ताकि किसी को कोई दिक्कत न हो.
सिर्फ 4 दस्तावेज की जरूरत
मनु गौड़ ने बताया कि यूसीसी के तहत लिव-इन पंजीकरण के समय सिर्फ चार मुख्य दस्तावेज ही देने होंगे. इनमें निवास प्रमाण-पत्र, जन्म तिथि, आधार और किराएदारी के मामले में किराएदारी से संबंधित दस्तावेज ही प्रस्तुत करने होंगे. यदि किन्हीं का पहले तलाक हो चुका है तो उन्हें तलाक का कानूनी आदेश प्रस्तुत करना होगा. साथ ही यदि किसके जीवन साथी की मृत्यु हो चुकी है या जिनका पूर्व में लिव-इन रिलेशनशिप समाप्त हो चुका है, उन्हें इससे संबंधित दस्तावेज पंजीकरण के समय देने होंगे.
इसका मूल या स्थायी निवास से संबंध नहीं
उत्तराखंड सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह संहिता सिर्फ उत्तराखंड के मूल निवासियों के लिए नहीं है. इसके तहत उत्तराखंड में एक साल से रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपना पंजीकरण करवा सकता है. इस समय अवधि का मूल निवास या स्थायी निवास से कोई संबंध नहीं है. सरकार का कहना है कि यदि यह सिर्फ मूल और स्थायी निवासी पर ही लागू होता तो अन्य राज्यों से आने वाले बहुत सारे लोग इसके दायरे से छूट जाते. यह एक तरह से वोटर कार्ड की तरह है, जिसका मूल निवास या स्थायी निवास से कोई संबंध नहीं है.
ऑनलाइन-ऑफलाइन करा सकते हैं पंजीकरण
मनु गौड़ ने यह भी बताया कि यूसीसी के तहत भरे जाने वाले फार्म में चूंकि कई सारे विकल्प दिए गए हैं। इसलिए फार्म 16 पेज का हो गया है। इसके बावजूद फार्म को ऑनलाइन तरीके से भरने में पांच से दस मिनट का ही समय लगेगा. चूंकि इसे हर तरह से फूलप्रूफ बनाया जाना था, इसलिए फार्म विस्तृत हो गया है. ऑफलाइन तरीके से भी इसे अधिकतम आधा घंटे में भरा जा सकता है. वेब पोर्टल में आधार डालते ही विवरण खुद ही आ जाएगा, इसलिए ऑनलाइन पंजीकरण बेहतर सुविधा जनक है.
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