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UCC : सबके लिए समान कानून लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड
UCC : सबके लिए समान कानून लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Tuesday, January 28, 2025
Updated On: Tuesday, January 28, 2025
आज उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया गया। पिछले विधानसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री धामी ने इसका वादा किया था। इसे लागू कर मुख्यमंत्री धामी ने अपना वादा पूरा किया।
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Updated On: Tuesday, January 28, 2025
हाईलाइट
- स्वतंत्र भारत में उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला बना देश का पहला राज्य।
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया समान नागरिक संहिता की अधिसूचना का अनावरण।
- इसके लिए यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in का भी किया गया शुभारंभ।
- यूसीसी पोर्टल पर पहला पंजीकरण मुख्यमंत्री धामी ने अपने विवाह का कराया।
उत्तराखंड में बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू हो गया। इसके लागू होते ही उत्तराखंड राज्य के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। आज एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता लागू होने की अधिकारिक घोषणा की। इसकी अधिसूचना का अनावरण मुख्यमंत्री ने किया। इस दौरान इसके लिए यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in का भी शुभारंभ। साथ ही यूसीसी नियमावली से संबंधित बुकलेट का विमोचन किया। यूसीसी पोर्टल का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने अपने विवाह का पंजीकरण कराया। उन्होंने कहा कि आज का दिन सिर्फ उत्तराखंड नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष के लिए ऐतिहासिक है। उत्तराखंडी समाज में समानता स्थापित करने के लिए इसे लागू किया गया है।
लाखों लोगों की लि गई राय
उत्तराखंड यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए बनी विशेषज्ञ कमिटी ने लाखों लोगों से बातचीत। उसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, धार्मिक संगठन आदि के लोग भी शामिल थे। मुख्यमंत्री धामी ने इस पर कहा कि इसका ड्राफ्ट तय करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी ने 2.35 लाख लोगों से सम्पर्क साधा। उनकी राय ली और बेहतर सुझाव को ड्राफ्ट में शामिल किया।
भावुक हुए धामी
समान नागरिक संहिता लागू करते समय बेहद भावुक दिखे। भावुक हुए धामी ने कहा, ‘उन्हें हर्ष के साथ ही गर्व की भी अनुभूति हो रही है। आज से राज्य में प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक और नागरिक अधिकार एक समान हो गए हैं। सभी धर्म की महिलाओं को भी समान अधिकार मिल गए हैं। राज्य सरकार संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ बीआर अंबेडकर सहित संविधान सभा के सभी सदस्यों को सच्ची भावांजलि दे रही है।’
पूरा किया चुनावी वादा
मुख्यमंत्री धामी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान 12 फरवरी 2022 को प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। उनके नेतृत्व में भाजपा को विधानसभा चुनाव फिर लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत मिली। पुष्कर सिंह धामी ने सरकार बनने के बाद पहला निर्णय उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर लिया था।
छह महीने कोई शुल्क नहीं
इस कानून के जरिए महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण सुनिश्चित हो सकेगा। हलाला, तीन तलाक, इद्दत जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगेगी। संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत वर्णित अनुसूचित जनजातियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। इससे उनके रीति रिवाजों का संरक्षण हो सकेगा। धामी सरकार ने घोषणा की कि जिन पंजीकृत व्यक्तियों का विवाह यूसीसी के लागू होने से पूर्व पंजीकृत हुआ हो या तलाक की डिक्री घोषित हुई हो या विवाह निरस्त हुआ हो, उनसे पहले छह महीने में किसी भी तरह का रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया जायेगा।
किसी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं
मुख्यमंत्री धामी ने इस कानून पर चर्चा करते हुए बताया, ‘यूसीसी किसी भी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं है। यह समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर, समानता से समरसता कायम करने का कानूनी प्रयास है। इसमें किसी की भी मूल मान्यताओं और प्रथाओं को नहीं बदला गया है। इस कानून द्वारा सभी लोगों के लिए विवाह, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार के नियमों को समान किया गया है। सभी धर्म के लोग अपने अपने रीति रिवाजों से विवाह कर सकते हैं।’
संपत्ति में बेटा-बेटी को समान अधिकार
यूसीसी लागू होने के बाद अब सभी धर्मों में लड़कों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों के लिए 18 कर दी गई है। साथ ही पति या पत्नी के रहते दूसरे विवाह को प्रतिबंध किया गया है। इसमें बाल अधिकारों को संरक्षित किया गया है। साथ ही बेटियों को संपत्ति में बेटा के समान अधिकार दिए गए हैं। परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद न हो इसके लिए मृतक की संपत्ति में पत्नी, बच्चे और माता-पिता को समान अधिकार दिए गए हैं।
27 जनवरी को यूसीसी दिवस मनाया जाएगा
आज धामी सरकार ने घोषणा की कि अब प्रदेश में प्रति वर्ष 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसके लिए प्रदेश भर में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
लिव इन से पैदा बच्चों को समान अधिकार
यूसीसी को लागू करने के लिए सरलीकरण के मूल मंत्र पर केंद्रित ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है। स्पष्ट नियमावली बनाई गई है। बदलते वर्तमान समय को ध्यान में रखकर लिव इन के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। युगल की सूचना रजिस्ट्रार माता-पिता या अभिभावक को देगा। यह जानकारी पूरी तरह गोपनीय रहेगी। लिव इन से पैदा बच्चों को भी समान अधिकार दिए गए हैं।
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