Kartik Poornima 2024 : कार्तिक पूर्णिमा का है आध्यात्मिक महत्व, मनेगी देव दीपावली

Kartik Poornima 2024 : कार्तिक पूर्णिमा का है आध्यात्मिक महत्व, मनेगी देव दीपावली

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, November 14, 2024

Last Updated On: Friday, November 15, 2024

kartik poornima 2024
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कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इसकी महत्व कई धार्मिक ग्रंथों में बताई गई है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने मत्स्य अवतार में प्रकट हुए थे, जो सृष्टि और संरक्षण के ब्रह्मांडीय चक्र से जुड़ा है।

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Friday, November 15, 2024

कार्तिक पूर्णिमा हिंदू और सिख दोनों धर्म के लिए महत्वपूर्ण है। कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस पवित्र दिन देव दिवाली, गुरु नानक जयंती भी भक्तगण उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। कई भक्त हरिद्वार, वाराणसी, ऋषिकेश और अन्य गंगा घाटों पर दीप दान करने के लिए जाते हैं। इस अवसर पर अयोध्या और काशी की तरह महर्षि भृगु और उनके शिष्य दर्दर मुनि की तपोस्थली बलिया में भी दीपोत्सव (Kartik Poornima 2024) मनाया जा रहा है।

कार्तिक पूर्णिमा की महत्ता (Importance of Kartik Poornima)

कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इसकी महत्व कई धार्मिक ग्रंथों में बताई गई है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने मत्स्य अवतार में प्रकट हुए थे, जो सृष्टि और संरक्षण के ब्रह्मांडीय चक्र से जुड़ा है। कार्तिक पूर्णिमा के दौरान सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं, जिससे जल और वातावरण में एक शक्तिशाली पवित्र ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन नदियों और झीलों में स्नान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इससे नौ खगोलीय ग्रहों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

क्या है अनुष्ठान (Kartik Poornima Rituals)

कार्तिक पूर्णिमा के मुख्य अनुष्ठानों में से एक गंगा या अपने घर के पास किसी भी पवित्र नदी में पवित्र स्नान करना है। अगर यह संभव नहीं है, तो घर पर उपलब्ध नियमित पानी में कुछ कप गंगाजल मिलाना सबसे अच्छा है। इस अभ्यास को ‘कार्तिक स्नान’ के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि यह आत्मा को शुद्ध करता है और पापों से मुक्ति दिलाता है।

त्रिपुरारी पूर्णिमा की कथा (Kartik Poornima Katha)

कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। राक्षस त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की जीत का सम्मान करने के लिए यह मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने एक ही बाण से राक्षस के तीन शहरों को नष्ट कर दिया था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

पूजा और दान का है विशेष महत्व

  • ज्योतिषाचार्य त्रिपुरारी शर्मा के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा और दान से भक्तगण को विशेष लाभ मिल सकते हैं।
  • वित्तीय समृद्धि और स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।
  • शक्ति/अचल संपत्ति प्राप्त हो सकती है।
  • किसी व्यवसाय के कामकाज को गति मिल सकती है।
  • बृहस्पति के हानिकारक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • सिद्धि प्राप्त हो सकती है।
  • समग्र भौतिकवादी और आध्यात्मिक विकास हो सकता है।

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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