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आपातकाल को लेकर आज के नेताओं की क्या है राय ?
आपातकाल को लेकर आज के नेताओं की क्या है राय ?
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Tuesday, June 24, 2025
Last Updated On: Tuesday, June 24, 2025
आपातकाल को लेकर देश के प्रमुख नेताओं ने अपनी-अपनी राय जाहिर की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने आपातकाल को लोकतंत्र का काला अध्याय बताया, वहीं कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने उस समय की परिस्थितियों को समझने की जरूरत बताई. यह लेख बताता है कि आज के नेताओं की नजर में आपातकाल क्या मायने रखता है.
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Tuesday, June 24, 2025
25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल को लेकर सियासत आज भी जीवंत है. जब भी इसकी बरसी आती है, तब राजनीतिक गलियारों में बयानबाजी तेज हो जाती है. इस वर्ष भी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी राय सामने रखी है. एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और नितिन गडकरी ने इसे लोकतंत्र के मूल्यों पर हमला बताया, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने इसे परिस्थितिजन्य कदम कहकर बचाव किया. इस लेख में हम जानते हैं कि आज के भारत में आपातकाल को लेकर नेताओं की सोच किस दिशा में जा रही है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
“तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हर लोकतांत्रिक सिद्धांत की अवहेलना की और देश को जेल में बदल दिया. जो कोई भी कांग्रेस से असहमत था, उसे प्रताड़ित किया गया और परेशान किया गया. सबसे कमज़ोर वर्गों को निशाना बनाने के लिए सामाजिक रूप से प्रतिगामी नीतियां लागू की गईं.जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया, वह उसी पार्टी में बहुत ज़्यादा जीवित है जिसने इसे लगाया था. वे अपने दिखावे के ज़रिए संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं, लेकिन भारत के लोगों ने उनकी हरकतों को समझ लिया है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार नकार दिया है.”
(इमरजेंसी के 49 वर्ष पूरे होने पर)
25 जून, 2024

अमित शाह
”अहंकार में डूबी, निरंकुश कांग्रेस सरकार ने एक परिवार के सत्ता सुख के लिए 21 महीनों तक देश में सभी प्रकार के नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए थे. इस दौरान उन्होंने मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी थी, संविधान में बदलाव किए और न्यायालय तक के हाथ बांध दिए थे. आपातकाल के खिलाफ संसद से सड़क तक आंदोलन करने वाले असंख्य सत्याग्रहियों, समाजसेवियों, श्रमिकों, किसानों, युवाओं व महिलाओं के संघर्ष को नमन करता हूं.”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
“आपातकाल हमारे देश के लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय है जिसे चाहकर भी भुलाया नहीं जा सकता. उस दौरान जिस तरह से सत्ता का दुरुपयोग और तानाशाही का खुला खेल खेला गया, उससे लोकतंत्र के प्रति कई राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा होता है.”

जेपी नड्डा
“25 जून, 1975 – यह वह दिन है जब कांग्रेस पार्टी ने आपातकाल लगाने का राजनीतिक रूप से प्रेरित निर्णय लिया, जिसने हमारे लोकतंत्र के स्तंभों को हिलाकर रख दिया और डॉ. आंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को कुचलने की कोशिश की.”

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी
“मैं उन लोगों का सम्मान करता हूं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और लोकतंत्र को पुनः स्थापित किया.”

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
“यह अवधि…जबरन सामूहिक नसबंदी, प्रेस पर सेंसरशिप, संवैधानिक अधिकारों के निलंबन जैसी ज्यादतियों के लिए जानी जाती है….”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम
1975 में देश में इमरजेंसी लगाना एक गलती थी, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी स्वीकार किया था.