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SIR, वंदे मातरम और परमाणु ऊर्जा… संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष सरकार पर करेगा जोरदार हमला
Authored By: Nishant Singh
Published On: Friday, November 28, 2025
Last Updated On: Friday, November 28, 2025
दिल्ली की ठंड भले बढ़ रही हो, लेकिन संसद का तापमान अब तेजी से चढ़ने वाला है. 1 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में विपक्ष SIR, बेरोजगारी और प्रदूषण जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है, जबकि सरकार वंदे मातरम और 10 बड़े विधेयकों पर चर्चा चाहती है. अब ये सत्र चलेगा या टकराव बढ़ेगा? जानीए…
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Friday, November 28, 2025
सर्द हवाओं ने दिल्ली को भले ठंडा कर दिया हो, लेकिन संसद परिसर का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. 1 दिसंबर से शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र सिर्फ तारीखों का कैलेंडर नहीं, बल्कि आरोप-प्रतिआरोप, रणनीतियों और सियासी मुकाबले का अखाड़ा बनने वाला है. सरकार बड़े विधेयक पारित करवाने के मूड में है, जबकि विपक्ष हर मोर्चे पर सरकार को घेरने की तैयारी में जुटा है-चाहे वो SIR (Special Voter List Revision) हो या वंदे मातरम, परमाणु ऊर्जा, प्रदूषण और बेरोजगारी जैसे मुद्दे.
विपक्ष की रणनीति: SIR बनेगा बड़ा हथियार
इस सत्र की शुरुआत से पहले ही माहौल गर्म है. तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और समाजवादी पार्टी ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वे SIR प्रक्रिया के खिलाफ खुला मोर्चा खोलेंगे. विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया मतदाताओं को हटाने, बूथ बढ़ाने और चुनावी गणित बदलने का तरीका है.
ममता बनर्जी ने इसे सीधे-सीधे “साजिश” करार दिया है. उनका कहना है कि सरकार मतदाता सूची में छेड़छाड़ कर 2024 और बंगाल चुनावों में राजनीतिक लाभ लेना चाहती है. वहीं समाजवादी पार्टी ने संसद में जोरदार विरोध की तैयारी की है. डीएमके भी तमिलनाडु चुनाव से पहले इस मुद्दे को केंद्र की दखलंदाजी बता रही है.
सरकार का रुख: “SIR संसद का विषय नहीं, कोर्ट ने निर्देश दिए हैं”
सरकार की तरफ से संदेश साफ है कि SIR चुनाव आयोग का हिस्सा है, इसलिए संसद में इस पर बहस की कोई गुंजाइश नहीं. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और चुनावी मजबूती के लिए है.
इतना ही नहीं, सरकार का दावा है कि विपक्ष महज़ राजनीतिक ड्रामा और व्यवधान पैदा करना चाहता है, जबकि वह किसी भी राष्ट्रीय मुद्दे पर खुलकर और विस्तृत चर्चा के लिए तैयार है.
वंदे मातरम: संसद में भावनाओं का मुद्दा
इस बार सत्र में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर एक विशेष चर्चा प्रस्तावित है. सरकार का इरादा है कि राष्ट्रीय भावनाओं को केंद्र में रखते हुए पूरे गीत के पाठ को संसद में सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाए. प्रधानमंत्री पहले ही यह कह चुके हैं कि 1937 में कांग्रेस द्वारा गीत की कुछ पंक्तियों को हटाना एक ऐतिहासिक गलती थी जिसने विभाजन की नींव मजबूत की. इसलिए यह मुद्दा सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतीक भी बन गया है.
विधेयकों की तैयारी: 10 बड़े बदलाव
19 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में सरकार लगभग 10 महत्वपूर्ण विधेयक पेश और पास करना चाहती है, जिनमें-
- परमाणु ऊर्जा से जुड़े बिल
- भारतीय उच्च शिक्षा आयोग बिल
- कॉरपोरेट कानूनों में संशोधन
- चंडीगढ़ को लेकर संविधान संशोधन
जैसे अहम प्रस्ताव शामिल हैं. विपक्ष ने इन विधयकों पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं- विशेषकर शिक्षा व्यवस्था, स्वायत्तता और प्रशासनिक ढांचे में बदलाव को लेकर.
प्रदूषण, बेरोजगारी और महंगाई- विपक्ष की तीन बड़ी तलवारें
दिल्ली में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर है. विपक्ष का दावा है कि सरकार न तो समाधान लाई और न ही कोई ठोस योजना. इसके साथ बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे भी विपक्ष की बहस में प्रमुख स्थान पर रहेंगे.
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