Rakhi 2024 Bhadra Kaal : भद्रा काल अवधि में नहीं बांधनी चाहिए राखी, जानें कौन है भद्रा

Rakhi 2024 Bhadra Kaal : भद्रा काल अवधि में नहीं बांधनी चाहिए राखी, जानें कौन है भद्रा

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, August 6, 2024

Last Updated On: Monday, January 20, 2025

raksha bandhan festival of brothers and sisters
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चंद्रमा के हिसाब से रक्षाबंधन श्रावण माह के अंतिम दिन मनाया जाता है। रक्षाबंधन का दिन पवित्र मन जाता है। इसलिए भाई-बहन किसी भी समय राखी बांध सकते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, एक निश्चित अवधि भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। भद्रा काल रक्षा बंधन मनाने सहित किसी भी शुभ कार्य के लिए आदर्श नहीं है। जानते हैं इसके पीछे का कारण।

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Monday, January 20, 2025

भाई-बहनों के प्रेम-स्नेह का त्योहार है रक्षा बंधन। इस अवसर पर भाई-बहन एक दूसरे की रक्षा के लिए ईश्वर से दुआ मांगते हैं। दोनों एक-दूसरे के प्रति अटूट प्रेम करें, यह प्रार्थना भी करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस शुभ दिन पर निश्चित समय पर सभी रीति-रिवाजों को निभाना महत्वपूर्ण है। साथ ही यह देखना भी जरूरी है कि रक्षा सूत्र बांधते समय भद्रा काल तो नहीं है! यह अवधि रक्षा बंधन मनाने सहित किसी भी शुभ कार्य के लिए आदर्श नहीं है। भद्रा काल के साथ एक कथा भी जुड़ी है।

भद्रा काल के साथ जुड़ी है कथा

मान्यता है कि भगवान सूर्य और छाया की पुत्री है भद्रा। यह शनिदेव की बहन है। भद्रा स्वभाव से कठोर थी। भद्रा का जन्म दानवों के नाश करने के लिए हुआ था। वह हर शुभ कार्य में बाधा डालती थी। कालांतर में क्षय रोग के कारण उसकी मृत्यु हो गई। तभी से भद्रा को किसी भी शुभ कार्य के लिए बाधक माना जाने लगा। कथा यह भी है कि रावण की बहन सूर्पणखा ने भद्रा काल के दौरान भाई को राखी बांधी, जिसके कारण राम के हाथों रावण की हार हुई।

इस साल कब से कब तक है भद्रा

इस साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को सुबह 3 बजकर 4 मिनट से शुरू हो रही है। यह रात 11 बजकर 55 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त, 2024, को होगा। यह दिन सोमवार है। इस साल रक्षाबंधन के दिन दोपहर 12:30 बजे तक भद्राकाल रहेगा। भद्रा का प्रभाव दोपहर 1:30 बजे तक रहेगा। इसलिए इस अवधी के बाद ही राखी बांधें।

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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