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Dhanteras 2024 : 29 अक्टूबर को है धनतेरस, इस दिन से हो जाएगी दीपावली त्योहार की शुरुआत
Dhanteras 2024 : 29 अक्टूबर को है धनतेरस, इस दिन से हो जाएगी दीपावली त्योहार की शुरुआत
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, October 21, 2024
Last Updated On: Monday, January 20, 2025
29 अक्टूबर को धनतेरस होगा। मान्यता है कि इस दिन चांदी खरीदने से घर में लक्ष्मी आती हैं। इस दिन सायंकाल में दीपक जलाने से पूरे वर्ष भर अकाल मृत्यु नहीं होती। 30 अक्टूबर को हनुमान जयंती होगी। इसी दिन धन्वंतरि जी की पूजा होगी।
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Monday, January 20, 2025
प्रत्येक त्योहार कब मनाएं और कब नहीं मनाएं, इसे लेकर ऊहापोह की स्थिति विगत कई वर्षों से देखने को मिल रही है। इसलिए आम लोगों में हर साल त्योहार मनाने को लेकर संशय रहता है। इस बार भी धनतेरस और दीपावाली पूजन पर विवाद बना हुआ है। धनतेरस 29 अक्टूबर को मनाई जाए या 30 अक्टूबर को और दीपावली 1 नवंबर को मनायी जाए या 31 अक्टूबर को, इस विषय पर अलग-अलग पंडित और धर्माचार्य के अलग-अलग विचार सामने आ रहे हैं। देश की महत्वपूर्ण संस्था भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी (हरिद्वार) के संस्थापक और ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक, 29 अक्टूबर को धनतेरस (Dhanteras 2024) है।
धनतेरस के दिन जलाएं सायंकाल को दीपक (Dhanteras Pujan)
पंडित मिश्रपुरी के मुताबिक 29 अक्टूबर को धनतेरस होगा। मान्यता है कि इस दिन चांदी खरीदने से घर में लक्ष्मी आती हैं। इस दिन सायंकाल में दीपक जलाने से पूरे वर्ष भर अकाल मृत्यु नहीं होती। 30 अक्टूबर को हनुमान जयंती होगी। इसी दिन धन्वंतरि जी की पूजा होगी। मान्यता है कि दीपावली के दिन तिल के तेल से स्नान करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है। 2 नवंबर को अन्नकूट गोवर्धन पूजा होगी, 3 नवंबर को भाई दूज मनाया जायेगा। इस कारण दीपावली मनाने के विवाद में न पड़कर मुहुर्त के हिसाब से पूजन करें।
शुभता और समृद्धि की प्राप्ति (Dhanteras 2024)
‘धनतेरस या धनत्रयोदशी भारत के अधिकांश हिस्सों में दिवाली के त्योहार का पहला दिन है। ‘धनतेरस’ दो संस्कृत शब्दों के संयोजन से बना है, जिसका अर्थ है ‘धन’ या संपत्ति, और ‘तेरस’, जो 13वें दिन पर जोर देता है। इस त्योहार के दिन लोग विश्वास और आस्था के साथ जीवन में समृद्धि का स्वागत करने के लिए सोने और चांदी के आभूषण, वाहन और बर्तन खरीदने की सदियों पुरानी रस्म निभाते हैं। यह दिन धन और समृद्धि बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। धनतेरस पर सफाई, नवीनीकरण और लक्ष्मी के रूप में शुभता की प्राप्ति करने की मान्यता जुड़ी है। गांवों में किसान अपनी आय के मुख्य स्रोत के रूप में मवेशियों को सजाते और पूजते हैं।
31 अक्टूबर को सूर्य अस्त के बाद किसी भी समय करें दीपावली पूजन (Deepawali 2024)
भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी कनखल (हरिद्वार) के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु के अनुसार, दीवाली 1 नवंबर को होनी चाहिए। कुछ लोग प्रदोष काल में पूजन नहीं करते हैं, बल्कि निशीथ काल और महानिशीथ काल में पूजन करते हैं, वे लोग 31 अक्टूबर को अमृत की चौघडि़या में पूजन करें। जो लोग प्रदोष काल में पूजन करते हैं, वे 1 नवंबर को शाम 6.30 बजे तक महालक्ष्मी पूजन कर लें। 31 अक्टूबर को किसी भी समय सूर्य अस्त के बाद पूजा की जा सकती है।
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लक्ष्मी प्राप्ति के अनुष्ठान पूजन (Laxshmi Pujan 2024)
पंडित मिश्रपुरी के मुताबिक 17.38 के बाद अमृत की चौघड़िया है, जो कि 7 बजे तक रहेगी। इस घड़ी में लक्ष्मी को स्थिर करने के लिए पूजन किया जा सकता है। जो लोग उल्लू पूजा, बही खाते का पूजन, तांत्रिक प्रयोग, मंत्र जाप, लक्ष्मी प्राप्ति के अनुष्ठान करते हैं, वे 31 अक्टूबर की रात्रि में पूजन करें। 1 नवंबर को अमावस्या बहुत कम समय के लिए होगी। शाम को 18.17 बजे तक ही अमावस्या होगी। उसके बाद प्रतिपदा शुरू हो जाएगी। इस समय लक्ष्मी पूजन नहीं होता है। यदि 1 नवंबर को पूजन करना है, तो 18.17 बजे तक पूजन कर लें।
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)