बिहार चुनाव में नया मोड़: 63% पिछड़े और 19% दलितों को लुभाने उतरी BSP!

बिहार चुनाव में नया मोड़: 63% पिछड़े और 19% दलितों को लुभाने उतरी BSP!

Authored By: सतीश झा

Published On: Thursday, June 26, 2025

Last Updated On: Thursday, June 26, 2025

Bihar Elections 2025: BSP ने बिहार चुनाव में बदला गेम! अब 63% पिछड़े और 19% दलित वोटरों को लुभाने की तैयारी। नया सियासी समीकरण
Bihar Elections 2025: BSP ने बिहार चुनाव में बदला गेम! अब 63% पिछड़े और 19% दलित वोटरों को लुभाने की तैयारी। नया सियासी समीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) की आहट के साथ ही सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं. राज्य की सामाजिक संरचना को देखते हुए बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भी अपनी चुनावी मौजूदगी दर्ज कराने की तैयारी तेज कर दी है. बसपा की नजर उन 63% अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और 19% अनुसूचित जाति (एससी) वोटरों पर है, जो राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

Authored By: सतीश झा

Last Updated On: Thursday, June 26, 2025

Bihar Elections 2025: बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) को ध्यान में रखते हुए अपने मिशन की औपचारिक शुरुआत कर दी है. इसकी जानकारी बसपा के मुख्य समन्वयक आकाश आनंद (Akash Anand) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से दी. BSP द्वारा इस तरह की पहल को आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है. पार्टी राज्य के दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है. आकाश आनंद की सक्रियता इस बात का संकेत है कि बसपा बिहार की राजनीति में अपनी पैठ मजबूत करने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है.

छत्रपति शाहू जी महाराज की जयंती पर कार्यक्रम में होंगे शामिल

आकाश आनंद ने अपने पोस्ट में बताया कि वे छत्रपति शाहू जी महाराज की जयंती के अवसर पर पटना में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में शामिल होंगे. उन्होंने इस कार्यक्रम में अपनी भागीदारी को गर्व का क्षण बताया और लिखा, “आइए, उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लें, ताकि हर व्यक्ति को समान अधिकार, सम्मान और अवसर मिल सके. जय भीम, जय शाहू महाराज, जय भारत.”

सामाजिक न्याय पर फोकस

आकाश आनंद का यह संदेश सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को दोहराता है, जो बसपा की विचारधारा की मूल भावना रही है. छत्रपति शाहू जी महाराज को सामाजिक सुधारों और समान अवसरों के लिए याद किया जाता है. उनके विचारों को बिहार में राजनीतिक अभियान का आधार बनाना बसपा की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. बहुजन समाज पार्टी ने आकाश आनंद की अगुवाई में शुरू हुए इस मिशन के ज़रिए बसपा राज्य में नए सामाजिक और राजनीतिक समीकरण गढ़ने की कोशिश में है.

दलित-पिछड़ा गठजोड़ को साधने की कोशिश

बहुजन समाज पार्टी, जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलित हितों की आवाज बनकर उभरी थी, अब बिहार में भी दलित-पिछड़ा गठजोड़ को चुनावी हथियार बनाकर मैदान में उतरने की कोशिश कर रही है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, बसपा राज्य के उन इलाकों पर ज्यादा फोकस कर रही है जहां दलित और पिछड़े वर्गों की जनसंख्या अधिक है.

मायावती की रणनीति: ‘बहुजन’ वोट को जोड़ने की पहल

पार्टी प्रमुख मायावती (Mayawati) ने हाल ही में अपने नेताओं को निर्देश दिया है कि वे बिहार के गांवों, कस्बों और छोटे शहरों में जनसंपर्क अभियान चलाएं और बसपा की विचारधारा को दलितों-पिछड़ों तक पहुंचाएं. उनका मानना है कि बिहार की मौजूदा राजनीतिक पार्टियां इन वर्गों की वास्तविक समस्याओं को हल करने में विफल रही हैं और बसपा एक वैकल्पिक विकल्प के रूप में उभर सकती है.

राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना

राज्य में जहां राजद (RJD), जदयू (JDU) और भाजपा (BJP) के बीच पहले से ही सामाजिक समीकरणों की जंग जारी है, वहीं बसपा (BSP) की सक्रियता से इन समीकरणों में बदलाव की संभावना जताई जा रही है. खासकर उन इलाकों में जहां परंपरागत दलों की पकड़ कमजोर हुई है, वहां बसपा अपने आधार को मजबूत करने की कोशिश में जुट गई है.

जनसभाएं और बूथ स्तर पर तैयारियाँ

बसपा ने बिहार के कई जिलों में छोटी-छोटी सभाएं और सम्मेलन शुरू कर दिए हैं. पार्टी संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने का प्रयास भी किया जा रहा है. साथ ही नए युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए सोशल मीडिया पर भी प्रचार अभियान चलाया जा रहा है.

2025 चुनाव में बसपा की भूमिका अहम?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर बसपा ओबीसी और एससी वोट बैंक को प्रभावी ढंग से एकजुट कर पाने में सफल होती है, तो वह 2025 के विधानसभा चुनावों में कई सीटों पर प्रभाव डाल सकती है. हालांकि अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगा कि BSP मुख्यधारा की ताकतों को कितनी चुनौती दे पाएगी, लेकिन उसकी मौजूदगी राज्य की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे सकती है. बिहार में बसपा की सक्रियता सामाजिक न्याय की राजनीति को एक नया मोड़ दे सकती है. दलित-पिछड़ा गठजोड़ को साधने की उसकी कोशिशें आने वाले चुनावों में कितना असर डालेंगी, यह देखना दिलचस्प होगा.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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