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Raj Kapoor Birth Centenary: युवा राष्ट्र के युवा फिल्म निर्माता थे राजकपूर
Raj Kapoor Birth Centenary: युवा राष्ट्र के युवा फिल्म निर्माता थे राजकपूर
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Thursday, December 12, 2024
Updated On: Thursday, December 12, 2024
राज कपूर की फिल्मी विरासत को उनकी 100वीं जयंती पर फिर से याद किया जा रहा है। फिल्म विशेषज्ञ, समीक्षक उनकी फिल्मों की प्रासंगिकता का विश्लेषण कर रहे हैं। इनकी फिल्में सामाजिक मुद्दों, बदलते भारतीय समाज और महिलाओं के चित्रण के विषयों की खोज करते हैं।
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Updated On: Thursday, December 12, 2024
‘द ग्रेटेस्ट शोमैन’ नाम से प्रसिद्ध हुए राज कपूर का दो दिन बाद जन्म शताब्दी है। उनकी सिनेमा भारतीय सीमा को पार कर विदेशों में भी खुद चर्चित हुई। इसलिए उन्हें भारत के वैश्विक फ़िल्म निर्माताओं में गिना जाता है। वर्ष 1948 में राज कपूर ने प्रतिष्ठित आरके फिल्म्स स्टूडियो की स्थापना करके अपनी पहचान बनाई। उसी साल उन्होंने 24 साल की उम्र में फिल्म निर्माण का कार्य शुरू कर दिया था।
सराहना और आलोचना दोनों मिला
राज कपूर (Raj Kapoor) ने फिल्म निर्माण का कार्य 1948 में ‘आग’ से शुरु किया और 1985 में ‘राम तेरी गंगा मैली’ के साथ समाप्त किया। इन दो फिल्मों में से से एक को अपने सपनों की महिला की तलाश में एक आदमी के चित्रण के लिए उन्हें सराहा गया। जबकि दूसरी को कुछ लोगों ने उसके पुरुषवादी दृष्टिकोण के लिए आलोचना की।
फिल्म निर्माण एवं निर्देश के 37 वर्षों में राज कपूर ने 10 फिल्मों का निर्देशन किया। इस समय काल में उन्होंने आरके फिल्म्स स्टूडियो (RK Films Studio) के तहत कई फिल्मों का निर्माण किया। उनके निर्देशन या फिर निर्माण में बनी फिल्म से प्रत्येक ने अपने तरीके से उनकी छवि को शोमैन के रूप में चमकाया है। हालांकि वे 11 साल की उम्र (1935) में फिल्म ‘इंकलाब’ से एक बाल कलाकार के रूप में अभिनय शुरू कर दिया था।
फिल्मी विरासत की डाली नींव
पृथ्वीराज कपूर के बेटे राज कपूर ने अपनी फिल्मों की कहानी और दूरदर्शिता से एक उल्लेखनीय सिनेमाई विरासत का निर्माण किया है। उनकी विरासत आज भी देश-दुनिया में चर्चित है। उनकी फ़िल्मों ने विभाजन के बाद के भारत की वास्तविकताओं, आम आदमी के सपनों और ग्रामीण-शहरी विभाजन को दर्शाया है। उनका सिनेमा भावना, नवीनता और मानवता का पर्याय बन गया।
आवारा राज कपूर और चार्ली चैपलिन
राज कपूर ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कॉमेडियन चार्ली चैपलिन से प्रेरित होकर एक ‘आवारा’ फिल्म बनाया। उनके इस प्रसिद्ध आवारा चरित्र ने दुनिया भर में खासकर सोवियत संघ में लोगों को खूब प्रभावित किया था। तब से उन्होंने एक अंतर्राष्ट्रीय छवि बना ली थी।
युवा राष्ट्र के युवा फिल्म निर्माता
देश 1947 में आजाद हुआ था। उसके अगले ही साल राज कपूर आरके फिल्म्स स्टूडियो की स्थापना के साथ फिल्म निर्माण में कदम रखा। इसलिए इन्हें युवा राष्ट्र का युवा फिल्म निर्माता और निर्देशक कहा जाता है। इन्होंने आजादी के बाद की आम समस्याओं को अपनी फिल्मों के मूल में रखा।
इनकी फिल्में, ‘आग’ से शुरू होकर ‘आवारा’, ‘बरसात’, ‘जागते रहो’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘बॉबी’ और ‘राम तेरी गंगा मैली’ तक, एक फिल्म निर्माता के विभिन्न चरणों को दर्शाती हैं। ये सभी फिल्में भारत के बदलते परिवेश के अनुरूप हैं।
उनकी फिल्म ‘आवारा’ जातिवाद पर आधारित थी। उन्होंने यह फिल्म तब बनाई जब देश में जातिवाद पर ज्यादा बात नहीं होती थी। उन्होंने फिल्म ‘श्री 420’ में लालच और वंचितों द्वारा अपने जीवन में कुछ करने की कोशिश के बारे में बात की। इनकी सभी फिल्में उनके संगीत के लिए भी याद की जाती हैं।
सिनेमा की सीमाओं को बढ़ाया
अभिनेता एवं उनके पोते रणबीर कपूर ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में ‘शोमैन के एक पुनरावलोकन’ में कहा, ‘राज कपूर ने लगातार जोखिम उठाया। उन्होंने सिनेमा की सीमाओं को आगे बढ़ाया। उनमें नए कलाकारों के साथ फिल्म बनाने का साहस था। एक 50 वर्षीय व्यक्ति युवाओं के लिए फिल्म बना रहा था। इसका मतलब है कि वह वास्तव में समय के साथ चलते रहे।
फिल्म अभिनेता-निर्देशक एवं निर्माता राज कपूर को पद्म भूषण (1971) और दादा साहब फाल्के पुरस्कार (1988) से सम्मानित किया गया।