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Biological Aging: सिर्फ पसीना नहीं, उम्र भी बह रही है! गर्मी से जुड़ा डरावना सच!
Biological Aging: सिर्फ पसीना नहीं, उम्र भी बह रही है! गर्मी से जुड़ा डरावना सच!
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, May 13, 2025
Last Updated On: Tuesday, May 13, 2025
Biological Aging : हीट वेव और जलवायु परिवर्तन से एक और नुकसान सामने आया है. अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि अत्यधिक गर्मी वृद्धों में जैविक उम्र बढ़ने की गति बढ़ने का कारण बन सकती है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Tuesday, May 13, 2025
Biological Aging: अमेरिका के यूएससी लियोनार्ड डेविस स्कूल ऑफ जेरोन्टोलॉजी के एक नए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने से वृद्धों में जैविक उम्र बढ़ने की गति बढ़ सकती है. इससे एक नई चिंता सामने आ रही है कि जलवायु परिवर्तन और हीट वेब उम्र बढ़ने को प्रभावित कर सकती है.
गर्म इलाके के लोगों में जैविक उम्र बढ़ने की गति तेज
अध्ययन के वरिष्ठ लेखक और यूएससी लियोनार्ड डेविस स्कूल में जेरोन्टोलॉजी और समाजशास्त्र के प्रोफेसर जेनिफर एलशायर के अनुसार, जिन इलाकों में गर्मी के दिन ज़्यादा होते हैं, वहां के लोगों में औसतन ठंडे इलाकों के निवासियों की तुलना में ज़्यादा जैविक उम्र बढ़ती है.
बीमारी और मृत्यु दर का जोखिम
जैविक उम्र इस बात का माप है कि शरीर आणविक, कोशिकीय और सिस्टम स्तरों पर कितनी अच्छी तरह काम करता है. किसी की जन्मतिथि के आधार पर कालानुक्रमिक उम्र से ज़्यादा जैविक उम्र होने पर बीमारी और मृत्यु दर का जोखिम ज़्यादा होता है. अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने से लंबे समय से नकारात्मक स्वास्थ्य परिणाम जुड़े हुए हैं, जिसमें मृत्यु का जोखिम भी शामिल है. जैविक उम्र बढ़ने से गर्मी का संबंध स्पष्ट नहीं है.
एपिजेनेटिक परिवर्तनों को मापना
एलशायर और उनके सह-लेखक यूनयंग चोई, यूएससी लियोनार्ड डेविस पीएचडी इन जेरोन्टोलॉजी एलुम्ना और पोस्टडॉक्टरल स्कॉलर ने जांच की पूरी. अमेरिका से 56 वर्ष और उससे अधिक आयु के 3,600 से अधिक स्वास्थ्य और सेवानिवृत्ति अध्ययन (एचआरएस) प्रतिभागियों में जैविक आयु कैसे बदली, को देखा गया. छह साल की अध्ययन अवधि के दौरान विभिन्न समय बिंदुओं पर लिए गए रक्त के नमूनों का विश्लेषण एपिजेनेटिक परिवर्तनों या डीएनए मिथाइलेशन नामक प्रक्रिया द्वारा व्यक्तिगत जीन को “बंद” या “चालू” करने के तरीके में परिवर्तनों के लिए किया गया था.
एपिजेनेटिक घड़ियों का उपयोग
शोधकर्ताओं ने मिथाइलेशन पैटर्न का विश्लेषण करने और प्रत्येक समय बिंदु पर जैविक आयु का अनुमान लगाने के लिए एपिजेनेटिक घड़ियों का उपयोग किया. फिर उन्होंने प्रतिभागियों की जैविक आयु में परिवर्तन की तुलना उनके स्थान के हीट इंडेक्स इतिहास और 2010 से 2016 तक राष्ट्रीय मौसम सेवा द्वारा रिपोर्ट किए गए हीट दिनों की संख्या से की.
बायोलोजिकल एजिंग के निशान (Biological Aging Effect)
त्वचा में परिवर्तन जैसे झुर्रियां, उम्र के साथ धब्बे, रूखापन, त्वचा की रंगत में कमी, छाती के आसपास हाइपरपिग्मेंटेशन और ढीलापन जैसे कारक उम्र बढ़ने के निशान हैं. बालों का झड़ना या सफेद होना और चेहरा दुबला-पतला और धंसे हुए गाल भी जैविक उम्र बढ़ने को दर्शाते हैं. शरीर की मेटाबोलिक प्रक्रिया भी धीमी पड़ जाती है.
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