Infectious Disease 2025: शोध में आया सामने, नए साल में 3 बीमारी बन सकती है महामारी

Infectious Disease 2025: शोध में आया सामने, नए साल में 3 बीमारी बन सकती है महामारी

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, December 26, 2024

Updated On: Thursday, December 26, 2024

Infectious Disease 2025: New Research ke anusaar 3 bimariyan ho sakti hain mahamaari
Infectious Disease 2025: New Research ke anusaar 3 bimariyan ho sakti hain mahamaari

ब्रिटेन के नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के शोध में यह बात सामने आई है कि वर्ष 2025 में मलेरिया, एचआईवी और टीबी जैसी संक्रामक बीमारी सबसे बड़ी उभरती स्वास्थ्य समस्या (Infectious Disease 2025) साबित हो सकती है। इन्फ्लूएंजा वायरस भी गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Thursday, December 26, 2024

साल 2024 जाने को है और साल 2025 आने को है। नए वर्ष के स्वागत के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी है। सबसे अधिक जरूरी है संक्रामक बीमारियों से बचाव के उपाय करना। हाल में ब्रिटेन के एक यूनिवर्सिटी के शोध बताते हैं कि 2025 में एक ऐसी संक्रामक बीमारी उभरेगी, जो बहुत बड़ी समस्या बनकर हमारे सामने होगी। आइये जानते हैं शोध और बीमारी के बारे में।

तीन संक्रामक रोग हो सकते हैं समस्या का बड़ा कारण (Infectious Disease)

साल 2020 में कोविड अचानक सामने आया। यह तेजी से दुनिया भर में फैला और लाखों लोगों की जान ले ली। तब से ज़्यादातर लोग अगली बड़ी संक्रामक बीमारी के उभरने को लेकर सशंकित हैं। वह चाहे वायरस हो, बैक्टीरिया हो, फंगस हो या कोई भी पैथोजेन। वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइज़ेशन भी यह चेतावनी दे चुका है कि सबसे बड़ी चिंता का विषय तीन संक्रामक रोग हैं- मलेरिया (पैथोजेन), एचआईवी (वायरस) और टीबी (बैक्टीरिया)। इनसे हर साल लगभग 20 लाख लोगों की मौत हो जाती है। आमतौर पर उनके इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं, जैसे कि एंटीबायोटिक्स और एंटीवायरल के प्रति प्रतिरोधी हो जाना स्थिति को बिगाड़ देता है। इसमें इन्फ्लूएंजा वायरस भी शामिल हो सकता है।

इन्फ्लूएंजा वायरस पैदा कर सकता है गंभीर समस्या ( Influenza Virus in Human)

ब्रिटेन के नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के शोध बताते हैं कि इन्फ्लूएंजा वायरस भी चिंता का विषय बन सकता है। 2025 में यह एक गंभीर समस्या पैदा कर सकता है। यह इन्फ्लूएंजा ए सबटाइप H5N1 है, जिसे कभी-कभी “बर्ड फ्लू” भी कहा जाता है। यह वायरस जंगली और घरेलू पक्षियों, मुर्गी पालन में व्यापक रूप से फैलता है। हाल ही में, यह कई अमेरिकी राज्यों में डेयरी मवेशियों को भी संक्रमित कर रहा है। जब पक्षियों में इन्फ्लूएंजा के मामले बढ़ने लगते हैं, तो हमेशा यह चिंता बनी रहती है कि यह इंसानों में भी फैल सकता है। वास्तव में बर्ड फ्लू इंसानों को संक्रमित कर सकता है। इस साल अमेरिका में 61 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से ज़्यादातर संक्रमित मवेशियों के संपर्क में आने वाले खेत मजदूरों और कच्चा दूध पीने वाले लोगों के कारण हुए हैं।

इन्फ्लूएंजा वायरस का रेप्लिकेशन ( Influenza Virus)

मानव संक्रमण से 30% मृत्यु दर के साथ, बर्ड फ्लू सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों की प्राथमिकताओं की सूची में तेज़ी से ऊपर आ रहा है। H5N1 बर्ड फ्लू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है, जिससे मनुष्यों में महामारी फैलने की संभावना बहुत कम हो जाती है। इन्फ्लूएंजा वायरस को कोशिकाओं के बाहर सियालिक रिसेप्टर्स नामक आणविक संरचनाओं से जुड़ना पड़ता है, ताकि वे अंदर जा सकें और रेप्लिकेट करना शुरू कर सकें। फ्लू वायरस मनुष्यों के लिए अत्यधिक अनुकूलित होते हैं। वे इन सियालिक रिसेप्टर्स को बहुत अच्छी तरह से पहचानते हैं। इससे उनके लिए कोशिकाओं के अंदर जाना आसान हो जाता है, जो मनुष्यों के बीच उनके प्रसार में योगदान देता है।

बर्ड फ्लू बढ़ा सकता है समस्या (Bird Flu)

बर्ड फ्लू, पक्षी सियालिक रिसेप्टर्स के लिए अत्यधिक अनुकूलित है और मानव रिसेप्टर्स से जुड़ने के दौरान कुछ बेमेल होते हैं। इसलिए अपने वर्तमान रूप में H5N1 मनुष्यों में आसानी से नहीं फैल सकता है। हाल में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि फ्लू जीनोम में एक भी म्युटेशन H5N1 को मानव से मानव में फैलने में सक्षम बना सकता है, जो महामारी को बढ़ावा दे सकता है। यदि बर्ड फ्लू का यह प्रकार उस स्विच को बनाता है और मनुष्यों के बीच संचार करना शुरू कर सकता है, तो यह गंभीर संकट उत्पन्न कर सकता है।

बचाव के उपाय जरूरी (Prevention from epidemic)

दुनिया भर में रोग नियंत्रण केंद्रों ने बर्ड फ्लू और अन्य बीमारियों के महामारी रूप में फैलने की आशंका को देखते हुए यू.के. ने 2025 के लिए H5 वैक्सीन की 5 मिलियन खुराकें खरीदी हैं, जो बर्ड फ्लू से बचा सकती हैं। नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार, मलेरिया, एचआईवी, टीबी और अन्य पैथोजेंस धीमी महामारी साबित हो सकता है। इनसे बचाव के उपाय और उनसे निपटने की तैयारी जरूरी है। भारत को भी इन बीमारियों के महामारी रूप में फैलने को देखते हुए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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