भारत में हार्ट डिजीज से बढ़ रही मौतें! Lancet Study से खुली बड़ी सच्चाई

भारत में हार्ट डिजीज से बढ़ रही मौतें! Lancet Study से खुली बड़ी सच्चाई

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, May 21, 2025

Last Updated On: Wednesday, May 21, 2025

Lancet Study: दर्द से अपनी छाती को पकड़े हुए एक व्यक्ति, जो हृदयाघात के खतरे का प्रतीक है; हिंदी में लिखा गया पाठ लैंसेट अध्ययन के आधार पर भारत में हृदय रोग से होने वाली मौतों में वृद्धि के बारे में चेतावनी देता है.
Lancet Study: दर्द से अपनी छाती को पकड़े हुए एक व्यक्ति, जो हृदयाघात के खतरे का प्रतीक है; हिंदी में लिखा गया पाठ लैंसेट अध्ययन के आधार पर भारत में हृदय रोग से होने वाली मौतों में वृद्धि के बारे में चेतावनी देता है.

सुप्रसिद्ध मेडिकल जर्नल लांसेट के साउथ ईस्ट एशिया के लोगों पर की गई स्टडी बताती है कि कार्डियोवैस्कुलर हार्ट डिजीज भारत में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है. यह प्रवृत्ति वर्ष 2015 के बाद से और अधिक बढ़ी है.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Wednesday, May 21, 2025

Lancet Study: जब कोरोनरी धमनियों (Coronary Arteries) को पर्याप्त खून, ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाता है, तो कई तरह की ह्रदय की बीमारियां (CVD) हो सकती हैं. कोलेस्ट्रॉल डिपोजिशन या प्लाक भी इसके कारण हो सकते हैं. ये बिल्डअप धमनियों को संकीर्ण कर देते हैं, जिससे हृदय में खून का प्रवाह कम होता है। इसके कारण सीने में दर्द, सांस की तकलीफ या यहां तक कि दिल का दौरा पड़ सकता है. हाल के कुछ वर्षों में भारत में कार्डियोवैस्कुलर हार्ट डिजीज मृत्यु का एक प्रमुख कारण बन गया है। सुप्रसिद्ध मेडिकल पत्रिका लांसेट की स्टडी भी इस ओर इशारा करती है.

क्या कहती है लांसेट की स्टडी (The Lancet Research on CVD in India)

भारत में मृत्यु और विकलांगता का प्रमुख कारण हृदय रोग (CVD) बन गया है। भारतीयों में सीवीडी (Cardio Vascular Disease) का जोखिम हाल के दिनों में बहुत बढ़ गया है. लांसेट में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, प्रारंभिक जीवन के प्रभावों के कारण होने वाले फेनोटाइपिक परिवर्तनों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. पोषण, पर्यावरणीय कारक, सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक परिवर्तन भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार माने जा सकते हैं. पारंपरिक जोखिम कारक भी अन्य देशों की आबादी की तुलना में भारतीयों के बीच भिन्न हो सकते हैं. प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर कारक भी बचपन, किशोरावस्था और युवा जीवन को प्रभावित करते हैं. शोध ने लिपिड मेटाबोलिज्म, ग्लूकोज मेटाबोलिज्म और आनुवंशिक कारणों को भी हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ाने वाला माना है.

2015 से बढ़े ह्रदय रोग के मामले (Heart Disease Cases rise in India)

भारत का जाना-माना हॉस्पिटल मैक्स हेल्थकेयर और अन्य स्रोत भी इस ओर संकेत देते हैं, ‘हृदय रोग (सीवीडी) वास्तव में भारत में मृत्यु का प्रमुख कारण बन गया है। यह प्रवृत्ति 2015 से स्पष्ट हो गई है, जिससे भारत हृदय की मृत्यु दर के लिए एक वैश्विक हॉटस्पॉट बन गया है’.

क्या हो सकती है वजह (Causes of Cardiovascular Disease)

लांसेट के अनुसार, स्टडी में पाया गया कि सीवीडी के कारण हुई 85% मौतों के लिए दिल का दौरा और स्ट्रोक कारण बने थे. CVD की 75% से अधिक मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं, जहां हाई ब्लड प्रेशर इसका मुख्य कारण बनता है. हाल के कुछ वर्षों में भारत में अंडर 40 वयस्कों में हार्ट अटैक की दरें भी बढ़ रही हैं. आनुवंशिक कारक और शहरी जीवन शैली इसकी मुख्य वजह हो सकती है. धूम्रपान, नशीली दवाओं का उपयोग, तनाव, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापा जोखिम को कई गुना बढ़ा देते हैं.

कैसे किया जा सकता है सीवीडी से बचाव (Cardiovascular Disease Prevention)

लांसेट के आलेख में शोधकर्ताओं ने बताया कि स्वस्थ, संतुलित आहार खाने से ह्रदय रोगों से बचाव किया जा सकता है. शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय रहने और हेल्दी वेट मैनेजमेंट से हार्ट डिजीज से बचाव किया जा सकता है. इनके अलावा, धूम्रपान छोड़ने, शराब की खपत कम करने, रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रण में रखने और डॉक्टर द्वारा बताई दवा लेना भी बेहद जरूरी है.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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