Mental Health: देश में 1 लाख लोगों पर एक से भी कम मनोचिकित्सक, कैसे बढ़िया हो मेंटल हेल्थ

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, January 2, 2025

Last Updated On: Thursday, January 2, 2025

Mental Health: 1 lakh logon par ek se kam psychiatrist, kaise sudharein mental health
Mental Health: 1 lakh logon par ek se kam psychiatrist, kaise sudharein mental health

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत की लगभग 7.5% आबादी मानसिक विकारों से पीड़ित है। देश में प्रति 100,000 लोगों पर एक से भी कम मनोचिकित्सक हैं। मानसिक रूप से स्वस्थ होने के लिए सभी को प्रयास (Mental Health) करना चाहिए।

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Thursday, January 2, 2025

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने हाल में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति भारत (Mental Health Status in India) के दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण मोड़ को चिह्नित किया था। इसमें मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों को जानने-समझने और मानसिक रोगियों की देखभाल पर अधिक ध्यान देने की बात भी कही गई। पहले भारत में मानसिक स्वास्थ्य को काफी हद तक नजरअंदाज किया जाता था। मानसिक बीमारियों को लेकर लोगों में शर्म और भ्रान्ति भी थी। हाल के कुछ वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता आई है। सभी लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ (Mental Health) होने का प्रयास करना चाहिए

कितना महत्वपूर्ण है मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health Status)

भारत में मानसिक स्वास्थ्य गलत समझा जाने वाला विषय बना हुआ था। लगभग 14% भारतीयों को सक्रिय मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता थी। इसके बावजूद राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-16) में पाया गया कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लगभग 80% लोग सोशल स्टिग्मा, जागरूकता की कमी या देखभाल तक सीमित पहुंच के कारण मदद नहीं लेते हैं।

भावनात्मक वेलनेस है जरूरी (emotional Wellness)

मानसिक स्वास्थ्य का मतलब सिर्फ मानसिक बीमारी से ही नहीं है। इसमें भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सोशल वेलनेस भी शामिल है, जो व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करता है। एक स्वस्थ दिमाग प्रोडक्टिव लाइफ का आधार है। भारत जैसे देश के लिए जो 2047 तक विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करने का लक्ष्य है, मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है।

भारत में क्या है स्थिति (Mental Health Status in India)

भारत गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत की लगभग 7.5% आबादी मानसिक विकारों से पीड़ित है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-16) से पता चला है कि लगभग 15% भारतीय वयस्कों को सक्रिय मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता है। इसके लिए पर्याप्त धन नहीं है। चौंकाने वाली बात यह है कि देश में प्रति 100,000 लोगों पर एक से भी कम मनोचिकित्सक हैं। WHO ने प्रति 100,000 पर तीन मनोचिकित्सक होने की सिफारिश की है। भारत में मानसिक विकारों के लिए उपचार का अंतर 70-92% के बीच है। World Economic Forum के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान का अनुमान 2012 और 2030 के बीच 1.03 ट्रिलियन डॉलर है।

विदेश में क्या है स्थिति

अमेरिका मानसिक स्वास्थ्य पर सालाना 238 बिलियन डॉलर से ज़्यादा खर्च करता है। वहां हर 100,000 लोगों पर लगभग 12 मनोचिकित्सक हैं। इसी तरह, यूरोप में मानसिक स्वास्थ्य प्रणाली अच्छी तरह से विकसित है। जर्मनी जैसे देश हर 10,000 लोगों पर 18 से ज़्यादा मनोरोग विशेषज्ञ उपलब्ध कराते हैं। चीन में 2013 में पहले मानसिक स्वास्थ्य कानून लागू होने के बाद से मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ी है।

मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम 2017: एक महत्वपूर्ण मोड़

मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम, 2017 के अनुसार मानसिक बीमारी मानवाधिकार का मुद्दा है। यह सुनिश्चित करता है कि मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति वाले व्यक्तियों के साथ बहिष्कृत जैसा व्यवहार न किया जाए। वे कानून के तहत देखभाल, उपचार और सुरक्षा के हकदार हों। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं सभी के लिए उपलब्ध होनी चाहिए, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।

आयुष्मान आरोग्य मंदिर (Mental health Service)

आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण को अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में जाना जाता है। सरकार ने 1.73 लाख से अधिक उप-स्वास्थ्य केंद्रों (एसएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में सफलतापूर्वक अपग्रेड किया है। इससे मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं जमीनी स्तर पर उपलब्ध होंगी।

मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखें (Take Care of Mental Health)

नियमित व्यायाम करें। हर दिन सिर्फ़ 30 मिनट पैदल चलने से मूड अच्छा हो सकता है और सेहत में सुधार हो सकता है। स्वस्थ, नियमित भोजन करें और हाइड्रेटेड रहें। नींद को प्राथमिकता दें। लक्ष्य और प्राथमिकताएं निर्धारित करें। धन्यवाद कहने का अभ्यास करें। सकारात्मक रहें। लोगों से जुड़े रहें।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ) 

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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