Old Age Lifestyle: जीवन शैली और अपने दृष्टिकोण में सुधार कर बुढ़ापा को किया जा सकता है स्वस्थ और खुशहाल

Old Age Lifestyle: जीवन शैली और अपने दृष्टिकोण में सुधार कर बुढ़ापा को किया जा सकता है स्वस्थ और खुशहाल

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Published On: Friday, December 6, 2024

Last Updated On: Friday, April 25, 2025

old age health and happiness lifestyle
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यदि "औसत जीवन प्रत्याशा" में से "औसत स्वस्थ जीवन प्रत्याशा" का मूल्य घटा दें, तो पुरुषों के पास लगभग 9 वर्ष और महिलाओं के पास लगभग 12 वर्ष का समय बचता है। यही वह ख़ास अवधि है जब एक बुजुर्ग को दूसरों द्वारा देखभाल की ज़्यादा ज़रूरत होती है।

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Last Updated On: Friday, April 25, 2025

परिवार की संरचना में बदलाव और भागदौड़ भरी ज़िंदगी में बुढ़ापे की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। जीवन के नियम आपके अपने हाथ में हैं। इसलिए अच्छी तरह जिएं और सब कुछ शांति से स्वीकार करें। यह भी उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य सुविधाओं और खानपान में जरूरी पोषक तत्वों पर ध्यान देने के साथ जीवन की प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) निश्चित रूप से बढ़ी है। बुढ़ापे के डर और उसे दूर रखने के उपाय की ओर अब लोग बहुत ध्यान देने लगे हैं। जानते हैं ओल्ड एज में कैसे खुशहाल और स्वस्थ रहा जा सकता है।

अच्छे स्वास्थ्य के साथ शतायु होने के गुर (Health & Fitness) 

कुछ दिनों पहले जापान के एक मनोचिकित्सक हिडेकी वाडा ने “80-ईयर-ओल्ड वॉल” नामक की एक रोचक पुस्तक प्रकाशित की, जो बड़ी लोकप्रिय हुई। इसने पाठकों के बीच तहलका मचा दिया है। अपने तीन दशकों से कुछ ज्यादा लंबे चिकित्सकीय जीवन में उन्होंने कई हज़ार रोगियों का सफल उपचार किया। यह पुस्तक अच्छे स्वास्थ्य के साथ शतायु होने के गुड़ बताती है। गौरतलब है कि जापान में औसत स्वस्थ जीवन प्रत्याशा (Average healthy life expectancy) पुरुषों के लिए 72.68 वर्ष और महिलाओं के लिए 75.38 वर्ष आंकी गई है। “औसत जीवन प्रत्याशा” की बात करें, तो यह जापानी पुरुष के लिए 81.64 वर्ष और महिलाओं के लिए 87.74 वर्ष है।

संतोषजनक और तृप्तिदायी बुढ़ापा (Life Expectancy) 

यदि “औसत जीवन प्रत्याशा” में से “औसत स्वस्थ जीवन प्रत्याशा” का मूल्य घटा दें, तो पुरुषों के पास लगभग 9 वर्ष और महिलाओं के पास लगभग 12 वर्ष का समय बचता है। यही वह ख़ास अवधि है जब एक बुजुर्ग को दूसरों द्वारा देखभाल की ज़्यादा ज़रूरत होती है। इस अवधि को कैसे कम किया जाए, इस प्रश्न का हल ढूंढते हुए डॉ. वाडा ने कुछ मार्गदर्शक नियम और अभ्यास खोजे हैं। उनके सुझाव ऐसे हैं जिनसे बुढ़ापे को एक संतोषजनक और तृप्तिदायी अवधि में रूपांतरित किया जा सकता है।

बार-बार नींद की गोलियां नहीं लें (Sleeping Pills) 

डॉ. वाडा कहते हैं कि बुजुर्गों को बार-बार नींद की गोलियां नहीं लेनी चाहिए। बढ़ती उम्र के साथ नींद में कमी आना स्वाभाविक है। जब सोना हो तब सो जाओ, जब उठना हो तब उठो, यह बुजुर्गों का विशेषाधिकार है। ऐसे ही कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कोई ज़्यादा चिंता की बात नहीं है, क्योंकि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए प्रतिरक्षा कोशिकाओं के लिए ज़रूरी कच्चा माल होता है। जितनी अधिक मात्रा में ये कोशिकाएं मौजूद होंगी, कैंसर का खतरा उतना ही कम होगा। इसके अलावा, पुरुष हार्मोन का एक हिस्सा कोलोस्ट्रॉल से बना होता है। यदि कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत कम है, तो पुरुषों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं होगा। यही बात रक्तचाप के बारे में भी है। रक्तचाप भी बहुत कम होना ख़तरनाक है। यह कुपोषित लोगों में होता है।

हर स्तर पर सक्रियता (Physical Fitness) 

डॉ. वाडा ने अपने अनुभव और अनुसंधान से 80 वर्षीय लोगों के “भाग्यशाली लोग” बनने के अनेक रहस्यों को उजागर किया है। उनका पहला सुझाव हर स्तर पर सक्रियता बनाए रखने को लेकर है। बुजुर्गों को खूब चलना चाहिए, धूप सेंकनी चाहिए और ऐसे व्यायाम करने चाहिए, जिनसे शरीर न अकड़े। उनको मनपसंद काम करना चाहिए। चाहे कुछ भी हो उनको हर समय घर पर पड़े नहीं रहना चाहिए। उन्हें कई बार थोड़ा-थोड़ा आहार लेते रहना चाहिए। आप जितनी बार चबाएंगे, शरीर और मस्तिष्क उतना ही ऊर्जावान रहेगा। आराम-आराम से आसानी से सांस लेनी चाहिए। जब किसी कारणवश चिढ़ लगे तो गहरी सांस लेनी चाहिए। गर्मियों में एयर कंडीशनर का उपयोग करते हुए ज़्यादा से ज़्यादा पानी पीना चाहिए।

खुश करने वाली चीज़ें करते रहें (Happiness) 

बुढ़ापे में लोगों में भूलने की समस्या पैदा होती है। यह समझना ज़रूरी है कि उम्र बढ़ने के कारण ऐसा नहीं होता, बल्कि मस्तिष्क को लंबे समय तक उपयोग में न लाने से ऐसा होता है। बुजुर्गों को अधिक दवा भी नहीं लेनी चाहिए। रक्तचाप (Blood Pressure) और रक्त शर्करा-स्तर (Blood Sugar Level) को जानबूझकर कम करने की ज़रूरत नहीं है। वे जो चाहें खाएं, थोड़ा स्थूलकाय होना ठीक है। अगर नींद नहीं आ रही है तो उसके लिये खुद को मजबूर न करें। बीमारी से अंत तक लड़ने के बजाय, उसके साथ सह-अस्तित्व में रहना बेहतर युक्ति है। खुश करने वाली चीज़ें करते रहना मस्तिष्क की गतिविधि को सुचारू बनाए रखने के लिए ज़्यादा ठीक साबित हुआ है। सीखना बंद करते हुए आदमी बूढ़ा होने लगता है। कार्य की आदतों को लेकर डॉ. वाडा का सुझाव है कि हर काम सावधानी से करना चाहिए। ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए जिनसे उनको नफरत हो। बहुत ज़्यादा या हर समय टीवी न देखें। खानपान में ताजा फल और सलाद का अधिक उपयोग लाभकर होता है।

इत्मीनान से जीयें 

परोपकार का जीवन दर्शन सबसे अच्छा है। इसलिए ऐसे काम करें जो दूसरों के लिए अच्छे हों। डॉ. वाडा की मानें तो प्रसिद्धि पाना ठीक है, पर उसके लिए लालची नहीं होना चाहिए। आदमी के पास कुछ भी है वह बहुत अच्छा है और उसका आनंद उठाना चाहिए। जो परेशान करने वाली चीजें होती हैं, वे उतनी ही दिलचस्प होती हैं और अवसर देती हैं। हमें आशावादी बने रहना चाहिए। बुढ़ापा तब “भाग्यशाली” बन जाता है। इसे अच्छी तरह जीने की ज़रूरत है। इत्मीनान से जीयें, बिना किसी हड़बड़ी के।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ) 

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अरुण श्रीवास्तव पिछले करीब 34 वर्ष से हिंदी पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। लगभग 20 वर्ष तक देश के नंबर वन हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण में फीचर संपादक के पद पर कार्य करने का अनुभव। इस दौरान जागरण के फीचर को जीवंत (Live) बनाने में प्रमुख योगदान दिया। दैनिक जागरण में करीब 15 वर्ष तक अनवरत करियर काउंसलर का कॉलम प्रकाशित। इसके तहत 30,000 से अधिक युवाओं को मार्गदर्शन। दैनिक जागरण से पहले सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल (हिंदी), चाणक्य सिविल सर्विसेज टुडे और कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू के संपादक रहे। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, करियर, मोटिवेशनल विषयों पर लेखन में रुचि। 1000 से अधिक आलेख प्रकाशित।
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