बॉलीवुड की 6 फिल्में, जिसमें दिखाए गए इमरजेंसी के हालात

बॉलीवुड की 6 फिल्में, जिसमें दिखाए गए इमरजेंसी के हालात

Authored By: Ranjan Gupta

Published On: Tuesday, June 24, 2025

Last Updated On: Tuesday, June 24, 2025

6 Best Movies on Emergency 1975
6 Best Movies on Emergency 1975

6 Best Movies on Emergency 1975: आपातकाल 1975 भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का एक काला अध्याय माना जाता है, जिसने ना केवल संविधान और नागरिक अधिकारों को प्रभावित किया बल्कि देश की राजनीति, मीडिया और समाज में गहरी उथल-पुथल मचा दी. इस दौर की सच्चाई को पर्दे पर लाने के लिए कई फिल्मकारों ने प्रयास किए हैं. इस लेख में हम उन प्रमुख फिल्मों की चर्चा करेंगे, जो 1975 के आपातकाल को केंद्र में रखकर बनाई गई हैं.

Authored By: Ranjan Gupta

Last Updated On: Tuesday, June 24, 2025

25 जून 1975 की वह रात भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक ऐसा मोड़ लेकर आई, जिसे आज भी ‘काले दौर’ के रूप में याद किया जाता है. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल ने देश की संवैधानिक संस्थाओं, प्रेस की स्वतंत्रता और आम नागरिकों के अधिकारों पर गहरा असर डाला. इस संवेदनशील और ऐतिहासिक विषय को सिनेमा ने भी नजरअंदाज नहीं किया. 

भारतीय फिल्मों में आपातकाल की पृष्ठभूमि पर आधारित कई कहानियाँ सामने आई हैं, जिन्होंने इस कालखंड की भयावहता, विरोध, दमन और प्रतिरोध को बड़े पर्दे पर लाने का काम किया. इस लेख में हम ऐसी ही फिल्मों के बारे में बात करेंगे जो आपातकाल के इतिहास से रूबरू कराती हैं.

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‘किस्सा कुर्सी का’

यह फिल्म इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी पर बनी थी. फिल्म का डायरेक्शन अमृत नाहटा ने किया था और भगवंत देशपांडे, विजय कश्मीरी और बाबा मजगांवकर प्रोड्यूसर्स थे. फिल्म में शबाना आजमी, उत्पल दत्त जैसे मंझे हुए कलाकार थे. हालांकि इससे संजय गांधी काफी नाराज थे और फिल्म को लेकर काफी विवाद हुआ था.

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नसबंदी (1978)

इमरजेंसी का दौर सरकार द्वारा अनिवार्य किए गए नसबंदी के कारण भी याद किया जाता है. 1978 में आई इस फिल्म में व्यंग्य के रूप में इस मुद्दे को दिखाया गया था. 1978 में आई इस फिल्म को 1978 में रिलीज किया गया था और फिल्म का निर्देशन आईएस जौहर ने किया था. इस फिल्म में इमरजेंसी और उस दौरान देश में पैदा हुई स्थितियों का चित्रण किया गया है.

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हजारों ख्वाहिशें ऐसी (2005)

के के मेनन, चित्रांगदा सिंह और शाइनी आहूजा स्टारर इस फिल्म को सुधीर मिश्रा ने डायरेक्ट किया था. हजारों ख्वाहिशें ऐसी का बैकग्राउंड भी आपातकाल ही है. इस फिल्म में राजनीतिक और सामाजिक बदलावों को दिखाया गया है. बता दें कि इन सभी फिल्मों के रिलीज के दौरान काफी विवाद हुआ और कई फिल्मों को रिलीज होने के लिए काफी लंबा इंतजार भी करना पड़ा था.

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बादशाहो (2017)

अजय देवगन, इलियाना डीक्रूज, इमरान हाशमी, विद्युत जामवाल, ईशा गुप्ता और संजय मिश्रा स्टारर बादशाहो 2017 की सबसे लोकप्रिय फिल्मों में से एक है. इस फिल्म का प्लॉट भी इमरजेंसी पर ही आधारित है. हालांकि, इसमें कई और ऐतिहासिक किस्सों को भी समेटा गया है.

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इंदु सरकार (2017)

मधुर भंडारकर ने इमरजेंसी के समय पर आधारित फिल्म बनाई थी. हालांकि, 2017 में आई इस फिल्म को लेकर कांग्रेस ने काफी हंगामा किया था, जिसमें गांधी परिवार की कहानी दिखाई गई है. फिल्म में 1975 से 1977 तक 19 महीने में देश में पैदा हुई स्थितियों को दिखाया गया है. इस फिल्म को लेकर काफी विवाद उठा था और फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर को काफी विरोध का सामना करना पड़ा था.

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इमरजेंसी (2025)

कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी 1975 में भारत में लगाए गए आपातकाल की पृष्ठभूमि पर आधारित एक राजनीतिक ड्रामा है. इस फिल्म का निर्देशन कंगना रनौत ने किया है और उन्होंने ही इसमें भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मुख्य भूमिका भी निभाई है. फिल्म मुख्य रूप से 1975 से 1977 तक के 21 महीनों के आपातकाल के दौरान की घटनाओं पर केंद्रित है.

हालांकि, फिल्म आपातकाल तक ही सीमित नहीं है. यह इंदिरा गांधी के बचपन से लेकर उनके प्रधानमंत्री बनने, बांग्लादेश मुक्ति युद्ध, ऑपरेशन ब्लू स्टार और उनकी हत्या तक की घटनाओं की झलक भी दिखाती है.

About the Author: Ranjan Gupta
रंजन कुमार गुप्ता डिजिटल कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें डिजिटल न्यूज चैनल में तीन वर्ष से अधिक का अनुभव प्राप्त है. वे कंटेंट राइटिंग, गहन रिसर्च और SEO ऑप्टिमाइजेशन में माहिर हैं. शब्दों से असर डालना उनकी कला है और कंटेंट को गूगल पर रैंक कराना उनका जुनून! वो न केवल पाठकों के लिए उपयोगी और रोचक लेख तैयार करते हैं, बल्कि गूगल के एल्गोरिदम को भी ध्यान में रखते हुए SEO-बेस्ड कंटेंट तैयार करते हैं. रंजन का मानना है कि "हर जानकारी अगर सही रूप में दी जाए, तो वह लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर सकती है." यही सोच उन्हें हर लेख में निखरने का अवसर देती है.
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