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गुलजार की Aandhi के 50 साल: ऐसी फिल्म जिससे कांप गई थी सरकार
गुलजार की Aandhi के 50 साल: ऐसी फिल्म जिससे कांप गई थी सरकार
Authored By: संतोष आनंद
Published On: Tuesday, June 24, 2025
Last Updated On: Tuesday, June 24, 2025
1975 में रिलीज हुई गुलजार की फिल्म ‘आंधी’ (Aandhi) सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं थी। यह राजनीति, समाज और रिश्तों की परतों को खोलती एक ऐसी फिल्म थी, जिसने इमरजेंसी के दौर में सरकार की नींद उड़ा दी थी। सेंसर बोर्ड से पास होने के बावजूद फिल्म पर बैन लगाया गया था। आज 50 साल बाद भी ये फिल्म उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस समय थी।
Authored By: संतोष आनंद
Last Updated On: Tuesday, June 24, 2025
जब एक फिल्म से कांप गई थी सरकार
हाल ही में जब तमिल फिल्म ‘बैड गर्ल’ के ट्रेलर को लेकर बवाल हुआ कि उसमें नाबालिग लड़की को शराब पीते दिखाया गया, तो सोशल मीडिया पर कई लोगों ने पुराने डायरेक्टर्स को मिस किया। लेकिन गुलजार तो 1975 में ही ये सब कर चुके थे। उन्होंने ‘आंधी’ में एक ऐसी महिला की कहानी कही जो शराब-सिगरेट पीती है, पति और बेटी को छोड़कर राजनीति की ऊंचाइयों को छूने निकलती है और वह भी बिना किसी पछतावे के।
आरती देवी’ या ‘इंदिरा गांधी’?
फिल्म की कहानी आरती देवी (सुचित्रा सेन) और उनके पति जे.के. (संजय कुमार) के रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है। एक तरफ महत्वाकांक्षी पत्नी, दूसरी तरफ संतुष्ट पति। जब सोच टकराई, तो रास्ते अलग हो गए। लेकिन इसी कहानी में दर्शकों ने इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की झलक देखी। सफेद साड़ी, सफेद बालों की लटें, आत्मविश्वासी चाल, सबने इंदिरा की छवि की याद दिला दी।
कुछ पोस्टरों में तो खुलकर लिखा गया- See your Prime Minister on screen। दिल्ली के एक अखबार ने फिल्म को बताया था-स्वतंत्र भारत की एक महान महिला नेता की कहानी।
सेंसर बोर्ड से पास, फिर भी बैन क्यों हुआ?
उस समय सूचना एवं प्रसारण मंत्री आई.के.गुजराल थे, उन्होंने फिल्म देखी और कहा कि सब ठीक है। फिल्म 14 फरवरी, 1975 को वैलेंटाइन डे पर रिलीज हुई। शुरुआत में प्रतिक्रिया धीमी रही, लेकिन धीरे-धीरे फिल्म को लेकर चर्चा गरमाने लगी और जब विपक्षी नेताओं ने गुजरात चुनाव प्रचार में सुचित्रा सेन के शराब-सिगरेट वाले सीन का इस्तेमाल करना शुरू किया, तो सरकार को चिंता सताने लगी। कुछ थिएटरों ने प्रमोशन में लिखा था, See Indira Gandhi in Aandhi। अब तक फिल्म विवाद में पूरी तरह घिर चुकी थी।
फिर आया वह बैन, जिसने फिल्म को ‘क्लासिक’ बना दिया
25 जून, 1975 को इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लागू कर दी। करीब 26 हफ्ते बाद फिल्म पर बैन लगा दिया गया, जबकि यह सफलतापूर्वक चल रही थी। गुलजार उस वक्त मॉस्को फिल्म फेस्टिवल में थे। तभी उन्हें खबर मिली कि फिल्म की स्क्रीनिंग रुक गई है। उस समय सूचना मंत्री बदल चुके थे, अब वी.सी.शुक्ला सूचना मंत्री थे। सेंसर बोर्ड अब पूरी तरह सरकार के दबाव में था।
सेंसरशिप के नाम पर जोड़ा गया सीन
बाद में एक नया सीन फिल्म में जोड़ा गया जिसमें आरती देवी इंदिरा गांधी की तस्वीर के सामने खड़ी होकर कहती है कि
वो मेरी आदर्श थीं, मैं देश की सेवा करना चाहती हूं। गुलजार ने कहा कि ये सीन जोड़ने को सरकार ने मजबूर किया, जबकि फिल्म पहले ही 23वें-24वें हफ्ते में थी।
गुलजार का सच कब सामने आया?
फिल्म के निर्माता जे.ओम प्रकाश और गुलजार बार-बार कहते रहे कि फिल्म का इंदिरा गांधी से कोई लेना-देना नहीं है। कुछ समय बाद उन्होंने कहा कि उस समय यह इंदिरा की कहानी नहीं थी, लेकिन कोई और उतना सशक्त व्यक्तित्व नहीं था। उनकी चाल, सीढ़ियों से उतरना, हेलिकॉप्टर से उतरना, हमने वह चीजें किरदार में जोड़ी थीं। संजय कुमार ने भी बाद में स्वीकार किया कि उनका किरदार फिरोज गांधी से प्रेरित था।
1977 में फिर से रिलीज और जबरदस्त सफल रही
जब इमरजेंसी हटी और जनता पार्टी की सरकार आई, तो आंधी को दोबारा रिलीज किया गया और इस बार यह एक बैन की गई क्लासिक बन चुकी थी।
रिश्ते की अनोखी कहानी
उस समय की फिल्मों में महिलाओं को या तो त्याग की देवी दिखाया जाता था या फिर ‘दोषी’, लेकिन गुलजार ने आरती देवी को न तो महिमामंडित किया, न विलेन बनाया, बल्कि इंसान की तरह पेश किया। जे.के. का किरदार भी एक सिंगल पिता के रूप में संवेदनशील ढंग से लिखा गया।
संगीत ऐसा कि दिल में उतर जाए
आर.डी. बर्मन और गुलजार की जोड़ी ने ऐसा जादू रचा कि आज भी इसके गाने अमर हैं:
- तुम आ गए हो, नूर आ गया है
- इस मोड़ से जाते हैं
- तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं
कश्मीर के ऐतिहासिक खंडहरों में शूट हुए ये गाने आज भी रिश्तों की टूट-फूट और उम्मीदों की कहानी कहते हैं। ‘आंधी’ सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, वह सवाल थी सत्ता से, समाज से और खुद से भी और 50 साल बाद भी इसका जवाब ढूंढ़ने की कोशिश आज भी जारी है।