किसके सिर सजेगा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष का ताज
Authored By: BN Verma, Political Analyst
Published On: Friday, June 28, 2024
Updated On: Friday, June 28, 2024
लोकसभा चुनाव के बाद, इस समय भाजपा में नये अध्यक्ष पद को लेकर अटकलें तेज हैं क्योंकि वर्तमान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मोदी कैबिनेट का हिस्सा हो गये हैं। उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है।
हाईलाइट
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में केंद्र में तीसरी बार एनडीए गठबंधन की सरकार ने अपना कामकाज संभाल लिया है। तमाम अटकलों के बीच लोकसभा अध्यक्ष का चयन भी हो गया है। न मोदी मंत्रिमंडल के प्रमुख विभागों में कोई बदलाव हुआ है और न ही लोकसभा अध्यक्ष ही बदले गये हैं। विपक्ष की तमाम कोशिशों व प्रलोभनों के बाद एनडीए गठबंधन के सहयोगी पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय के साथ एकजुट हैं। इसी बीच नये भाजपा अध्यक्ष को लेकर अटकलें तेज हैं। हर कोई यही पूछ रहा है कि विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल के अध्यक्ष पद का ताज किसके सिर पर सजेगा।
ऐसा अध्यक्ष जिसे संघ भी करे पसंद
जेपी नड्डा को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने के बाद अब भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष का बदला जाना तय है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत लागू है। जुलाई महीने में नया अध्यक्ष चुना जाना है। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी तय समय में अध्यक्ष का चुनाव कर नयी रणनीतियों पर नये सिरे से काम करना चाहती है। ऐसे में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष जरूरी है। गौरतलब है कि आगामी कुछ महीनों में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होना है। इसके अलावा साल 2025 में दिल्ली और बिहार में भी में चुनाव होंगे। वहीं यदि सब कुछ ठीकठीक रहा तो जम्मू-कश्मीर में भी इसी वर्ष चुनाव की संभावना टटोली जा रही है।
एक सशक्त व सक्षम अध्यक्ष की जरूरत
ऐसे में इतनी सारी विधानसभाओं के चुनावों के पहले सटीक और जीत दिलाने वाली रणनीति तैयार करने के लिए भाजपा को एक नये और सशक्त अध्यक्ष की जरूरत है। भाजपा इस बार पार्टी की कमान किसी ऐसे व्यक्ति को देना चाहती है जिसके पास संगठन का तो अनुभव हो ही साथ ही संघ से भी उसकी नजदीकियां हो। ताकि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र और हरियाणा में हुए नुकसान की भरपाई कर पार्टी की सियासी जमीन को दोबारा से मजबूत किया जा सके। पिछले दिनों इस बात की जोरदार चर्चा थी कि जे पी नड्डा के बयान से आहत होकर संघ कार्यकर्ता उतने सक्रिय नहीं हुए जिससे पार्टी को बहुमत से दूर रह जाना पड़ा था।
विनोद तावड़े (Vinod Tawde) को मिल सकती है कमान
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की चर्चा के बीच कई नामों की चर्चा तेज है। भाजपा के कई करीबी सूत्र दावा कर रहे हैं कि इस बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महाराष्ट्र से हो सकते हैं। इस संबंध में जिस नाम की सबसे अधिक चर्चा है वह हैं विनोद तावड़े। महाराष्ट्र से आने वाले विनोद तावड़े कुशल प्रशासक के साथ-साथ कुशल संगठनकर्ता भी हैं। विनोद तावड़े हरियाणा के प्रभारी भी रह चुके हैं। इनके प्रभारी रहते ही हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार बनी थी। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस साल के अंत में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में इन्हें भाजपा अध्यक्ष बनाने से प्रदेश में एक अच्छा संदेश जाएगा। लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन को देखते हुए यह फैसला विधानसभा चुनाव के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है।
कई और नाम भी चर्चा में
तावड़े के अलावा भी कई और नामों की चर्चा है। इनमें हिमाचल से आने वाले अनुराग ठाकुर, राजस्थान से सुनील बंसल और बिहार से राधामोहन सिंह और हुकुमदेव नारायण यादव का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। ये सभी पार्टी के समर्पित व पुराने कार्यकर्ता हैं और इन सभी के पास संगठन का काम करने का बढ़िया अनुभव होने के साथ साथ इनकी संघ से भी काफी नजदीकी है। जयपुर के रहने वाले सुनील बंसल भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं और संघ (RSS) के पूर्व प्रचारक रहे हैं। देश में भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को मज़बूत और हाईटेक करने में बंसल की बड़ी भूमिका रही थी।
दक्षिण से बीएल संतोष (B L Santosh) आगे
इसी तरह हिमाचल से आने वाले अनुराग ठाकुर युवा भाजपा (BJP) के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे पिछली सरकार में मोदी कैबिनेट का हिस्सा थे लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। ऐसे में कयास लगाये जा रहे हैं कि संभवतः उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इन नामों के अलावा भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष का नाम भी भाजपा अध्यक्ष की दौड़ में शामिल है। बीएल संतोष के पास संगठन में अध्यक्ष के बाद दूसरा सबसे बड़ा पद है। भाजपा अगर इस बार दक्षिण से किसी नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाती है तो इनका नाम सबसे आगे हैं। बीएल संतोष कर्नाटक में संघ के प्रचारक रहे हैं और 2008 में कर्नाटक में भाजपा को सत्ता में लाने में उनकी बड़ी भूमिका रही थी।
अध्यक्ष के चयन में संघ की भूमिका अहम
इस बार जिस भी नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी मिलेगी उनका फ़ोकस इस बात पर रहेगा कि सरकारी योजनाओं के प्रचार से इतर भाजपा में संगठनात्मक गतिविधियों को आगे बढ़ाया जाए और वैचारिक तौर पर कार्यकर्ता को मज़बूत किया जाए। लिहाज़ा राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम संघ की अनुमति के बिना संभव नहीं है।
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