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10 वर्ष का हुआ प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY), अब तक 52.37 करोड़ लाभार्थियों को मिला लाभ
10 वर्ष का हुआ प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY), अब तक 52.37 करोड़ लाभार्थियों को मिला लाभ
Authored By: सतीश झा
Published On: Tuesday, April 8, 2025
Updated On: Tuesday, April 8, 2025
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने 8 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) का शुभारंभ किया था. PMMY — ने 10 गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए हैं. यह योजना देश के छोटे व्यापारियों, स्टार्टअप्स, महिला उद्यमियों और स्वरोजगार से जुड़े करोड़ों लोगों के लिए एक आर्थिक संबल बनकर उभरी है. वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2015 से मार्च 2025 तक इस योजना के अंतर्गत 52.37 करोड़ ऋण स्वीकृत किए गए हैं, जिनकी कुल राशि 33.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक रही है.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Tuesday, April 8, 2025
PMMY 10 years achievements : 10 वर्षों में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ने देश के आर्थिक परिदृश्य में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है. यह योजना भारत को आत्मनिर्भर, रोजगार समर्थ और समावेशी विकास की दिशा में ले जा रही है. इस योजना का सबसे बड़ा लाभ ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे व्यवसायियों, महिला उद्यमियों, युवाओं और स्टार्टअप्स को मिला है. खासतौर से महिलाओं को दिए गए ऋणों की संख्या कुल ऋणों का लगभग 68% है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा, “यह योजना ‘गैर-वित्तपोषितों के वित्तपोषन’ के प्रधानमंत्री जी के दृष्टिकोण की सशक्त अभिव्यक्ति है. इससे लाखों लोगों को स्वरोजगार का अवसर मिला है.”
क्या है मुद्रा योजना?
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के अंतर्गत गैर-कृषि, गैर-कॉर्पोरेट सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को 20 लाख रुपये तक का ऋण बिना किसी जमानत के उपलब्ध कराया जाता है. मुद्रा ऋण अब चार श्रेणियों में प्रदान किए जाएंगे, अर्थात् ‘शिशु’, ‘किशोर’, ‘तरुण’ और नई जोड़ी गई श्रेणी ‘तरुण प्लस’, जो उधार लेने वालों की स्थिति में वृद्धि या विकास के चरण और वित्तपोषण की उनकी आवश्यकताओं को दर्शाती है: –
- शिशु: 50,000/- रुपये तक के ऋण दिए जाते हैं.
- किशोर: 50,000/- रुपये से अधिक और 5 लाख रुपये तक के ऋण दिए जाते हैं.
- तरुण: 5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक के ऋण दिए जाते हैं.
- तरुण प्लस: 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक के ऋण प्रदान किए जाते हैं.
ये ऋण विनिर्माण, व्यापार और सेवा क्षेत्रों में सावधिक वित्तपोषण और कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, जिसमें मुर्गीपालन, डेयरी और मधुमक्खीपालन आदि जैसी कृषि से संबंधित गतिविधियां शामिल हैं. इसकी ब्याज दर भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों से नियंत्रित होती है, जिसमें कार्यशील पूंजी सुविधाओं के लिए लचीली पुनर्भुगतान शर्तें शामिल हैं.
21 मार्च 2025 तक की प्रमुख उपलब्धियां
महिला उधारकर्ताओं को सहायता:
- शिशु श्रेणी के अंतर्गत महिलाओं को कुल ₹8.49 लाख करोड़ का ऋण प्रदान किया गया .
- किशोर श्रेणी में महिलाओं को ₹4.90 लाख करोड़ का ऋण वितरित किया गया.
- तरुण श्रेणी के अंतर्गत महिलाओं को ₹0.85 लाख करोड़ का वित्तीय समर्थन मिला.
अल्पसंख्यक समुदाय को वित्तीय सहायता:
- शिशु श्रेणी में ₹1.25 लाख करोड़
- किशोर श्रेणी में ₹1.32 लाख करोड़
- तरुण श्रेणी में ₹0.50 लाख करोड़ के ऋण वितरित किए गए.
नवीन उद्यमियों / नए खातों की स्थिति:
- शिशु श्रेणी में 8.21 करोड़ खाते खोले गए, जिनमें ₹2.24 लाख करोड़ की राशि स्वीकृत हुई और ₹2.20 लाख करोड़ वितरित किए गए.
- किशोर श्रेणी के तहत 2.05 करोड़ खाते, जिनमें ₹4.09 लाख करोड़ स्वीकृत और ₹3.89 लाख करोड़ का वितरण किया गया.
- तरुण श्रेणी में 45 लाख खाते, जिनमें ₹3.96 लाख करोड़ स्वीकृत और ₹3.83 लाख करोड़ की राशि वितरित की गई.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में 10 वर्ष का प्रेरणादायक सफर
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ने अपने 10 सफल वर्ष पूरे कर लिए हैं, और यह केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मील का पत्थर बन चुकी है. 10 वर्षों में इस योजना के अंतर्गत 52 करोड़ से अधिक मुद्रा ऋण खाते खोले गए हैं, जिनके माध्यम से 33.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की गई है. यह केवल वित्तीय लेन-देन नहीं, बल्कि करोड़ों सपनों को नई उड़ान देने की यात्रा रही है.
सीतारमण ने कहा कि यह योजना उन छोटे और परिश्रमी उद्यमियों, विशेष रूप से पहली पीढ़ी के व्यापारियों, के लिए वरदान साबित हुई है, जिन्हें संस्थागत ऋण प्रणाली में प्रवेश कठिन लगता था. PMMY ने इन लोगों के लिए बिना किसी जमानत के ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें वित्तीय मुख्यधारा से जोड़ा है. यही नहीं, इसने समय पर और किफायती वित्तपोषण के जरिए उनके आत्मविश्वास को भी पुनर्जीवित किया है.
सामाजिक समावेशन का प्रतीक
सीतारमण ने यह भी बताया कि इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों से जुड़े लोगों को अब तक 11.58 लाख करोड़ रुपये के ऋण प्रदान किए जा चुके हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि मुद्रा योजना ने केवल आर्थिक समावेशन ही नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता को भी सुदृढ़ किया है.
PMMY प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मंत्र को जमीनी हकीकत में बदलने वाला प्रभावी औजार साबित हुआ है. यह योजना हर उस नागरिक तक पहुंची है, जो मेहनत करता है, कुछ बनना चाहता है, लेकिन संसाधनों के अभाव में पिछड़ जाता है.
PMMY ने पिछले एक दशक में यह सिद्ध कर दिया है कि यदि सशक्तिकरण के सही साधन, दृष्टिकोण और राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं. आने वाले समय में यह योजना न केवल भारत की आर्थिक रचना को मजबूत करेगी, बल्कि सशक्त नागरिकों वाले सशक्त राष्ट्र की परिकल्पना को भी मूर्त रूप देगी.