‘ट्रेजेडी किंग’ Dilip Kumar के वो Famous Dialogue जो आज भी हैं लोगों के फेवरेट
‘ट्रेजेडी किंग’ Dilip Kumar के वो Famous Dialogue जो आज भी हैं लोगों के फेवरेट
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Wednesday, July 9, 2025
Updated On: Wednesday, July 9, 2025
Indian Cinema के इतिहास में Dilip Kumar का नाम सिर्फ एक अभिनेता के रूप में नहीं, बल्कि अभिनय की एक पूरी पाठशाला के रूप में दर्ज है. उनकी डायलॉग डिलीवरी, एक ऐसी कला थी जिसने उन्हें 'Tragedy King' का खिताब दिलाया और हर Dialogue को एक गहन भावनात्मक अनुभव में बदल दिया. उनके शब्दों में केवल अर्थ ही नहीं, बल्कि आत्मा भी निवास करती थी, जो दर्शकों के हृदय में गहरी छाप छोड़ जाती थी. उनकी आवाज़ का उतार-चढ़ाव, शब्दों का चयन और उनके चेहरे के हाव-भाव, सब मिलकर एक ऐसा ताना-बाना बुनते थे कि संवाद सिर्फ सुनाई नहीं देते थे, बल्कि महसूस किए जाते थे. तो आइए पढ़ते हैं Dilip Kumar Famous Dialogue in hindi, साथ ही संझेप में उनके जीवन परिचय को भी देखेंगे.
Authored By: Ranjan Gupta
Updated On: Wednesday, July 9, 2025
भारतीय सिनेमा के ‘फर्स्ट सुपरस्टार’ और ‘ट्रेजेडी किंग’ के नाम से विख्यात Muhammad Yusuf Khan, जिन्हें दुनिया Dilip Kumar के नाम से जानती है, एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने अपनी अभिनय प्रतिभा से भारतीय सिनेमा को एक नया आयाम दिया. उनकी पहचान सिर्फ उनके आकर्षक व्यक्तित्व या उनकी बहुमुखी प्रतिभा से नहीं थी, बल्कि उनकी Dialogue delivery की अद्वितीय कला से भी थी.
उनकी आवाज़ में एक खास तरह की मिठास, गहराई और दर्द था, जो उन्हें हर किरदार में जान डालने में मदद करता था. चाहे वह एक प्रेमी का दर्द हो, एक विद्रोही का गुस्सा हो, या एक राजा का गौरव, दिलीप कुमार हर संवाद को एक जीवंत अनुभव में बदल देते थे. वे Dialogues को रटते नहीं थे, बल्कि उन्हें जीते थे, जिससे हर शब्द में एक खास एहसास होता था. यही कारण था कि Dilip Kumar Dialogues आज भी लोगों की ज़ुबान पर चढ़े हुए हैं और Bollywood की धरोहर बन गए हैं.
Dilip Kumar Famous Dialogues in Hindi

“जब अमीर का दिल खराब होता हैं ना, तो गरीब का दिमाग खराब होता हैं.” (नया दौर)
” बड़ा आदमी अगर बनना हो तो छोटी हरकतें मत करना.” (विधाता)
“पैदा हुए बच्चे पर जायज़ नाजायज़ की छाप नहीं होती, औलाद सिर्फ औलाद होती है.” (किला)
“हालात, किस्मतें, इंसान, ज़िन्दगी. वक़्त के साथ साथ सब बदल जाता है.“ (मशाल)
“कौन कमबख्त है जो बर्दाश्त करने के लिए पीता है, मैं तो पीता हूं कि बस सांस ले सकूं.” (देवदास)
“मैं किसी से नहीं डरता, मैं जिंदगी से नहीं डरता, मौत से नहीं डरता, अंधेरों से नहीं डरता, डरता हूं तो सिर्फ खूबसूरती से.“ (संगदिल)
“जब पेट की रोटी और जेब का पैसा छिन जाता है ना, तो कोई समझ वमझ नहीं रह जाती है आदमी के पास.“ (नया दौर)
“जो लोग सच्चाई की तरफदारी की कसम कहते हैं. ज़िन्दगी उनके बड़े कठिन इम्तिहान लेती है.” (शक्ति)
“मोहब्बत जो डरती है वो मोहब्बत नहीं..अय्याशी है गुनाह है.“ (मुगल-ए-आजम)
“हक़ हमेशा सर झुकाके नहीं, सर उठाके माँगा जाता है“. (सौदागर)
“कुल्हाड़ी में लकड़ी का दस्ता ना होता, तो लकड़ी के काटने का रास्ता ना होता.“ (क्रांति)
“एक बाप अपने बेटे को कितना भी प्यार क्यों न करे, लेकिन एक मां का प्यार हमेशा सबसे बढ़कर होता है“. (शक्ति)
“इस दुनिया में प्यार से बड़ी कोई ताकत नहीं, और नफरत से बड़ा कोई ज़हर नहीं“. (गोपी)
“अपने ही हाथों से अपनी कब्र खोदने वाले को, कभी खुशी नहीं मिलती“. (गंगा जमुना)
“प्यार देवताओं का वरदान हैं जो केवल भाग्यशालियों को मिलता हैं“. (बैराग)
“प्यार एक ऐसा मीठा जहर है, जो इंसान को अंदर से खोखला कर देता है.“ (अंदाज़)
“जिंदगी में कुछ ऐसे मोड़ आते हैं, जहांं इंसान अकेला पड़ जाता है, और जब अकेलेपन का अहसास हो, तो उसे सिर्फ शराब का सहारा होता है“. (दीदार)
“तकदीरें बदल जाती हैं, ज़माना बदल जाता है, मुल्कों की तारीख बदल जाती है, शहंशाह बदल जाते हैं, मगर इस बदलती हुई दुनिया में मोहब्बत कभी नहीं बदलती“. (मुगल-ए-आजम)
“जिसके दिल में दगा आ जाती है ना, उसके दिल में दया कभी नहीं आती“. (नया दौर)
दिलीप कुमार की जीवनी संझेप में
दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर, 1922 को ब्रिटिश भारत के पेशावर (अब पाकिस्तान) में हुआ था. उनका असली नाम मुहम्मद युसूफ खान था. उनके पिता लाला गुलाम सरवर एक फल व्यापारी थे. बंटवारे के दौरान उनका परिवार मुंबई आकर बस गया.
शुरुआती जीवन
दिलीप कुमार का शुरुआती जीवन काफी अभावों में बीता. पिता के व्यवसाय में घाटा होने के बाद, उन्होंने पुणे की एक कैंटीन में काम करना शुरू कर दिया था. यहीं पर मशहूर अभिनेत्री और बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी की नजर उन पर पड़ी. देविका रानी ने ही युसूफ खान की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें फिल्मी दुनिया में आने का अवसर दिया. उन्हीं के सुझाव पर युसूफ खान ने अपना नाम ‘दिलीप कुमार’ रख लिया, क्योंकि उनके पिता नहीं चाहते थे कि वे फिल्मों में काम करें और उन्हें लगा कि नाम बदलने से उन्हें पता नहीं चलेगा.
उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1944 में फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से की, जो हालांकि व्यावसायिक रूप से सफल नहीं रही. उनकी पहली हिट फिल्म ‘जुगनू’ (1947) थी, जिसने उन्हें पहचान दिलाई. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई सफल फिल्मों में काम किया.
अभिनय शैली और ‘ट्रेजेडी किंग’ का तमगा
दिलीप कुमार अपनी गहरी, भावुक और यथार्थवादी अभिनय शैली के लिए जाने जाते थे. उन्होंने परदे पर दुखद भूमिकाओं को इतनी सहजता और गहराई से निभाया कि उन्हें ‘ट्रेजेडी किंग’ का खिताब मिला. उनकी कुछ यादगार फिल्में जिनमें उन्होंने दुखद भूमिकाएँ निभाईं, उनमें ‘देवदास’, ‘दीदार’, ‘मुग़ल-ए-आज़म’ और ‘मधुमती’ शामिल हैं. हालांकि, उन्होंने ‘आज़ाद’, ‘कोहिनूर’ और ‘राम और श्याम’ जैसी फिल्मों में हास्य और हल्की-फुल्की भूमिकाओं में भी अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया.
प्रमुख फिल्में:
दिलीप कुमार ने अपने पांच दशक के लंबे करियर में 60 से अधिक फिल्मों में काम किया. उनकी कुछ यादगार फिल्में हैं:
- मुग़ल-ए-आज़म (1960): इस ऐतिहासिक फिल्म में उन्होंने राजकुमार सलीम का किरदार निभाया, जो आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है.
- देवदास (1955): शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित इस फिल्म में उन्होंने देवदास के रूप में एक दुखद प्रेमी का किरदार निभाया, जिसने उन्हें ‘ट्रेजेडी किंग’ का तमगा दिलाया.
- नया दौर (1957): यह फिल्म ग्रामीण और शहरीकरण के द्वंद्व को दर्शाती है, जिसमें दिलीप कुमार ने एक तांगा चालक की भूमिका निभाई.
- गंगा जमुना (1961): यह फिल्म दो भाइयों की कहानी है, जिसमें दिलीप कुमार ने एक डकैत का किरदार निभाया. उन्होंने इस फिल्म का निर्माण भी किया था.
- राम और श्याम (1967): इस कॉमेडी फिल्म में दिलीप कुमार ने दोहरी भूमिका निभाई और अपनी हास्य प्रतिभा का प्रदर्शन किया.
- क्रांति (1981), विधाता (1982), कर्मा (1986), सौदागर (1991): 70 और 80 के दशक के बाद भी उन्होंने कई सफल फिल्मों में काम किया.
उनकी आखिरी फिल्म 1998 में आई ‘किला’ थी.
निजी जीवन
दिलीप कुमार ने 1966 में अपने से 22 साल छोटी अभिनेत्री सायरा बानो से शादी की. उनकी यह शादी भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और सफल शादियों में से एक मानी जाती है. 1981 में उन्होंने कुछ समय के लिए असमा रहमान से भी शादी की थी, लेकिन वह टूट गई.
सम्मान और पुरस्कार
दिलीप कुमार को उनके असाधारण योगदान के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया. वह 8 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीतने वाले पहले अभिनेता थे, जो एक रिकॉर्ड है. उन्हें 1991 में पद्म भूषण, 1994 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार (भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान) और 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. उन्हें पाकिस्तान सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज़’ से भी नवाजा गया था. उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा सम्मान पाने वाले भारतीय अभिनेता के तौर पर दर्ज है.
निधन
दिलीप कुमार का निधन 7 जुलाई, 2021 को 98 वर्ष की आयु में मुंबई में हुआ. उनके निधन से भारतीय सिनेमा के एक स्वर्णिम युग का अंत हो गया, लेकिन उनकी विरासत और अभिनय कला हमेशा जीवित रहेगी. दिलीप कुमार सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि एक ऐसी संस्था थे जिन्होंने आने वाली पीढ़ियों के अभिनेताओं को प्रेरित किया.
निष्कर्ष
दिलीप कुमार ने दिखाया कि अभिनय सिर्फ संवाद बोलने या हाव-भाव दिखाने का नाम नहीं है, बल्कि यह चरित्र को आत्मसात करने और उसकी भावनाओं को ईमानदारी से व्यक्त करने की कला है. उनके संवाद, जो भावनाओं और विचारों से ओत-प्रोत थे, आज भी हमें प्यार, दर्द, निराशा और आशा के मानवीय अनुभवों की याद दिलाते हैं. उनका निधन भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत था, लेकिन उनकी विरासत उनके अनमोल संवादों, यादगार प्रदर्शनों और भारतीय सिनेमा पर उनके अमिट प्रभाव के माध्यम से जीवित रहेगी. दिलीप कुमार हमेशा भारतीय सिनेमा के ‘अदायगी के बेताज बादशाह’ रहेंगे.
FAQ
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