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Baidyanath Jyotirlinga Temple: कैसे हुई थी बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना, आस्था, इतिहास और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम
Authored By: Nishant Singh
Published On: Thursday, July 31, 2025
Last Updated On: Thursday, July 31, 2025
Baidyanath Jyotirlinga Temple in Hindi: बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड के देवघर में स्थित एक पवित्र तीर्थ है, जिसे भगवान शिव का नौवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है. इसकी मान्यता है कि यहां दर्शन से रोग, दुख और पाप नष्ट हो जाते हैं. रावण की तपस्या, शिव का वरदान और शिवलिंग की स्थापना की पौराणिक कथा इस धाम को और भी रहस्यमयी बनाती है. श्रावण मास में लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा कर यहां जल चढ़ाते हैं. यह स्थान न केवल भक्ति और श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि आध्यात्मिक शांति, आस्था और मोक्ष की ओर ले जाने वाला एक दिव्य द्वार भी है.
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Thursday, July 31, 2025
भारत की पावन भूमि पर कई तीर्थ स्थल हैं, लेकिन झारखंड के देवघर में स्थित बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का स्थान अत्यंत विशेष है. यह वही स्थान है जहां भगवान शिव ने रावण को रोगमुक्त कर ‘वैद्य’ की भूमिका निभाई थी, इसी कारण इन्हें यहां बैद्यनाथ कहा जाता है. मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से न केवल मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि जीवन के कष्ट, रोग और बाधाएं भी समाप्त हो जाती हैं. श्रावण मास में यहां का वातावरण भक्तिरस से भर जाता है, जब लाखों कांवड़िए गंगाजल लेकर पैदल आते हैं. इतिहास, आस्था और चमत्कारों से भरा यह धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि भावनात्मक रूप से भी लोगों के हृदय से जुड़ा है. यह एक आस्था का अमर प्रतीक है.
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का परिचय (Introduction of Baidyanath Jyotirlinga)

- स्थान: देवघर, झारखंड
- मुख्य देवता: भगवान शिव (ज्योतिर्लिंग स्वरूप)
- विशेषता: यह स्थल शिव के साथ-साथ शक्ति पीठ के रूप में भी प्रतिष्ठित है, जहां माता सती का हृदय गिरा था, इसलिए इसे ‘हृदय पीठ’ भी कहा जाता है.
- अन्य नाम: बाबा बैद्यनाथ, कामना लिंग
पौराणिक कथा और इतिहास (Mythological Story and History)
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध कथा रावण से संबंधित है:
रावण, लंकापति और शिव का परम भक्त, हिमालय पर जाकर शिव की घोर तपस्या करता है. अपनी भक्ति सिद्ध करने के लिए वह अपने सिर एक-एक करके काटकर शिवलिंग पर चढ़ाता है. नौ सिर चढ़ाने के बाद जब वह दसवां सिर काटने ही वाला होता है, शिव प्रसन्न होकर प्रकट होते हैं और रावण के सभी सिर पुनः जोड़ देते हैं. वरदान स्वरूप रावण शिवलिंग को लंका ले जाने की अनुमति मांगता है, पर शर्त होती है कि यदि रास्ते में शिवलिंग को भूमि पर रखा, तो वह वहीं अचल हो जाएगा. रास्ते में रावण को लघुशंका की आवश्यकता पड़ती है, वह शिवलिंग एक ग्वाले को थमा देता है, जो उसे भारी समझकर भूमि पर रख देता है. रावण लौटकर उसे उठाने का प्रयास करता है, पर असफल रहता है. निराश होकर वह शिवलिंग पर अंगूठा गड़ाकर लंका लौट जाता है. बाद में देवताओं ने आकर शिवलिंग की पूजा की और यहीं इसकी स्थापना हो गई.
यह कथा न केवल शिव की महिमा का बखान करती है, बल्कि वैद्यनाथधाम की शक्ति और महत्त्व को भी दर्शाती है. लोकमान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है, इसलिए इसे कामना लिंग भी कहा जाता है.
धार्मिक महत्त्व (Religious Significance of Baidyanath Jyotirlinga)

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का धार्मिक महत्त्व अत्यंत गहरा है. यह शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है और इसे “कामना लिंग” भी कहा जाता है, क्योंकि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं पूर्ण होती हैं. मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से रोग, शोक और पापों का नाश हो जाता है. शिवभक्तों के लिए यह धाम मोक्ष का मार्ग है, जहां श्रद्धा और भक्ति का संगम होता है. यह स्थान आत्मिक शुद्धि और आशीर्वाद का प्रतीक है.
- यह मंदिर स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक शांति की कामना करने वाले भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.
- शिव यहां वैद्य (चिकित्सक) के रूप में पूजे जाते हैं; मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों के शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं.
- यह स्थल शिव और शक्ति दोनों का संगम है, जो इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाता है.
मंदिर की वास्तुकला और परिसर (Temple Architecture and Complex)

- मुख्य मंदिर के अलावा परिसर में लगभग 21 अन्य मंदिर हैं, जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं.
- मुख्य मंदिर की ऊंचाई लगभग 72 फीट है, और इसका शिखर सफेद पंखुड़ियों वाले कमल की तरह दिखाई देता है.
- मंदिर के गर्भगृह में 5 इंच व्यास का ज्योतिर्लिंग स्थापित है, जो 4 इंच के पत्थर के स्लैब पर स्थित है.
- मंदिर की दीवारें विशाल सफेद पत्थरों से बनी हैं, और पूरा मंदिर एक ही चट्टान से निर्मित है.
- परिसर में शिवगंगा सरोवर नामक पवित्र कुंड भी है, जहां श्रद्धालु स्नान कर शुद्ध होते हैं.
पूजा, अनुष्ठान और मेले (Worship, Rituals, and Festivals)
पूजा विधि
- प्रतिदिन सुबह 4 बजे ‘षोडशोपचार’ पूजा (14 प्रकार के अनुष्ठान) से दिन की शुरुआत होती है.
- सबसे पहले लिंगम पर शुद्ध जल अर्पित किया जाता है, उसके बाद फूल, बेलपत्र, और प्रसाद चढ़ाया जाता है.
- दोपहर 3:30 बजे तक पूजा चलती है, फिर मंदिर कुछ समय के लिए बंद होता है. शाम 6 बजे श्रृंगार पूजा के साथ पुनः खुलता है.
- विशेष प्रसाद के रूप में देवघर का प्रसिद्ध पेड़ा चढ़ाया जाता है.
महाशिवरात्रि और सावन मेला
- महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष पूजा और चार पहर की आरती होती है. इस दिन देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं.
- सावन मास में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्त्व है. श्रद्धालु सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ मंदिर से गंगाजल लेकर लगभग 108 किलोमीटर पैदल यात्रा कर ‘बोल बम’ का जयघोष करते हुए वैद्यनाथधाम पहुंचते हैं और शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं.
- महाशिवरात्रि के दौरान मंदिर में पंचशूल उतारे जाते हैं और उनकी विशेष पूजा होती है. इस दौरान गठबंधन के लाल कपड़े को प्राप्त करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है.
मंदिर के दर्शन और समय
- सामान्य दर्शन: सुबह 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक.
- विशेष पूजा और आरती: प्रातःकाल और सायंकाल में.
- सावन मास में: सुबह 3:00 बजे से रात 10:00 बजे तक.
- नोट: दर्शन के समय में परिवर्तन संभव है, अतः यात्रा से पूर्व स्थानीय प्रशासन या मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी अवश्य लें.
वैद्यनाथधाम की अन्य विशेषताएं (Other Special Features of Baidyanath Dham)

- यहां के मंदिरों के शिखर पर त्रिशूल के स्थान पर पंचशूल लगे हैं, जो इसे अन्य शिव मंदिरों से अलग बनाते हैं.
- वैद्यनाथधाम परिसर में शिव, पार्वती, लक्ष्मी-नारायण सहित अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं.
- यहां शिव और शक्ति दोनों की उपस्थिति के कारण इसे द्वैध शक्ति स्थल भी कहा जाता है.
- धार्मिक मान्यता है कि यहां विवाह करने वाले जोड़ों की आत्माएं अनंत काल तक एक साथ बंध जाती हैं.
यात्रा और पहुंच (Travel and Accessibility)
- देवघर झारखंड राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है. यहां सड़क, रेल और वायु मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है.
- नजदीकी रेलवे स्टेशन देवघर जंक्शन है, जहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी, ऑटो और रिक्शा उपलब्ध हैं.
- देवघर हवाई अड्डा भी अब कार्यरत है, जिससे देश के कई प्रमुख शहरों से सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं.
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व (Social and Cultural Significance)
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू भी अत्यंत प्रभावशाली है. यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु विभिन्न प्रांतों से एकत्र होते हैं, जिससे एकता, सहयोग और भाईचारे की भावना को बल मिलता है. श्रावण मास की कांवड़ यात्रा न सिर्फ आस्था का प्रदर्शन है, बल्कि यह भारतीय लोक परंपराओं, रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक विविधताओं को एक मंच पर लाती है. यात्रा के दौरान जगह-जगह भंडारे, सेवा शिविर, चिकित्सा सुविधा और स्वागत शिविर समाज में सेवा भावना को बढ़ावा देते हैं. स्थानीय हस्तशिल्प, मिठाइयां और सांस्कृतिक आयोजन भी क्षेत्र की पहचान बनाते हैं. यह तीर्थस्थल गांव और शहर के लोगों को सामाजिक रूप से जोड़ता है, और एक साझा सांस्कृतिक विरासत के रूप में कार्य करता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी कायम रहती है.
वैद्यनाथधाम की मान्यताएं और लोककथाएं (Beliefs and Folklore of Baidyanath Dham)

- यहां की लोककथाओं में कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से बाबा से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.
- यहां के पुजारी और स्थानीय लोग बताते हैं कि कई असाध्य रोगों से पीड़ित लोग यहां आकर स्वस्थ हुए हैं.
- कई भक्त यहां मन्नत पूरी होने पर विशेष पूजा, अभिषेक और दान-पुण्य करते हैं.
पर्यावरण और स्वच्छता
- मंदिर परिसर को स्वच्छ और हरा-भरा रखने के लिए प्रशासन और स्थानीय लोग सतत प्रयासरत रहते हैं.
- सावन और महाशिवरात्रि के समय लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के बावजूद सफाई और व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जाता है.
वैद्यनाथधाम: एक आध्यात्मिक अनुभव (Baidyanath Dham: A Spiritual Experience)
वैद्यनाथधाम केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहां श्रद्धा, भक्ति, आस्था और शांति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. यहां आकर मन को एक विशेष ऊर्जा और सकारात्मकता का अनुभव होता है. यह स्थल न केवल शिवभक्तों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो जीवन में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करता है.
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, देवघर भारतीय संस्कृति, आस्था और अध्यात्म का जीवंत प्रतीक है. यहां की पौराणिकता, भव्यता, भक्ति और विविधता इसे देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनाती है. यदि आप कभी झारखंड जाएं, तो वैद्यनाथधाम की यात्रा अवश्य करें और बाबा भोलेनाथ की कृपा से अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भरें.
“बोल बम! बोल बम! बाबा धाम की जय!”