Kedarnath Dham Closing Date 2024 : श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट 3 नवंबर को हो जाएंगे बंद

Kedarnath Dham Closing Date 2024 : श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट 3 नवंबर को हो जाएंगे बंद

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, October 9, 2024

Last Updated On: Wednesday, October 9, 2024

kedarnath dham closing date 2024
kedarnath dham closing date 2024

श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट पूर्व परम्परा के अनुसार इस शीतकाल के लिए 3 नवंबर, 2024 को भाईदूज के दिन प्रातः 8 बजकर 30 मिनट पर बंद किए जाएंगे। केदारनाथ भगवान की यात्रा कार्यक्रम के अनुसार 3 नवंबर को चल-विग्रह डोली केदारनाथ मंदिर से प्रातः 8:30 बजे प्रस्थान होगी।

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Last Updated On: Wednesday, October 9, 2024

केदारनाथ मंदिर का शाब्दिक अर्थ होता है क्षेत्र के देवता का मंदिर। यह मंदिर शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तराखंड में मंदाकिनी नदी के पास गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला पर स्थित है। ऋषिकेश से 223 किमी दूर 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं केदारनाथ। यह क्षेत्र केदारखंड कहलाता है, जिसके नाथ केदारनाथ भगवान हैं। केदारनाथ को शिव के समरूप देखा जाता है। काशी केदार महात्म्य ग्रंथ के अनुसार, केदारनाथ (Kedarnath Dham) मुक्ति प्रदान करते हैं। मौसम की स्थिति को देखते हुए यह मंदिर आम जनता के लिए केवल अप्रैल के महीने (अक्षय तृतीया) से लेकर नवंबर (कार्तिक पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा) महीने तक ही खुला रहता है। सर्दियों में मंदिर के विग्रह को अगले छह महीनों तक पूजा के लिए उखीमठ ले जाया (Kedarnath Dham Closing date 2024) जाता है।

चल-विग्रह डोली का केदारनाथ मंदिर से होगा प्रस्थान (Kedarnath Dham Closing date 2024)

श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याकारी अधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल के अनुसार, श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट पूर्व परम्परा के अनुसार इस शीतकाल के लिए 3 नवंबर, 2024 को भाईदूज के दिन प्रातः 8 बजकर 30 मिनट पर बंद किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि केदारनाथ भगवान की चल-विग्रह डोली यात्रा कार्यक्रम के अनुसार 3 नवंबर को चल-विग्रह डोली केदारनाथ मंदिर से प्रातः 8:30 बजे प्रस्थान होगी। इसके बाद रात्रि विश्राम के लिए रामपुर पहुंचेगी। 4 नवंबर को श्री केदारनाथ भगवान की चल-विग्रह डोली रामपुर से प्रातः प्रस्थान होगी तथा फाटा, नारायकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 5 नवंबर को चल-विग्रह डोली श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रातः 8:30 बजे प्रस्थान कर प्रातः 11:20 बजे अपने शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। पूर्व परम्परा के अनुसार, केदार विग्रह अपने गद्दी स्थल पर विराजमान होंगे।

केदारनाथ से जुड़ी है महाभारत कथा (Kedarnath Mythological Story)

केदारनाथ से एक पौराणिक कथा जुड़ी है। पांडव कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान किए गए पापों का प्रायश्चित करना चाहते थे। उन्होंने अपने राज्य की बागडोर अपने परिजनों को सौंप दी और शिव की खोज और उनका आशीर्वाद लेने के लिए निकल पड़े। शिव उनसे बचना चाहते थे। उन्होंने एक बैल नंदी का रूप धारण कर लिया। पांच पांडवों में से दूसरे भाई भीम ने तब गुप्तकाशी (छिपी हुई काशी) के पास बैल को चरते देखा। यह नाम शिव के छिपने के कृत्य के कारण पड़ा। भीम ने तुरंत शिव को बैल के रूप में पहचान लिया। भीम ने बैल को उसकी पूंछ और पिछले पैरों से पकड़ लिया। लेकिन बैल के रूप में शिव जमीन में गायब हो गए और बाद में टुकड़ों में फिर से प्रकट हुए। केदारनाथ में कूबड़ उठा हुआ, तो तुंगनाथ में भुजाएं दिखाई दीं। रुद्रनाथ में चेहरा दिखाई दिया, नाभि और पेट मध्यमहेश्वर में दिखाई दिए और बाल कल्पेश्वर में दिखाई दिए। पांडवों ने पांच अलग-अलग रूपों में शिव जी के प्रकट होने होने पर शिव की पूजा की। उन्होंने पूजा के लिए पांच स्थानों पर मंदिर बनवाए।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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