Maha Kumbh 2025: दिव्य, भव्य और स्वच्छ महाकुंभ का संदेश जन-जन तक पहुंचाने निकली स्वच्छता रथ यात्रा

Maha Kumbh 2025: दिव्य, भव्य और स्वच्छ महाकुंभ का संदेश जन-जन तक पहुंचाने निकली स्वच्छता रथ यात्रा

Authored By: सतीश झा

Published On: Tuesday, January 7, 2025

Maha Kumbh 2025 Swachhata Rath Yatra spreading the message of divine, grand, and clean Kumbh

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के दिव्य, भव्य और स्वच्छ महाकुंभ के संकल्प को साकार करने के लिए सरकारी एजेंसियों, जनप्रतिनिधियों और नगरवासियों के सामूहिक प्रयास जारी हैं। इस क्रम में रविवार को स्वच्छ रथ यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। यह यात्रा स्वच्छता के प्रति जनजागृति फैलाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास रही।

Authored By: सतीश झा

Updated On: Sunday, April 27, 2025

महाकुंभ नगर (Maha Kumbh 2025) जाने का रास्ता प्रयागराज शहर से होकर गुजरता है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि श्रद्धालु और पर्यटक जब यहां से गुजरें तो स्वच्छ प्रयागराज की छवि उनके सामने आए। इसी उद्देश्य से स्वच्छ रथ यात्रा का आयोजन किया गया। महापौर गणेश केशरवानी ने चौक कोतवाली से हरी झंडी दिखाकर इस रथ यात्रा की शुरुआत की। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वच्छ महाकुंभ के संकल्प को साकार करने के लिए यह यात्रा निकाली गई है। प्रयागराज को स्वच्छ, स्वस्थ और अनुशासित बनाने के लिए यह जनजागरूकता अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।” उन्होंने शहरवासियों से अपील की कि कूड़ा-कचरा इधर-उधर न फेंके, डस्टबिन का इस्तेमाल करें और सिंगल-यूज प्लास्टिक का प्रयोग बंद करें। स्थानीय नागरिकों ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

नुक्कड़ नाटक और स्वच्छता संगीत बैंड से दिया संदेश

नगर निगम द्वारा निकाली गई इस रथ यात्रा में स्वच्छता का संदेश देने के लिए विशेष आकर्षण तैयार किए गए थे। रथ पर मां गंगा की भव्य मूर्ति के साथ पेड़-पौधों और साधुओं के प्रतीकात्मक स्कल्पचर सजाए गए थे। यह रथ शहर के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरा और इसका समापन राम भवन चौराहे पर हुआ। यात्रा के दौरान कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए और विभिन्न रंगों के डस्टबिन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने लोगों को सूखा और गीला कचरा अलग-अलग डस्टबिन में डालने का संदेश दिया। इसके साथ ही, स्वच्छता संगीत बैंड ने भी आकर्षक प्रस्तुतियों के माध्यम से स्वच्छता का महत्व समझाया। जहां-जहां से यह रथ गुजरा, वहां लोगों ने इसका स्वागत किया। सफाई मित्र और नगर निगम के कर्मचारी भी बड़ी संख्या में इस यात्रा में शामिल हुए। स्वच्छ रथ यात्रा ने न केवल स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाई बल्कि महाकुंभ की तैयारियों में जनभागीदारी की नई मिसाल पेश की।

जल संरक्षण का संदेश देते मूछ नर्तक राजेन्द्र तिवारी ‘दुकानजी’

प्रयागराज महाकुम्भ में पधारे साधु संत देश दुनिया को प्रेम, करुणा और सेवा का संदेश दे ही रहे हैं। इन सबके बीच प्रयागराज निवासी समाजसेवी मूछ नर्तक राजेंद्र कुमार तिवारी दुकान जी देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा संरक्षण, नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने और जल संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। गौरतलब है कि पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी से जुड़े राजेन्द्र तिवारी ‘दुकानजी’ का नाम गिनीज बुक के अलावा लिमका बुक में भी दर्ज हो चुका है। दुकानजी सिर पर कलश रखकर और गले में गंगा संरक्षण का संदेश लटकाए सबके आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। दुकान जी ने गले में ‘गंगा है तो हम है’, ‘नदी नहीं संस्कार है गंगा, देश का श्रृंगार हैं गंगा’, गंगा की सफाई भी, गंगा की पूजा है’, और ‘नदी से आती है हरियाली’ का संदेश देशवासियों को दे रहे हैं।

कबीरा बाबा,20 किलो की ‘चाबी’ से खोलते हैं अहंकार का ‘ताला’

बाबाओं की दुनिया बहुत रहस्मयी है।पवित्र संगम क्षेत्र में आने वाले ऐसे ही कई संतों से मुलाकात आपको निस्संदेह गंभीर दार्शनिक विचारों की ओर ले जाएगी।  करीब 50 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके बाबा अपनी भारी-भरकम चाबी को लेकर पूरे देश में घूम रहे हैं। उनका न कोई आश्रम है और न ही एक ठिकाना। वह घूमते हुए अपनी बात लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।

कबीर पंथ से जुड़े होने के कारण बाबा को उनके लोग कबीरा भी कहते हैं। रायबरेली के रहने वाले बाबा का नाम हरिश्चंद्र विश्वकर्मा है। बाबा ने बताया कि वह पूरे देश का पैदल ही भ्रमण करते हैं,इस महाकुंभ के पहले वह 2019 में अर्धकुंभ में यहां आए थे। अपनी भारी-भरकम चाबी के बारे में वह कहते हैं कि उन्होंने सत्य की खोज की है। लोगों के मन में बसे अहंकार का ताला वह अपनी बड़ी सी चाबी से खोलते हैं और वह लोगों के अहंकार को चूर-चूर कर उन्हें एक नया रास्ता दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानने वाले कबीरा बाबा कहते हैं कि आध्यात्म की ओर पूरी दुनिया भाग तो रही है, लेकिन आध्यात्म कहीं बाहर नहीं है बल्कि वो इंसान के अंदर ही बसा है। कबीरा के नाम से जाने जाने वाले हरिश्चंद्र विश्वकर्मा का बचपन से ही आध्यात्म की ओर झुकाव हो गया था।

उन्होंने कहा कि जब वह 16 साल के हुए तो उन्होंने समाज में फैली बुराइयों और नफरत से लड़ने का फैसला कर लिया और घर से निकल गए।पूरे देश मे घूमने के बाद उनको अहसास हुआ कि लोगों को सामाजिक बुराइयों से बचाने के लिए उन्हें कोई साधारण तरीका अपनाया होगा।अब यह 20 किलो की चाबी ही है जिसके सहारे वह लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं।उन्होंने अपनी चाबी के बारे में बताते हुए कहा कि इस चाबी में आध्यात्म और जीवन का राज छिपा है,हालांकि इस चाबी के राज के बारे में लोग जानना नहीं चाहते है, क्योंकि इसके लिए किसी के पास समय नहीं है और कहते हैं कि अगर वह किसी को रोककर कुछ कहते हैं तो लोग यह कहकर मुंह फेर लेते हैं कि बाबा मेरे पास छुट्टे पैसे नहीं हैं।

(हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)

ये भी पढ़े : महाकुंभ 2025: पश्चिम रेलवे 8 स्पेशल ट्रेनें चलाएगा, बुकिंग 21 दिसंबर से शुरू

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
Leave A Comment

यह भी पढ़ें

Email marketing icon with envelope and graph symbolizing growth

news via inbox

समाचार जगत की हर खबर, सीधे आपके इनबॉक्स में - आज ही हमारे न्यूजलेटर को सब्सक्राइब करें।

खास आकर्षण