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Mohini Ekadashi 2025 : इस ख़ास दिन भगवान विष्णु के दिव्य अवतार मोहिनी की होती है विशेष पूजा!
Mohini Ekadashi 2025 : इस ख़ास दिन भगवान विष्णु के दिव्य अवतार मोहिनी की होती है विशेष पूजा!
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, April 29, 2025
Updated On: Wednesday, April 30, 2025
Mohini Ekadashi 2025 : मोहिनी एकादशी 2025 गुरुवार, 8 मई को मनाई जा रही है. यह एकादशी भगवान विष्णु के दिव्य अवतार "मोहिनी" के लिए जानी जाती है. श्रीविष्णु के मोहिनी स्वरुप ने समुद्र मंथन से निकले अमृत को देवताओं के बीच बांटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
Authored By: स्मिता
Updated On: Wednesday, April 30, 2025
Mohini Ekadashi 2025 : श्रीविष्णु की विशेष पूजा करने का दिन है मोहिनी एकादशी. यह वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते चरण) के दौरान पड़ने वाली एकादशी को मनाई जाती है. भगवान विष्णु को समर्पित यह दिन उनके भक्तों के लिए विशेष महत्त्व रखती है. इस वर्ष मोहिनी एकादशी 2025 गुरुवार, 8 मई को मनाई जा रही है. यह एकादशी भगवान विष्णु के दिव्य अवतार “मोहिनी” के लिए जानी जाती है. मोहिनी रूप ने समुद्र मंथन और देवताओं के बीच अमरता का अमृत वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका (Mohini Ekadashi 2025) निभाई थी.
मोहिनी एकादशी 2025: तिथि और समय (Mohini Ekadashi 2025 Date and Time)
एकादशी तिथि प्रारंभ: बुधवार, 7 मई, 2025 को सुबह 10:19 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: गुरुवार, 8 मई, 2025 को दोपहर 12:29 बजे
पारण तिथि : शुक्रवार, 9 मई, 2025
पारण समय: सुबह 05:34 बजे से सुबह 08:16 बजे तक
पारण के दिन द्वादशी समाप्ति: दोपहर 02:56 बजे
पारण द्वादशी तिथि (बारहवें चंद्र दिवस) के दौरान किया जाना चाहिए. मान्यता है कि द्वादशी समाप्त होने के बाद पारण करना शुभ नहीं होता है.
मोहिनी एकादशी का महत्व (Mohini Ekadashi Significance)
मोहिनी एकादशी का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भक्त जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं. जानबूझकर या अनजाने में किए गए सभी पापों का नाश हो सकता है. समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशी के लिए भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. भक्तगण के इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है और सांसारिक मोहों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं. कूर्म पुराण के अनुसार भगवान कृष्ण ने पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर को बताया कि इस एकादशी का पालन करने से हज़ारों यज्ञ और बलिदान करने के बराबर पुण्य मिलता है.
क्या है मोहिनी एकादशी की कथा (Mohini Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवता और असुर अमरता का अमृत प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे थे. असुरों को अमृत प्राप्त करने से रोकने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया, जो अद्वितीय सौंदर्य की स्वामिनी थी. उसके आकर्षण से मंत्रमुग्ध होकर असुर विचलित हो गए, जिससे मोहिनी ने अमृत को केवल देवताओं में ही वितरित कर दिया. इस प्रकार भगवान विष्णु ने बुराई पर दैवीय शक्तियों की जीत सुनिश्चित की. यह दिव्य कार्य अधर्म पर धर्म की विजय के बारे में बताता है, जिससे मोहिनी एकादशी विजय और दिव्य कृपा का दिन बन जाती है.
मोहिनी एकादशी के व्रत-अनुष्ठान (Mohini Ekadashi Rituals)
मोहिनी एकादशी का पालन करने में भक्ति और पवित्रता के साथ कुछ अनुष्ठानों का पालन करना जरूरी है
1. उपवास
भक्त इस दिन कठोर उपवास रखते हैं. अनाज और कुछ सब्जियों से परहेज करते हैं.
कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, जबकि अन्य अपने स्वास्थ्य के आधार पर फल, दूध और पानी ले सकते हैं.
2. सुबह जल्दी स्नान
ब्रह्म मुहूर्त के दौरान पवित्र स्नान करना चाहिए.
3. भगवान विष्णु की पूजा
भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को साफ वेदी पर रखा जाता है.
भक्त पूजा के दौरान तुलसी के पत्ते, फल, फूल, धूप, दीप और मिठाई चढ़ाते हैं.
विशेष भजन (और विष्णु सहस्रनाम (भगवान विष्णु के 1000 नाम) का पाठ किया जाता है.
4. मोहिनी एकादशी व्रत कथा सुनना
मोहिनी एकादशी से जुड़ी व्रत कथा सुनना या पढ़ना शुभ माना जाता है.
5. जरूरतमंदों को दान
ज़रूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन, कपड़े और पैसे दान करना बहुत पुण्यदायी है.
अन्नदान (भोजन दान) पर विशेष जोर दिया जाता है.
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