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Vallabhacharya Jayanti 2025 : श्रीकृष्ण के उपासक थे संत और दार्शनिक वल्लभाचार्य!
Vallabhacharya Jayanti 2025 : श्रीकृष्ण के उपासक थे संत और दार्शनिक वल्लभाचार्य!
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, April 23, 2025
Updated On: Wednesday, April 23, 2025
Vallabhacharya Jayanti 2025: वल्लभाचार्य या वल्लभ दीक्षित के नाम से जाने जाने वाले श्री वल्लभाचार्य भारतीय संत और दार्शनिक थे. उन्होंने भारत के ब्रज क्षेत्र में वैष्णव धर्म के कृष्ण-केंद्रित पुष्टिमार्ग संप्रदाय की स्थापना की. इस वर्ष गुरुवार के दिन 24 अप्रैल 2025 को उनकी जयंती मनाई जा रही है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Wednesday, April 23, 2025
Vallabhacharya Jayanti 2025 : वल्लभाचार्य जयंती को श्री वल्लभाचार्य जयंती के रूप में भी जाना जाता है. इस वर्ष यह गुरुवार के दिन 24 अप्रैल 2025 को मनाई जा रही है. वल्लभ आचार्य प्रतिष्ठित हिंदू दार्शनिक और पुष्टि संप्रदाय के संस्थापक हैं. यह दिन पूरे भारत में विशेष रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, चेन्नई, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में बहुत उत्साह के साथ मनाया (Vallabhacharya Jayanti 2025) जाता है.
श्री वल्लभाचार्य की 546वीं जयंती (Vallabhacharya 546 Jayanti)
वल्लभाचार्य जयंती वल्लभ आचार्य के जन्म का स्मरण कराती है. द्रिक पंचांग के अनुसार, यह श्री वल्लभाचार्य की 546वीं जयंती है. वल्लभाचार्य को ब्रज क्षेत्र में शुद्ध अद्वैत दर्शन और कृष्ण-केंद्रित पुष्टिमार्ग की स्थापना के लिए जाना जाता है. वे भगवान कृष्ण के एक समर्पित अनुयायी थे. वे श्रीकृष्ण की पूजा श्रीनाथ जी रूप में करते थे. कथा है कि एक बार उन्होंने गोवर्धन पर्वत पर एक गाय को दूध बहाते हुए देखा था. जब इस बात की जांच की गई, तो वहां श्रीनाथजी की मूर्ति मिली. माना जाता है कि ऐसा भगवान कृष्ण के प्रति उनकी गहरी भक्ति के कारण हुई.
कौन थे वल्लभाचार्य (Who was Vallabhacharya)
वल्लभाचार्य या वल्लभ दीक्षित के नाम से जाने जाने वाले वल्लभ भारतीय संत और दार्शनिक थे. उनका जन्म छत्तीसगढ़ के चंपारण स्थान पर हुआ था. उन्होंने भारत के ब्रज क्षेत्र में वैष्णव धर्म के कृष्ण-केंद्रित पुष्टिमार्ग संप्रदाय की स्थापना की और शुद्धाद्वैत के दर्शन का प्रतिपादन किया. वे भक्ति आंदोलन के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक बन गए. उन्होंने अद्वैत वेदांत के अनुयायियों के खिलाफ कई दार्शनिक विद्वानों की बहस जीती. उन्होंने गोवर्धन पहाड़ी पर श्री नाथजी की संस्थागत पूजा शुरू की. उन्होंने गंगा के मैदान और गुजरात में कई अनुयायी बनाए.
कैसे मनाई जाती है वल्लभाचार्य जयंती (Vallabhacharya Jayanti Celebration)
यह त्योहार पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर भक्त उपवास रखते हैं और मंदिरों को सजाते हैं. वे भगवान कृष्ण का अभिषेक करते हैं. कई क्षेत्रों में रथों पर भगवान कृष्ण की मूर्ति के साथ भव्य जुलूस निकाला जाता है. यह उत्सव भगवान कृष्ण और वल्लभ आचार्य के प्रति गहरी भक्ति को दर्शाता है.
कौन-कौन से होते हैं अनुष्ठान (Vallabhacharya Jayanti Rituals)
वल्लभाचार्य जयंती के दिन लोग वल्लभ आचार्य और भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति-भाव दिखाने के लिए कई अनुष्ठान करते हैं. कुछ भक्त इस दिन उपवास रखते हैं. संयोगवश इस दिन वरूथिनी एकादशी भी है. वल्लभाचार्य जयंती के अवसर पर मंदिरों को खूबसूरती के साथ सजाया जाता है. देवताओं की विशेष प्रार्थना की जाती है. भगवान कृष्ण का अभिषेक दिन का मुख्य आकर्षण है. वल्लभाचार्य जयंती के लिए भोजन और पोशाक इस उत्सव के लिए कोई विशिष्ट पोशाक निर्धारित नहीं है.
भक्त अनुष्ठान में भाग लेने के लिए पारंपरिक परिधान पहनते हैं. शुद्ध शाकाहारी और सात्विक भोजन उत्सव के दौरान तैयार किया जाता है और प्रसाद रूप में खाया और खिलाया जाता है.
वल्लभाचार्य जयंती की शुभकामनाएं (Wishes for Vallabhacharya Jayanti)
- वल्लभाचार्य जयंती सभी के जीवन में शांति और आनंद लाए.
- वल्लभाचार्य जयंती की भक्तिपूर्ण शुभकामनाएं.
- वल्लभाचार्य जयंती के अवसर पर भगवान कृष्ण का आशीर्वाद सदा साथ रहे. . वल्लभाचार्य जयंती को प्रेम और भक्ति के साथ मनाएं.
- वल्लभाचार्य जयंती 2025 परिवार और समाज में खुशियां लेकर आए.
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