बार-बार हो रही नीतीश और राबड़ी में सियासी रार!

बार-बार हो रही नीतीश और राबड़ी में सियासी रार!

Authored By: सतीश झा

Published On: Thursday, March 20, 2025

Updated On: Thursday, March 20, 2025

बिहार की राजनीति में बढ़ता तनाव: नीतीश कुमार और राबड़ी देवी के बीच सियासी तकरार।
बिहार की राजनीति में बढ़ता तनाव: नीतीश कुमार और राबड़ी देवी के बीच सियासी तकरार।

बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के बीच सियासी तल्खी कोई नई बात नहीं है. लेकिन हाल के दिनों में दोनों नेताओं के बीच बढ़ती बयानबाजी से सियासी माहौल गरमा गया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस राजनीतिक टकराव का आखिर क्या परिणाम होगा?

Authored By: सतीश झा

Updated On: Thursday, March 20, 2025

Bihar Politics : गुरुवार को बिहार विधान परिषद में उस समय माहौल गरमा गया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी एमएलसी राबड़ी देवी के बीच तीखी नोकझोंक हो गई. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्य खड़े हो गए और राज्य में बढ़ते अपराध का मुद्दा उठाने लगे. हंगामा इतना बढ़ गया कि विपक्षी सदस्य सदन के वेल में पहुंच गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे.

नीतीश कुमार और राबड़ी देवी के बीच सियासी तकरार बिहार की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे सकती है. यदि यह टकराव और बढ़ा तो राजनीतिक गठजोड़ में बदलाव संभव है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में बिहार की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है.

विपक्ष का दबाव या सरकार की जवाबदेही?

सदन लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण मंच है, जहां सरकार और विपक्ष के बीच बहस होती है, सवाल उठाए जाते हैं और जवाब दिए जाते हैं. लेकिन बिहार विधान परिषद में जिस तरह से हंगामा हुआ, वह सिर्फ एक राजनीतिक टकराव था या इसके पीछे कुछ और गंभीर मुद्दे थे? बिहार में हाल ही में कई आपराधिक घटनाएं सामने आई हैं, जिन्हें लेकर विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है.

राबड़ी देवी और नीतीश कुमार की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता दशकों पुरानी है, और सदन में यह टकराव एक बार फिर खुलकर सामने आया. आरजेडी, जो कभी महागठबंधन का हिस्सा थी, अब सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपना रही है. सदन में हंगामा इसी रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है.

नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया: समस्या का समाधान या केवल बयानबाजी?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी सदस्यों को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा, “अगर कहीं किसी की हत्या हुई है तो उसकी जांच जरूर होगी. हम आज ही इस बारे में पूछेंगे.” हालांकि, विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं हुआ और हंगामा जारी रहा. सवाल यह उठता है कि क्या सरकार केवल जांच के आश्वासन से जनता को संतुष्ट कर सकती है या फिर उसे अपराध नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे? बिहार की कानून व्यवस्था पहले से ही सवालों के घेरे में है और विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बना रहा है.

नीतीश-राबड़ी के बीच पुरानी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता

नीतीश कुमार और राबड़ी देवी की राजनीतिक दुश्मनी दो दशक से अधिक पुरानी है. 2005 में जब नीतीश कुमार ने लालू यादव के 15 साल के राज को खत्म कर सत्ता संभाली, तभी से यह टकराव खुलकर सामने आया. इसके बाद 2015 में महागठबंधन बनने के बाद भले ही दोनों साथ आए, लेकिन 2017 में जब नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया, तब यह सियासी दरार और गहरी हो गई.

हालिया घटनाओं ने बढ़ाई सियासी गर्मी

हाल ही में राबड़ी देवी और नीतीश कुमार के बीच बयानों की जंग तेज हो गई है.राबड़ी देवी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि वे बार-बार गठबंधन बदलते हैं और जनता को धोखा देते हैं. नीतीश कुमार ने पलटवार करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने बिहार में विकास किया है और लालू-राबड़ी राज में बिहार पिछड़ा हुआ था.

क्या बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आएगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस सियासी रार का असर बिहार की राजनीति पर गहरा पड़ सकता है. यदि राजद और जदयू के बीच सियासी तल्खी और बढ़ी, तो विपक्ष को इसका सीधा फायदा मिलेगा. वहीं, बीजेपी इस मौके का फायदा उठाकर नीतीश कुमार को अपने साथ बनाए रखने की कोशिश कर सकती है. 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में यह विवाद बड़ी भूमिका निभा सकता है. नीतीश-बीजेपी गठबंधन मजबूत हो सकता है, अगर जदयू और राजद के बीच तल्खी बढ़ती है. महागठबंधन में अस्थिरता आने से विपक्ष को फायदा मिल सकता है, खासकर बीजेपी को. राजद और जदयू की सियासी दुश्मनी फिर से खुलकर सामने आ सकती है, जिससे बिहार की राजनीति में बड़ा फेरबदल हो सकता है.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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