बिहार विधानसभा चुनाव में NDA के साथ नहीं होंगे निषाद, मुकेश सहनी के वादों में कितना है दम?

बिहार विधानसभा चुनाव में NDA के साथ नहीं होंगे निषाद, मुकेश सहनी के वादों में कितना है दम?

Authored By: सतीश झा

Published On: Saturday, April 26, 2025

Last Updated On: Saturday, April 26, 2025

Mukesh Sahni Bihar Elections 2025 : वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार चुनाव 2025 की रणनीति की घोषणा करते हुए.
Mukesh Sahni Bihar Elections 2025 : वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार चुनाव 2025 की रणनीति की घोषणा करते हुए.

जातिगत समीकरणों के आधार पर चुनाव में टिकटों का बंटवारा होता है. जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी. ऐसे में जब निषाद वोटों की राजनीति करने वाले विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) यह कहें कि हम इस बार सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की अगुवाई वाले NDA के साथ नहीं होंगे, तो इसका क्या असर पड़ेगा ? बिहार की कुल 243 विधानसभा की सीट में से 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार को चुनावी मैदान (Bihar Assembly Election 2026) में उतारने का ताल मुकेश सहनी ठोक रहे हैं.

Authored By: सतीश झा

Last Updated On: Saturday, April 26, 2025

Mukesh Sahni Bihar Elections 2025 : बिहार की सियासत में निषाद समुदाय एक बार फिर से सुर्खियों में है. आगामी बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इस बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ चुनावी मैदान में नहीं होंगे. बिहार में निषाद समुदाय की संख्या अच्छी-खासी है और कई विधानसभा सीटों पर इनका प्रभाव निर्णायक माना जाता है. खासकर पटना, सिवान, छपरा, वैशाली, मुजफ्फरपुर और दरभंगा जैसे जिलों में निषाद वोट बैंक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अगर वीआईपी (VIP) अकेले चुनाव लड़ती है तो NDA को कई सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां निषाद समुदाय का प्रभुत्व है.

मुकेश सहनी ने BJP पर आरोप लगाया कि वह छोटी और गरीब वर्ग की पार्टियों को खत्म करने की साजिश कर रही है. सहनी ने कहा, “बीजेपी हमारे जैसे गरीबों की पार्टी को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है. उन्हें सिर्फ बड़ी पार्टियां चाहिए, जो उनके आगे सिर झुकाए. लेकिन VIP गरीबों और वंचितों की आवाज है और हम किसी के दबाव में नहीं झुकेंगे.”

एनडीए से अलग होने की औपचारिक घोषणा

मुकेश सहनी ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में एनडीए के साथ नहीं जाएगी. उन्होंने कहा कि वीआईपी अब अपनी स्वतंत्र रणनीति के तहत चुनाव लड़ेगी और गरीब, पिछड़े और वंचित समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष करेगी.

बीजेपी पर गंभीर आरोप

अपने बयान में सहनी ने आरोप लगाया कि BJP का असली मकसद छोटी सहयोगी पार्टियों को कमजोर कर सत्ता पर एकाधिकार बनाना है. उन्होंने कहा कि वीआईपी का मकसद सत्ता नहीं, बल्कि गरीबों के हक की लड़ाई है, और इसी रास्ते पर उनकी पार्टी आगे बढ़ेगी.

60 सीटों पर लड़ने की तैयारी

मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से कम से कम 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. सहनी का कहना है कि निषाद समाज की उपेक्षा अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी और उनकी पार्टी अब अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. इस कदम को उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के तौर पर देखा जा रहा है, साथ ही इससे NDA के जातीय संतुलन पर भी सीधा असर पड़ सकता है.

मुकेश सहनी के वादों में कितना दम?

पिछले चुनावों में मुकेश सहनी ने निषाद समुदाय को आरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में विशेष सुविधाएं दिलाने के बड़े-बड़े वादे किए थे. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उनके वादों का जमीनी असर अपेक्षा के अनुरूप नहीं दिखा. अनुसूचित जाति में निषादों को शामिल करने का मुद्दा अब भी अधर में लटका है. समुदाय के कई हिस्से आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं.

एनडीए पर असर

VIP का NDA से अलग होना नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व वाले गठबंधन के जातीय समीकरणों को बिगाड़ सकता है. खासकर तब जब महागठबंधन और अन्य विपक्षी दल निषाद समुदाय को अपने पाले में करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. यदि वीआईपी का प्रदर्शन ठीक-ठाक भी रहा, तो वह एनडीए के परंपरागत वोटों में सेंध लगा सकती है.

आगे की रणनीति

अब सबकी नजर इस पर टिकी है कि मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) कितनी मजबूती से 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर पाते हैं और निषाद समाज को किस हद तक अपने साथ जोड़ पाते हैं. बिहार की राजनीति में निषादों की भूमिका इस बार और भी ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाली है.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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