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नेपाल में राजशाही और लोकतांत्रिक व्यवस्था में टकराव, क्या इसका असर पड़ेगा भारत पर
नेपाल में राजशाही और लोकतांत्रिक व्यवस्था में टकराव, क्या इसका असर पड़ेगा भारत पर
Authored By: सतीश झा
Published On: Saturday, March 29, 2025
Updated On: Saturday, March 29, 2025
नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग को लेकर चल रहे प्रदर्शन तेज हो गए हैं. पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र वीर विक्रम शाह के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं, जिससे सरकार और राजशाही समर्थकों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. स्थिति इस हद तक बिगड़ गई कि सरकार को कई शीर्ष नेताओं और प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी करनी पड़ी, जबकि पूर्व राजा को उनके निवास स्थान निर्मल निवास में नजरबंद कर दिया गया है. नेपाल में जारी इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा?
Authored By: सतीश झा
Updated On: Saturday, March 29, 2025
Impact of Nepal Crisis on India: नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों और प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी तेज हो गई है. राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और महामंत्री को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. इसी के साथ, पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र वीर विक्रम शाह को उनके निवास निर्मल निवास में नजरबंद कर दिया गया है.
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और टकराव की जड़ें
नेपाल में 2008 में राजशाही का अंत कर लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की गई थी, लेकिन बीते कुछ वर्षों में राजशाही समर्थकों का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ता गया है. वे नेपाल की मौजूदा सरकार पर भ्रष्टाचार, अक्षमता और आर्थिक कुप्रबंधन का आरोप लगा रहे हैं. हाल ही में देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता ने आम जनता में सरकार के प्रति असंतोष को बढ़ा दिया, जिससे राजशाही समर्थक आंदोलनों को बल मिला है.
राजशाही की बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू समेत कई शहरों में विरोध मार्च निकाला, जो धीरे-धीरे हिंसक रूप लेता गया. सरकार ने इसे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा मानते हुए सख्त कदम उठाए हैं. कई बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के बाद अब आंदोलन और अधिक आक्रामक हो गया है.
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अध्यक्षता में कैबिनेट की आपात बैठक
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों, आगजनी और एक पत्रकार को जिंदा जलाने की घटना के बाद गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय हरकत में आ गए. शुक्रवार देर रात प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अध्यक्षता में कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें नेपाली सेना, नेपाल पुलिस, सशस्त्र प्रहरी बल और खुफिया विभाग के प्रमुखों को भी शामिल किया गया. बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने कहा कि तोड़फोड़, आगजनी, लूटपाट और पत्रकार की निर्मम हत्या अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि सरकार इस अराजकता को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी और आयोजकों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता छवि रिजाल ने बताया कि इस पूरे घटनाक्रम के लिए प्रदर्शन के आयोजक जिम्मेदार हैं और आंदोलन का नेतृत्व करने वाले सभी प्रमुख नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया है. इसके तहत, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के महामंत्री और सांसद धवल शमशेर राणा, पार्टी के उपाध्यक्ष रवीन्द्र मिश्र, संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक नवराज सुवेदी और प्रवक्ता स्वागत नेपाल समेत 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. राजधानी काठमांडू में पुलिस व्यापक सर्च ऑपरेशन चला रही है, जिसके तहत आंदोलन में शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया जा रहा है.
काठमांडू पुलिस प्रमुख एसएसपी विश्व अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के बड़े नेताओं और हिंसा में शामिल अन्य व्यक्तियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी की जा रही है. इस बीच, राजशाही की पुनर्स्थापना के लिए गठित संयुक्त जनसंघर्ष समिति के कमांडर दुर्गा प्रसाई की गिरफ्तारी का वारंट भी जारी कर दिया गया है. हालांकि, लगातार छापेमारी के बावजूद वह अब तक पुलिस की पकड़ में नहीं आए हैं.
पुलिस का आरोप है कि दुर्गा प्रसाई ने खुद वाहन चलाते हुए पुलिस की घेराबंदी को तोड़ने की कोशिश की, जिससे भीड़ और उग्र हो गई. इस घटना का वीडियो उनकी टीम ने सोशल मीडिया पर भी साझा किया है. पुलिस के अनुसार, दुर्गा प्रसाई पर प्रदर्शनकारियों को भड़काने, हिंसा भड़काने और आगजनी के निर्देश देने के आरोप में फौजदारी मुकदमा दर्ज किया जाएगा.
पूर्व राजा को नजरबंद कर दिया गया
खबर है कि नेपाल सरकार के निर्देश पर पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के निवास निर्मल निवास को नेपाली सेना और हथियारबंद सुरक्षा बलों ने चारों ओर से घेर लिया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, पूर्व राजा को नजरबंद कर दिया गया है और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है. किसी बाहरी व्यक्ति को भी अंदर आने की इजाजत नहीं दी गई है. हालांकि, पूर्व राजा के तौर पर ज्ञानेन्द्र शाह को अभी भी नेपाली सेना की वीवीआईपी सुरक्षा दी जा रही है.
सूत्रों के अनुसार, नेपाल सरकार राजशाही समर्थक प्रदर्शनों और हाल ही में हुई हिंसा के लिए सीधे तौर पर ज्ञानेन्द्र शाह को जिम्मेदार मान रही है. इसको देखते हुए, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है.
भारत पर संभावित प्रभाव
नेपाल में मौजूदा राजनीतिक संकट भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि नेपाल की स्थिरता सीधे भारत की सुरक्षा और कूटनीतिक हितों से जुड़ी हुई है. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक रूप से गहरा संबंध है. ऐसे में नेपाल में बढ़ता अस्थिरता का दौर भारत के लिए कई तरह की चुनौतियां खड़ी कर सकता है:
- सीमा सुरक्षा पर असर : नेपाल और भारत के बीच खुली सीमा है. अगर नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल और अस्थिरता बढ़ती है तो इसका सीधा असर भारत की सीमाओं पर सुरक्षा चुनौतियों के रूप में दिख सकता है. अवैध गतिविधियां, घुसपैठ और तस्करी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं.
- चीन की भूमिका बढ़ने की आशंका : नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का लाभ उठाकर चीन अपने प्रभाव को और मजबूत कर सकता है. नेपाल में बीते कुछ वर्षों में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ा है. यदि नेपाल में राजशाही समर्थकों व लोकतांत्रिक सरकार के बीच टकराव और गहरा होता है, तो चीन इसमें हस्तक्षेप कर सकता है. भारत के लिए यह एक गंभीर रणनीतिक चुनौती होगी.
- भारतीय निवेश और परियोजनाओं पर असर : नेपाल में भारत की कई प्रमुख परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें पनबिजली, सड़क निर्माण और व्यापारिक समझौतों से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं. अगर नेपाल में अस्थिरता बनी रहती है तो भारत की इन आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
- नेपाल में भारतीय मूल के लोगों की सुरक्षा : नेपाल में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनकी सुरक्षा भी भारत के लिए एक अहम मुद्दा हो सकता है. अगर नेपाल में हिंसा और टकराव बढ़ता है, तो भारतीय नागरिकों को वहां से निकालने की आवश्यकता पड़ सकती है.