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Badrinath Kapat Opening Date 2025: टिहरी नरेश की जन्मपत्री के आधार पर तय होती है बद्रीनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि
Badrinath Kapat Opening Date 2025: टिहरी नरेश की जन्मपत्री के आधार पर तय होती है बद्रीनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, April 16, 2025
Updated On: Wednesday, April 16, 2025
Badrinath Kapat Opening Date 2025: श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की परंपरा अपने आप में अनूठी है. धाम के कपाट खोलने और बंद करने की तिथि टिहरी नरेश की जन्मपत्री के आधार पर तय की जाती है. श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया 22 अप्रैल से शुरू हो जाएगी और 4 मई को कपाट खोल (Badrinath Kapat Opening Date 2025) दिए जाएंगे.
Authored By: स्मिता
Updated On: Wednesday, April 16, 2025
Badrinath Kapat Opening Date 2025: करोड़ों हिंदुओं की आस्था और विश्वास के प्रतीक हैं श्री बद्रीनाथ धाम. संपूर्ण पृथ्वी के स्वामी माने जाने के कारण बद्रीनाथ भू-बैकुंठ स्वामी भी कहे जाते हैं. इस वर्ष श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया 22 अप्रैल से शुरू हो जाएगी. श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की परंपरा अपने आप में अनूठी है. धाम के कपाट खोलने और बंद करने की तिथि टिहरी नरेश की जन्मपत्री के आधार पर तय की जाती है. इस बार केदारखंड के तीर्थ पुरोहितों ने 4 मई को बदरीधाम के कपाट खोलने की तिथि तय की है. इस दौरान 12 दिन तक कलश यात्रा विभिन्न पड़ावों से होते हुए 13वें दिन बदरीनाथ धाम पहुंचेगी. पूजा-अर्चना के बाद 14वें दिन बद्रीनाथ धाम के कपाट विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल (Badrinath Kapat Opening Date 2025) दिए जाएंगे.
शीतकाल में ज्योर्तिमठ में रहती है शंकराचार्य की गद्दी
शीतकाल में छह महीने शंकराचार्य की गद्दी ज्योर्तिमठ में रहती है, जबकि उधव और कुबेर पांडुकेश्वर में शीतकालीन वास करते हैं. भगवान बद्री विशाललाक्षी मां लक्ष्मी के साथ छह माह के लिए घृत कंबल को ओढ़े हुए रहते हैं. कपाट खुलने के दिन लक्ष्मी जी को लक्ष्मी मंदिर में स्थापित किया जाता है और भगवान बद्री की पंचायत शंकराचार्य की गद्दी, उधव और कुबेर जी की स्थापना के साथ ही सज जाती है. नरेंद्रनगर राज दरबार में इस बार बद्री विशाल के दीपक व अभिषेक के लिए 22 अप्रैल को महारानी राज लक्ष्मी शाह की मौदूगी में सुहागन स्त्रियां पीले वस्त्र पहनकर गाडू घड़े (तेल रखने वाला पवित्र घड़ा) के लिए तिल का तेल पिरोएंगी.
तेल कलश की होती है पूजा-अर्चना
22 अप्रैल की शाम को तेल कलश (गाडू घड़ा) यात्रा श्री बद्रीनाथ धाम के लिए रवाना हो जाएगी. यह यात्रा देर शाम को ऋषिकेश पहुंच जाएगी. बुधवार सुबह 23 अप्रैल को ऋषिकेश में तेल कलश की पूजा-अर्चना होगी और श्रद्धालु इसके दर्शन करेंगे. इसके बाद 23 अप्रैल की दोपहर को गाडूघड़ा मुनिकी रेती में प्रवास करेगी और 24 अप्रैल को मुनिकी रेती से श्रीनगर पहुंचेगी. 25 अप्रैल को तेल कलश यात्रा श्रीनगर श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर से डिम्मर गांव प्रस्थान करेगी.
विधि-विधान के साथ खुलते हैं धाम कपाट (Badrinath Dham Kapat )
यह तेल कलश यात्रा रुद्रप्रयाग होते हुए शाम को गाडू घड़ा श्री नृसिंह मंदिर ज्योतिर्मठ पहुंचेगा. श्री नृसिंह मंदिर में पूजा-अर्चना भोग के बाद 2 मई को गाडू घड़ा और आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी श्री रावल अमरनाथ नंबूदरी जी श्री नृसिंह मंदिर ज्योर्तिमठ से योगबदरी पांडुकेश्वर प्रवास के लिए प्रस्थान करेंगे. 3 मई शाम को शंकराचार्य गद्दी की अगुवाई में गाडू घड़ा यात्रा में पांडुकेश्वर से श्री उद्धव जी और श्री कुबेर जी की डोली भी शामिल हो जाएगी. इसके बाद रविवार 4 मई को सुबह 6 बजे विधि विधान के साथ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे.
(हिन्दुस्थान समाचार इनपुट के साथ)
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