हीट वेव (Heat Wave) या लू का अलर्ट : गर्मी से रहें बचकर

हीट वेव (Heat Wave) या लू का अलर्ट : गर्मी से रहें बचकर

Authored By: ओम दत्त

Published On: Monday, May 20, 2024

heat wave ya lu ka alart
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लोकसभा चुनावों के बीच उत्तर भारत इन दिनों हीट वेव यानी गर्म हवाओं/लू की चपेट में है। इसका एक बडा कारण अलनीनो और ग्लोबल वार्मिंग को माना जा रहा है। तेज गर्मी के प्रभाव से हर कोई परेशान है, लेकिन रोजमर्रा के कामों को रोका भी नहीं जा सकता। हालांकि भीषण गर्मी और लू के बीच बाहर निकलने में शरीर के लिए कई तरह के जोखिम हो सकते हैं। गर्मी से स्वयं को बचाना बहुत आवश्यक है। आइए जानें कैसे बढ रहा है गर्मी और लू का प्रकोप और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए...

Authored By: ओम दत्त

Updated On: Saturday, July 27, 2024

भारत में गर्मी तो हर साल आती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मई और जून की गर्मी जिस तरह जनजीवन को अस्त व्यस्त कर दे रही है, वह चिंताजनक है। समय से पहले दस्तक दे चुकी भीषण गर्मी का स्तर जिस हिसाब से अभूतपूर्व ऊंचाई पर पहुंच गया है और आगे जैसी आशंका बताई जा रही है, उसके कारण देश को एक असाधारण चुनौती सामना करना पड़ रहा है। देश का शायद ही कोई ऐसा राज्य या शहर होगा जहां पहले गर्मी का एहसास न के बराबर था और अब वहां के लोग कहते न हों कि इतनी गर्मी तो पहले कभी होती ही नहीं थी।

पिछले कुछ दिनों से देश के कई शहरों का अधिकतम तापमान 47°C तक दर्ज किया गया जो एक चिंताजनक विषय है। भारतीय मौसम विभाग की मानें तो सन् 1901 के बाद साल 2018 में सबसे ज़्यादा गर्मी पड़ी थी और यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल भी औसत तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी।

राजधानी दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में प्रचंड गर्मी ने लोगों को बेहाल कर रखा है। दिल्ली में तो बीते 14 साल का रिकॉर्ड टूट गया। यहां पारा 47°C डिग्री को पार कर गया। 19 मई, 2024 को भारत के मौसम विज्ञान विभाग द्वारा सर्वाधिक अधिकतम तापमान वाले शहरों की सूची के अनुसार-

दिल्ली के नजफगढ़ टेम्परेचर 47.8°C डिग्री मुंगेशपुर में 47.7°C डिग्री और पीतमपुरा में 47°C डिग्री रिकार्ड हुआ,जबकि उत्तर प्रदेश के आगरा में 47.7°C डिग्री और झांसी में 47.2 °C डिग्री रहा।

चाहे बात उत्तर प्रदेश की हो, बिहार की हो, राजस्थान की हो या फिर हो गुजरात की अधिकांश हिस्सों में तापमान 45 डिग्री को पार करके आगे ही बढ़ रहा है। मौसम विभाग की ओर से यूपी के 8 जिलों में हीटवेव का रेड अलर्ट है, प्रशासन ने भी एडवाइजरी जारी की है कि बच्चे-बुजुर्ग घर से न निकलें।

आमतौर पर हीटवेव/लू या भीषण गर्मी का दौर अप्रैल ख़त्म होने के साथ शुरू होकर मई के महीने में अपने शबाब पर होता है जबकि इस साल हीटवेव का पहला दौर मार्च के पहले सप्ताह यानी होली से पहले ही शुरू हो गया।

हीटवेव होता क्या है?

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, ‘जब लगातार पांच दिनों से अधिक का दैनिक अधिकतम तापमान औसत अधिकतम तापमान से 5 डिग्री सेल्सियस (9 डिग्री फारेनहाइट) से अधिक हो जाता है, तब इसे हीट वेव कहते हैं।

भारत में हीटवेव घोषित करने के लिये भारतीय मौसम विज्ञान विभाग हीटवेव की स्थिति तब मानता है, “जब किसी स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक एवं पहाड़ी क्षेत्रों में कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच जाता है।”

हीटवेव को “मूक आपदा” भी कहा जाता है क्योंकि यह धीमी गति से होती है, लेकिन फिर भी मनुष्यों और जानवरों को समान रूप से बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाती है।
2024 में भारत में तापमान बढ़ने के पूर्व के रिकार्ड टूटने की आशंका के कारण सरकार ने हीटवेव की घोषणा करके लोगों को इससे बचने की सलाह दी है।

हीटवेव/भीषण गर्मी के होने के क्या कारण हैं

  • अल नीनो:ऐतिहासिक आंकड़ों को देखा जाये तो पता चलता है कि 2023 से शुरू हुए अल नीनो की घटनाओं के कारण मुख्य रूप से भारत में मानसूनी वर्षा कम हुई है,जो कम वर्षा के साथ जारी है। अल-नीनो का असर इस साल अपने अधिकतम स्तर पर रहेगा। इसका कारण बताया जा रहा है कि इंसानों द्वारा पैदा की जा रही कार्बन डाईऑक्साइड है, जो जलवायु परिवर्तन और तापमान बढ़ाने में मदद कर रही है।

  • आंतरिक उष्णता: भारत के कई भागों में आंतरिक उष्णता का स्तर बढ़ रहा है, जो कि गर्मी को और भी अधिक बढ़ा रहा है। इसका मुख्य कारण है शहरीकरण, जल, और ऊर्जा उपभोग में वृद्धि।

  • वनस्पति कटाई: अवैध वनस्पति कटाई और वनों की घटती संख्या के कारण हवा की शुद्धता कम हो रही है, जिससे गर्मी का असर अधिक हो रहा है।

  • ग्लोबल वार्मिंग: ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हर साल मौसम गर्म होता जा रहा है। साल दर साल जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में बढ़ोतरी देखी जा रही है और तूफानों का आकार बढ़ रहा है।

  • वाहनों की बढ़ती संख्या: सड़क पर वाहनों की संख्या ज्यादा होना भी एक कारण माना गया है।

जानिये शरीर कितनी गर्मी सहन कर सकता है

गर्मी में सलाह दी जाती है कि जितना संभव हो उतना पानी पीते रहें लेकिन कई बार पानी पीने के बाद भी गर्मी या लू का असर हो जाता है। इसलिये यह जानना आवश्यक हो जाता है कि हमारा शरीर कितना तापमान सहन कर सकता है?

वरिष्ठ डॉक्टर राजेन्द्र कुमार के अनुसार मनुष्य का शरीर 37.5 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर सकता है। किसी भी मौसम में शरीर में अंदर का तापमान 37.5 डिग्री सेल्सियस होना चाहिये और इसे नियंत्रित करता है हाइपोथैलेमस जो दिमाग के पीछे के हिस्से में होता है। अगर इससे ज्यादा टेम्परेचर हो तो दिक्कत बढ़ सकती है।

हीटवेव/भीषण गर्मी का स्वास्थ्य पर कैसे हो सकता है घातक असर

अत्यधिक गर्मी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है, यहां तक कि घातक भी। इस अत्यधिक गर्मी के मौसम में लोगों को गर्मी से संबंधित बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है, जैसे कि दस्त, लू और जलस्नायु रोग। गर्मी से संबंधित इन बीमारियों के साथ-साथ हृदय और श्वसन संबंधी रोग के लिए अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में वृद्धि हुई है। अत्यधिक गर्मी के कारण हीट स्ट्रोक जैसी विभिन्न प्रकार की गर्मी तनाव स्थितियों को ट्रिगर कर सकती हैं।

हीट स्ट्रोक:पसीना आने और ठंडक पहुंचाने के लिए, रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है जिसके कारण हृदय की गति बढ़ जाती है जिसके कारण लगता है कि रक्तचाप गिर जाएगा और बेहोशी भी आ सकती है, जो हीट स्ट्रोक का एक महत्वपूर्ण संकेत है। अगर समय पर इलाज न मिले तो हार्ट फेल होने की भी आशंका बन जाती है।

किडनी पर प्रतिकूल प्रभाव : हृदय प्रणाली में रक्तचाप के नुकसान की प्रतिपूर्ति करने के लिए पानी और नमक का उपयोग शरीर में तेजी से होने लगता है जिसका परिणाम होता है कि हमारी किडनी कम लेकिन अधिक गाढ़ा भूरे रंग का मूत्र उत्सर्जित करती है और पेशाब होना भी कम हो जाता है। अधिक समय तक ऐसा होने पर तापमान बढ़ने और शरीर में निर्जलीकरण के कारण किडनी पर प्रतिकूल असर हो सकता है।

इसके अलावा मस्तिष्क गर्म होने से तनाव भी बढ़ सकता है, साथ ही पाचन तंत्र भी प्रभावित होता है जिससे सिर दर्द, मतली और उल्टी भी हो सकती है।

कृषि पर प्रभाव: उच्च तापमान के कारण कृषि में नुकसान हो सकता है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।

पानी की कमी: गर्मियों में पानी की कमी बढ़ जाती है, जिससे पेयजल की उपलब्धता पर प्रभाव पड़ सकता है।

कैसे करें गर्मी से बचाव और बढ़ती गर्मी का क्या है समाधान

garmi se rahe bachkar

तापमान काबू में रखें: लोग इस बात से वाकिफ हो गये हैं कि शरीर का तापमान नियंत्रण में रखना कितना जरूरी है, इसलिये तापमान को काबू में रखना जरूरी है।
कपड़े: मौसम के अनुसार पोशाक हो। हल्के रंग के कपड़े पहनें। बाहर निकले तो खुद को ढककर रखें लेकिन ध्यान रखें कि आप सूती या लिनेन का कपड़ा इस्तेमाल कर रहे हों। सिर पर टोपी या हैट लगाना बेहतर होगा।

खाने पीने का ख़्याल: पानी और तरल पदार्थ पीते रहिए ताकि शरीर जितना संभव हो उतना हाइड्रेटेड रहे। ऐसा खाना खाएं जिसमें पानी की मात्रा अधिक हो और आसानी से पच सके।
उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों और मांस के सेवन से बचें। इन्हें खाने से आपके शरीर में गर्मी का उत्पादन बढ़ सकता है।

धूप में निकलने से बचें: आप घर के अंदर जितना रह सकते हैं, उतना अच्छा होगा। दिन के समय संभव हो तो बाहर न निकलें। धूप की तेजी से आपके शरीर को ठंडा होना कठिन हो जाता है। एक्सरसाइज़ करते समय भी सावधान रहें। धीमे चलें और अधिक परिश्रम वाले काम करने से बचें।

कारों में बहुत सावधान रहें: गाड़ियां बहुत तेजी से गर्म होती हैं। आपको कभी भी खिड़कियां बंद करके खड़ी कार में अधिक समय नहीं बिताना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान

  • इसके अतिरिक्त मोबाइल और गैजेट का उपयोग कम से कम करें।
  • वनस्पति संरक्षण और बढ़ावा दें।
  • प्रदूषण कम करने की दिशा में भी प्रयास करें।
  • जल संरक्षण को महत्व दें और जल संचयन की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करें।
  • इन समाधानों को अपनाने से, हम गर्मी के मौसम के प्रतिकूल प्रभाव से खुद को बचा सकते हैं।
About the Author: ओम दत्त
ओम दत्त उत्तर प्रदेश के प्रमुख मीडिया आउटलेट गलगोटियाज टाइम्स के राज्य प्रमुख हैं। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों से समाचारों और घटनाक्रमों को कवर करने के लिए एक बड़े संवाददाता नेटवर्क का नेतृत्व करते हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों से मिलने वाली खबरों पर नजर रखते हुए उचित प्राथमिकता देने और समयबद्ध रिपोर्टिंग सुनिश्चित करते हैं। उनकी विशेषता सही और निष्पक्ष पत्रकारिता को बढ़ावा देना और टीम को प्रेरित कर उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करना है।

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