Mental Health: दोस्तों के साथ रोज बातचीत करने पर मेंटल हेल्थ हो सकता है मजबूत

Mental Health: दोस्तों के साथ रोज बातचीत करने पर मेंटल हेल्थ हो सकता है मजबूत

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, May 6, 2025

Last Updated On: Tuesday, May 6, 2025

हंसते-मुस्कुराते दोस्तों का ग्रुप, जो मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है.
हंसते-मुस्कुराते दोस्तों का ग्रुप, जो मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है.

Mental Health: ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, दोस्तों के साथ बातचीत करना, प्रकृति में समय बिताना और मानसिक रूप से व्यस्त रहने जैसी सरल, रोज़मर्रा की गतिविधियां मानसिक स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार ला सकती हैं.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Tuesday, May 6, 2025

Mental Health: पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में 600 से अधिक वयस्कों का सर्वेक्षण करने वाले अध्ययन में पाया गया कि जो लोग दूसरों के साथ दैनिक बातचीत में शामिल होते हैं, वे मानक मानसिक स्वास्थ्य पैमाने पर उन लोगों की तुलना में 10 अंक अधिक स्कोर करते हैं, जो शायद ही कभी ऐसा करते हैं. ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, प्रकृति के दैनिक संपर्क से पांच अंकों की वृद्धि हुई, जबकि नियमित सामाजिक मेलजोल, शारीरिक गतिविधि, आध्यात्मिक अभ्यास और दूसरों की मदद करने से भी मानसिक स्वास्थ्य में सुधार  (Mental Health) हुआ.

रोज़ाना की बातचीत ला सकती है मेंटल हेल्थ में अंतर (Daily Talk for Mental Health)

ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन स्कूल ऑफ़ पॉपुलेशन हेल्थ की अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता प्रो. क्रिस्टीना पोलार्ड के अनुसार, ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ एसएसएम-मेंटल हेल्थ में प्रकाशित निष्कर्ष मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में सुलभ, कम लागत वाली क्रियाओं की शक्ति को उजागर करते हैं. पोलार्ड के अनुसार, ये महंगे कार्यक्रम या नैदानिक हस्तक्षेप नहीं हैं. ये ऐसे व्यवहार हैं, जो पहले से ही कई लोगों के जीवन का हिस्सा हैं. ये सार्वजनिक स्वास्थ्य संदेश के माध्यम से आसानी से प्रोत्साहित किए जा सकते हैं. दूसरों के साथ नियमित संपर्क (Helping Attitude), यहां तक कि रोज़ाना की बातचीत भी लोगों की भावनाओं में काफ़ी अंतर ला सकती है. इसी तरह, बाहर समय बिताना या ऐसा कुछ करना जिसमें सोचने और ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत हो, जैसे क्रॉसवर्ड हल करना, पढ़ना या कोई नई भाषा सीखना, मानसिक रूप से मज़बूत होने में अहम भूमिका निभाता है.

मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता (Mental Health Priority)

शोध में 15 व्यवहारों का मूल्यांकन किया गया और पाया गया कि इन व्यवहारों में भागीदारी की आवृत्ति के साथ मानसिक स्वास्थ्य में लगातार वृद्धि हुई. अभियान के बारे में जागरूकता काफ़ी ज़्यादा थी. 86 प्रतिशत प्रतिभागियों ने इसे पहचाना, जबकि लगभग सभी इस बात पर सहमत थे कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए. प्रोफेसर पोलार्ड के मुताबिक यह शोध पुष्टि करता है कि जब लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ व्यवहार अपनाने के लिए समर्थन और प्रोत्साहन दिया जाता है, तो इसका लाभ पूरे समुदाय में महसूस किया जा सकता है। यह सिर्फ़ उपचार नहीं, बल्कि रोकथाम के बारे में है – लोगों को संकट के बिंदु पर पहुंचने से पहले मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करना.

मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह (Mental Health Awareness Month)

मई का महीना मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह माना जाता है. यह गुरुवार, 1 मई 2025 – शनिवार, 31 मई 2025 तक चलेगा. अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करके मानसिक बीमारी और मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में स्टिग्मा को कम करने का प्रयास मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता है. अक्सर मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक फिटनेस के बारे में गलत धारणाओं के कारण लोग पीड़ित होते हैं और उनका इलाज नहीं हो पाता है.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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