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Gastric Cancer in India : भारत में पेट के कैंसर का बढ़ा खतरा, WHO Report
Gastric Cancer in India : भारत में पेट के कैंसर का बढ़ा खतरा, WHO Report
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, July 14, 2025
Last Updated On: Monday, July 14, 2025
Gastric Cancer in India : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक विशेष एजेंसी इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने अपने हालिया अध्ययन में चेताया है कि आने वाले समय में भारतीय युवाओं को गैस्ट्रिक यानी पेट के कैंसर का खतरा सबसे अधिक होगा. पेट के कैंसर के 76% मामलों के लिए एच पाइलोरी संक्रमण ज़िम्मेदार है. हालांकि अध्ययन ने एंटीबायोटिक्स और फॉलो-अप से इससे जान बचाने की भी बात कही है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Monday, July 14, 2025
Gastric Cancer in India : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक विशेष एजेंसी इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने हाल में लिवर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में चेतावनी दी है. दुनिया में गैस्ट्रिक कैंसर यानी पेट के कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़े हैं. यह आंकड़ा एशिया खासकर भारत में अधिक दिखाई दे रहा है. इस अध्ययन में 2008 से 2017 के बीच पैदा हुए लोगों को शामिल किया गया. यह पाया गया कि इस पीढ़ी के लगभग 1.56 करोड़ लोगों को अपने जीवनकाल में पेट के कैंसर का खतरा है. आश्चर्य पैदा करने वाली बात यह है कि इनमें से लगभग दो-तिहाई मामले केवल एशिया में होंगे. अध्ययन के अनुसार आने वाले दशकों में भारत और चीन दोनों मिलकर लगभग 65 लाख नए पेट के कैंसर (Gastric Cancer in India) के मामलों का सामना करेंगे.
भारत में गैस्ट्रिक कैंसर के लिए एच पाइलोरी संक्रमण सबसे अधिक जिम्मेदार (H. pylori for Gastric Cancer)
भारत में मामलों में वृद्धि की गति दुनिया से भी तेज़ है. दुनिया में वर्तमान में कैंसर से होने वाली मौतों में गैस्ट्रिक कैंसर पांचवे स्थान पर है. भारत में यह संकट और भी गंभीर है. यहां पहले से ही स्वास्थ्य असमानता, कमज़ोर टेस्ट प्रणाली और लक्षणों के बारे में जागरूकता का अभाव है. भारत में पेट के कैंसर के 76% मामलों के लिए एच पाइलोरी संक्रमण ज़िम्मेदार है. यह बैक्टीरिया चुपचाप पेट की परत को संक्रमित करता है, जो धीरे-धीरे सूजन, अल्सर और फिर कैंसर में बदल सकता है.
युवा अधिक हो रहे हैं प्रभावित (Gastric Cancer)
सबसे अधिक चिंता वाली बात यह है कि गैस्ट्रिक कैंसर युवाओं को भी प्रभावित कर रहा है. खासकर 2008 के बाद पैदा हुए लोगों में इसका खतरा बढ़ रहा है. जब यह युवा पीढ़ी देश की बुजुर्ग आबादी के साथ कैंसर रोगियों की सूची में शामिल हो जाएगी, तो यह दोहरी चुनौती बन जाएगी.
फॉलो-अप और एंटीबायोटिक्स से बचाई जा सकती है जान (Gastric Cancer Treatment)
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के अध्ययन ने इस संकट से निपटने का एक तरीका भी दिखाया है. अगर एच पाइलोरी का जल्द पता लगाकर उसका इलाज किया जाए, तो भविष्य में होने वाले 75% कैंसर के मामलों से बचा जा सकता है. भारत जैसे देश में एंटीबायोटिक्स और साधारण फॉलो-अप से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है.