Anti Leprosy Day in India: किसी ख़ास वजह से भारत में 30 जनवरी को मनाया जाता है कुष्ठ निवारण दिवस

Anti Leprosy Day in India: किसी ख़ास वजह से भारत में 30 जनवरी को मनाया जाता है कुष्ठ निवारण दिवस

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, January 29, 2025

Updated On: Wednesday, January 29, 2025

Anti Leprosy Day in India, significance of January 30, Leprosy eradication.
Anti Leprosy Day in India, significance of January 30, Leprosy eradication.

विशेष कारणों से भारत में 30 जनवरी को एंटी लेप्रसी डे (Anti Leprosy Day in India) मनाया जाता है। अब लाइलाज नहीं है कुष्ठ रोग। भारत में पहले की अपेक्षा इनके रोगियों की संख्या में भी कमी आ रही है। जानते हैं कैसे होता है यह रोग?

Authored By: स्मिता

Updated On: Wednesday, January 29, 2025

Anti Leprosy Day in India: दुनिया भर में जनवरी माह के अंतिम रविवार को वर्ल्ड लेप्रसी डे मनाया जाता है। भारत में हर साल 30 जनवरी को एंटी लेप्रसी डे मनाया जाता है। समाज में कुष्ठ रोग को आज भी स्टिग्मा के तौर पर देखा जाता है, जबकि इसकी दवा उपलब्ध है। इस रोग के प्रति भारत के साथ-साथ दुनिया भर में लोगों को जागरूक करना जरूरी है। इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइज़ेशन भी प्रतिबद्ध है। इसलिए यह संस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित करता है। जानते हैं भारत में एंटी लेप्रसी डे (Anti Leprosy Day in India) 30 जनवरी को क्यों मनाया जाता है?

भारत में एंटी लेप्रसी डे (Anti Leprosy Day in India)

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कुष्ठ रोग के प्रति लोगों को जागरूक किया था। इस छूआछूत माने जाने वाले रोग के खिलाफ़ लड़ाइयां भी लड़ीं। इस बीमारी के प्रति उनकी चिंता पोरबंदर में उनके अपने घर से ही शुरू हुई थी।मात्र 13 साल की उम्र में वे लाधा महाराज नामक एक व्यक्ति के निकट संपर्क में आए थे, जो गांधीजी के बीमार पिता को रामायण की चौपाइयां सुनाया करते थे। उन्होंने ही गांधीजी को इस रोग के प्रति जागरूक किया था। इसलिए महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को भारत में हर साल मनाया एंटी लेप्रसी डे जाता है।
क्या है भारत में कुष्ठ रोगियों का आंकड़ा (Data of Leprosy Patient in India)

डॉ. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में भारत सरकार ने कुष्ठ रोग की समस्या से निपटने के लिए 1981 में एक समिति का गठन किया। पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) के तहत शुरू किए गए अलग-अलग कार्यक्रमों के कारण कुष्ठ रोगियों की संह्या में कमी आई है। 2014-15 में 1,25,785 कुष्ठ रोगी थे, लेकिन 2021-22 में नए कुष्ठ मामलों की संख्या घटकर 75,394 रह गई । यह वैश्विक नए कुष्ठ मामलों का 53.6% है।

क्या है एंटी लेप्रसी (What is Anti Leprosy)

एंटी लेप्रसी या कुष्ठ निवारण एजेंट कुष्ठ रोग और कुछ त्वचा संक्रमणों जैसे कि डर्मेटाइटिस हर्पेटिफॉर्मिस (सीलिएक रोग वाले लोगों में होने वाली खुजली और त्वचा पर चकत्ते) के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का एक वर्ग है।

कैसे होता है कुष्ठ रोग (Cause of Leprosy)

वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइज़ेशन की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, कुष्ठ रोग एक प्रकार का जीवाणु माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होने वाला एक क्रोनिक संक्रामक रोग है। यह रोग मुख्य रूप से त्वचा और पेरिफेरल नर्व को प्रभावित करता है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह रोग बहुत अधिक बढ़ सकता है। यह स्थायी विकलांगता का कारण भी बन सकता है। माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु के साथ निकट संपर्क में आने से कुष्ठ रोग (Hansen’s disease) होता है। हैन्सन रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से नहीं फैलता है। आप इसे किसी ऐसे व्यक्ति से हाथ मिलाने, उसके बगल में बैठने या बात करने जैसे आकस्मिक संपर्क से नहीं प्राप्त कर सकते हैं, जिसे यह रोग है।

पूरी तरह ठीक हो सकता है रोग (Leprosy Treatment)

वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइज़ेशन के अनुसार, कुष्ठ रोग का उपचार किया जा सकता है। वर्तमान में अनुशंसित उपचार पद्धति में तीन दवाएं (डेप्सोन, रिफैम्पिसिन और क्लोफ़ाज़िमाइन) शामिल हैं और इसे मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) कहा जाता है। डब्ल्यूएचओ पीबी के लिए 6 महीने और एमबी के मामलों के लिए 12 महीने की अवधि के साथ एक ही उपचार पद्धति की सिफारिश करता है।

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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