Autism Spectrum Disorder : नॉन फेटल हेल्थ बर्डन का एक प्रमुख कारण है ऑटिज्म, अध्ययन

Autism Spectrum Disorder : नॉन फेटल हेल्थ बर्डन का एक प्रमुख कारण है ऑटिज्म, अध्ययन

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, March 20, 2025

Updated On: Thursday, March 20, 2025

एक मुस्कुराता हुआ बच्चा जो ऑटिज्म से प्रभावित है, विशेष देखभाल की कुर्सी पर बैठा है। बैकग्राउंड में अन्य बच्चे और खेल का माहौल दिखाई दे रहा है।
एक मुस्कुराता हुआ बच्चा जो ऑटिज्म से प्रभावित है, विशेष देखभाल की कुर्सी पर बैठा है। बैकग्राउंड में अन्य बच्चे और खेल का माहौल दिखाई दे रहा है।

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर व्यक्तित्व संबंधी समस्या है, जो बच्चों और बड़ों को भी प्रभावित करती है। द लैंसेट साइकियाट्री जर्नल में प्रकाशित अध्ययन बताते हैं कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर नॉन फेटल हेल्थ बर्डन (Autism Spectrum Disorder ) का एक प्रमुख कारण है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Thursday, March 20, 2025

Autism Spectrum Disorder के कारण लोगों को सामान्य सामाजिक संबंधों को विकसित करने में कठिनाई होती है। वे भाषा का असामान्य रूप से उपयोग करते हैं। उनका व्यवहार भी सबसे अलग दिखता है। प्रतिष्ठित मेडिकल साइंस पत्रिका द लैंसेट के एक नए अध्ययन के अनुसार, 20 वर्ष से कम आयु के युवाओं में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) को नॉन फेटल हेल्थ बर्डन के शीर्ष 10 कारणों में स्थान दिया गया है। द लैंसेट साइकियाट्री जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि 2021 में दुनिया भर में लगभग 6.2 करोड़ लोग इससे पीड़ित थे।इसका अर्थ यह हुआ कि यह हर 127 व्यक्तियों में से एक ऑटिज्म स्पेक्ट्रम (Autism Spectrum Disorder ) होने का अनुमान है।

पुरुषों के अनुपात में महिलाओं में ऑटिज्म के कम मामले (Autism Spectrum disorder in female)

यह अध्ययन 2021 में ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिसीज़ इंजरीज़ एंड रिस्क फैक्टर्स को जानने के लिए किया गया था। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर महिलाओं में कम देखा जाता है। निष्कर्ष के अनुसार, प्रति 1 लाख पुरुषों पर 1,065 मामले हैं। यह संख्या चिंताजनक है, क्योंकि यह महिलाओं में वैश्विक प्रसार (प्रति 1 लाख महिलाओं पर 508) से लगभग दोगुनी है। क्षेत्र के अनुसार मामलों की संख्या भी अलग-अलग थी। उदाहरण के लिए जापान सहित उच्च आय वाले क्षेत्रों में प्रति 1 लाख लोगों पर 1560 के साथ वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक प्रसार दर्ज किया गया। वहीं लैटिन अमेरिका और बांग्लादेश में सबसे कम रिपोर्ट की गई।

मस्तिष्क के विकास से संबंधित स्थिति है ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum disorder)

चाइल्ड डेवलपमेंट संस्था अनन्या की डायरेक्टर और सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. ईशा सिंह बताती हैं, ‘मस्तिष्क के विकास से संबंधित स्थिति है ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर। इस समस्या के कारण एक व्यक्ति दूसरों के साथ अजीबोगरीब व्यवहार कर सकता है। उसे सामाजिक संपर्क बनाने और संचार में समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इस विकार के कारण व्यक्ति का व्यवहार सीमित और दोहराव वाले पैटर्न का हो सकता है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर में स्पेक्ट्रम शब्द लक्षणों और गंभीरता की विस्तृत श्रृंखला की ओर संकेत करता है।‘

क्या है कारण (causes of Autism Spectrum disorder)

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) मस्तिष्क में अंतर के कारण होने वाली एक विकासात्मक विकलांगता (Developmental Disability) है। ASD वाले कुछ लोगों में एक ज्ञात अंतर होता है, जैसे कि आनुवंशिक स्थिति। अन्य कारण अभी तक ज्ञात नहीं हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ASD के कई कारण हैं, जो लोगों के विकास के सबसे आम तरीकों को बदलने के लिए एक साथ काम करते हैं।

ऑटिज्म से पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव (Autism patient care)

डॉ. ईशा सिंह बताती हैं, ‘ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorder) का प्रचलन हाल के वर्षों में बहुत अधिक बढ़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) का अनुमान है कि 50 में से लगभग 1 बच्चे में ए एस डी डायग्नूज़ किया जाता है। सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि इन बच्चों को चिकित्सा के संदर्भ में समय पर सहायता और समर्थन नहीं मिल पाता है। चाहे ऑटिज्म से पीड़ित बच्चा हो या वयस्क, हमारे समाज में इसे लेकर बहुत सारे स्टिग्मा प्रचलित हैं। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों और वयस्कों को इनका सामना करना पड़ता है। बहुत सारे मामलों में ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे और वयस्क बहुत होशियार और बुद्धिमान देखे जाते हैं। वे इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है, लेकिन वे इसके खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त नहीं कर पाते हैं।‘

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर ट्रीटमेंट (ASD Treatment)

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लिए उपलब्ध सबसे प्रभावी उपचार व्यवहार विश्लेषण (behavioral analysis), व्यावसायिक चिकित्सा (occupational therapy), स्पीच थेरेपी (speech therapy), भौतिक चिकित्सा (physical therapy) और औषधीय चिकित्सा (pharmacological therapy) हैं। उपचार एएसडी संबंधित कमियों के प्रभाव को कम करने और कार्यात्मक स्वतंत्रता और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए काम करता है।

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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