मेंटल और फिजिकल हेल्थ दोनों के लिए फायदेमंद है रिवर्स या बैकवार्ड वॉकिंग, जानें कितने देर चलें उल्टे पैर

मेंटल और फिजिकल हेल्थ दोनों के लिए फायदेमंद है रिवर्स या बैकवार्ड वॉकिंग, जानें कितने देर चलें उल्टे पैर

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, August 13, 2024

Updated On: Wednesday, February 5, 2025

reverse or backward walking
reverse or backward walking

कई शोध यह पूरी तरह प्रमाणित कर चुके हैं कि सबसे बढ़िया एक्सरसाइज है वॉकिंग। यह सक्रिय रहने में मदद करता है। लेकिन रिवर्स वॉकिंग यानी उल्टे पैर चलने के अपने फायदे हैं। रिवर्स वॉकिंग से शरीर ताकतवर और लचीला बनता है। यह हार्ट हेल्दी भी है। ध्यान रखें कि पूरे दिन उल्टे चलने का अभ्यास खतरनाक साबित हो सकता है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Wednesday, February 5, 2025

बोलचाल में हम कभी-कभार ‘उल्टे पांव लौट गए’ का इस्तेमाल करते हैं। उल्टे पांव लौटना एक मुहावरा है, जिसका अर्थ होता है-बिना ठहरे हुए गंतव्य से तुरंत वापस आ जाना। क्या आप जानते हैं कि उलटे चलना स्वास्थ्य को बहुत फायदा पहुंचाता है। वैसे पीछे चलना यानी बैकवार्ड वॉकिंग शरीर के मसल्स और बोन को मजबूती देता है। यह हार्ट हेल्थ को भी मजबूती देता है। ध्यान दें कि पूरे दिन पीछे की ओर चलना अच्छा विचार नहीं है। जैसा कि ‘रिवर्स या बैकवार्ड वॉकिंग’ के नाम से पता चलता है, पीछे की ओर चलना आगे की ओर चलने के ओपोजिट है। यहां आप पहले हील से स्ट्राइक करते हैं और आगे की गति आपके एंकल से आती है। पीछे की ओर चलने में पावर घुटनों और कूल्हे से आती है। पैर का अंगूठा पहले जमीन पर हिट करता है और फिर व्यक्ति पीछे की ओर जाता है। अपने एक्सरसाइज रूटीन में कुछ मिनटों के लिए रिवर्स वॉकिंग को शामिल करें। इसकी शुरुआत कुछ कदम चलने से करें।

रिवर्स या बैकवार्ड वॉकिंग (Reverse or Backward Walking) से हैं कई फायदे

1. निचले शरीर की मांसपेशियों की मजबूती

फिटनेस एक्सपर्ट यश अग्रवाल बताते हैं, ‘ चलने पर चाल या चलने का पैटर्न एड़ी से पैर तक होता है। प्रत्येक कदम के साथ एड़ी पहले ज़मीन से टकराती है। उसके बाद पैर की उंगलियां प्रभावित होती हैं। पीछे की ओर चलने के साथ यह उल्टा होता है। पैर की उंगलियां एड़ी से पहले ज़मीन से टकराती हैं। रिवर्स या रेट्रो वॉकिंग में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। पीछे की ओर चलने पर पैरों को सीधा करने और पीछे धकेलने के लिए जांघ के सामने क्वाड्रिसेप्स को साथ जोड़ना पड़ता है। यह निचले शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकता है। पीछे की ओर चलने से क्वाड्रिसेप्स की ताकत बेहतर होती है।

2. एंकल और हैमस्ट्रिंग में लचीलेपन को बढ़ावा

वॉकिंग से लचीलेपन और गति की सीमा में सुधार हो सकता है। दर्द से राहत मिल सकती है। पीछे की ओर कदम बढ़ाने से पैर के जमीन पर उतरने से पहले घुटना सीधा हो जाता है। यदि चोट या बीमारी के कारण घुटने को पूरी तरह से फैलाने में परेशानी हो रही है, तो यह बार-बार किया जाने वाला मूवमेंट गति की सीमा में सुधार कर सकता है। यह एंकल और हैमस्ट्रिंग में लचीलेपन को बढ़ावा दे सकता है।

3. अधिक कैलोरी होती है बर्न

पीछे की ओर चलने पर मसल्स को सीधे चलने की अपेक्षा अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसलिये सीधे रूप से वाकिंग करने की अपेक्षा उल्टा चलने पर अधिक कैलोरी बर्न होती है। इस फिजिकल एक्टिविटी के दौरान शरीर अधिक ऊर्जा का उपयोग करता है। यदि आप ब्रिस्क वॉक कर रहे हैं, तो इसकी तुलना में रिवर्स वॉकिंग से प्रति मिनट लगभग 40% अधिक कैलोरी बर्न होती है। इससे एक्सरसाइज की इंटेंसिटी बढ़ जाती है।

4. हार्ट हेल्थ को मजबूती

यश अग्रवाल बताते हैं, ‘ कार्डियो का बेहतरीन एक्सरसाइज है वॉकिंग। यह हार्ट और लंग्स को हेल्दी रख सकता है। बैकवार्ड वॉकिंग या पीछे की ओर चलने से कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस में सुधार हो सकता है। एक्सरसाइज के दौरान हृदय और फेफड़ों को कुशलता के साथ ऑक्सीजन प्रदान करता है। यदि आप उल्टे चलने के अभ्यास को 6 सप्ताह तक लगातार करेंगे, तो शरीर का फैट कम हो जाता है। कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस भी पहले की अपेक्षा बेहतर हो पाएगी।

5. जॉइंट पेन हो सकता है कम

उल्टा चलने से घुटनों और घुटने के जोड़ पर दबाव कम पड़ता है। यह क्वाड्स को भी मजबूत करता है, जो घुटने को सहारा देने में मदद करता है। इससे घुटने के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और अन्य जॉइंट डिजीज या चोटों से होने वाले दर्द में राहत मिल सकती है। चलने की दिशा में बदलाव से पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियां भी सक्रिय होती हैं, जो रीढ़ को स्थिर करती हैं। इससे पीठ दर्द से राहत मिल सकती है।

6. मस्तिष्क को चुनौती देता है (Retro walking for mental health)

पीछे की ओर चलना दिमाग के लिए भी अच्छा है। सीधा चलने के लिए बहुत अधिक विचार नहीं करना पड़ता है। बैकवार्ड वॉकिंग करने पर चलने पर अधिक ध्यान देना पड़ता है। सचेत रूप से चलना पड़ता है। रेट्रो वॉकिंग नई चीज सीखने में मदद करने, संतुलन बनाने सहित दिमाग को सक्रिय बनाये रखने की चुनौती देता है। इससे मेमोरी लॉस में भी सुधार हो सकता है।

7. कितनी देर करें रिवर्स वाकिंग

शुरुआत में सिर्फ 5-10 मिनट चलने का अभ्यास करें। धीरे-धीरे समय सीमा बढ़ाएं। सप्ताह में तीन बार 30 मिनट तक ट्रेडमिल पर पीछे की ओर चला जा सकता है। इससे शरीर के संतुलन, चलने की गति और कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस में सुधार होता है

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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