Guillain Barre Syndrome क्या है जिसने पुणे में मचाया कोहराम, 67 लोग चपेट में; जानें लक्षण और इलाज

Guillain Barre Syndrome क्या है जिसने पुणे में मचाया कोहराम, 67 लोग चपेट में; जानें लक्षण और इलाज

Authored By: JP Yadav

Published On: Friday, January 24, 2025

Updated On: Friday, January 24, 2025

Guillain Barre Syndrome ke bare mein janiye, Pune mein kis tarah 67 log isse prabhavit hue hain
Guillain Barre Syndrome ke bare mein janiye, Pune mein kis tarah 67 log isse prabhavit hue hain

Guillain Barre Syndrome : गुलियन बैरे सिंड्रोम की चपेट में आए मरीज को मांसपेशियों में दर्द और सांस लेने से जुड़ी समस्याएं होती हैं. गंभीर मामलों में व्यक्ति पैरालाइज़्ड भी हो सकता है.

Authored By: JP Yadav

Updated On: Friday, January 24, 2025

Guillain Barre Syndrome : महाराष्ट्र के शहर पुणे में गुलियन बैरे सिंड्रोम (Guillain Barre Syndrome) ने लोगों को दहशत में डाल दिया है. पुणे शहर में गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. मिली ताजा जानकारी के अनुसार, शहर में अब तक 67 से मामले सामने आ चुके हैं. GBS से पीड़ित लोगों में 43 पुरुष हैं, जबकि इसकी चपेट में आईं महिलाओं की संख्या 24 पहुंच गई है. इनके अलावा, 13 लोग लाइफ सपोर्ट सिस्टम यानी वेंटिलेटर पर हैं, जिनकी हालत गंभीर बताई जा रही है.

एक महिला की जा चुकी है जान

पुणे नगर निगम की सहायक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वैशाली जाधव (Pune Municipal Corporation assistant health officer Dr Vaishali Jadhav) का कहना है कि इससे निपटने के सारे कदम उठाए जा रहे हैं. इस कड़ी में मंगलवार को ही राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इस संक्रमण में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) का गठन किया गया है. शुरुआत में 24 संदिग्ध मामले पाए गए थे. इतना ही नहीं GBS संदिग्ध मामले में 64 वर्षीय महिला की मौत हो चुकी है.

क्या होते हैं लक्षण

इससे जूझ रहे शख्स को बोलने में, चलने में और निगलने में दिक्कत होती है. यहां तक कि कई मामलों में शख्स को मल त्यागने में भी परेशानी होती है. इस बाबत डॉक्टरों का कहना है कि यह एक संक्रामक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. सामान्य तौर पर यह बीमारी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद होती है. यह टीकाकरण के बाद भी हो सकती है. मरीज अक्सर बुखार, खांसी और नाक बहने के अलावा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण के लक्षणों की शिकायत करते हैं.

पैरालाइज्ड भी हो सकती है मरीज

विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो शरीर के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है. इसकी चपेट में आए मरीज को मांसपेशियों में दर्द और सांस लेने से जुड़ी दिक्कतों का सामना करता है. वहीं, गंभीर मामलों में व्यक्ति पूरी तरह से पैरालाइज़्ड भी हो सकता है. यही वजह है कि लापरवाही बरती जाए तो यह बीमारी खतरनाक हो सकती है. ऐसे में लक्षण दिखने पर सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें. झोलाझाप डॉक्टर के पास तो कतई नहीं जाएं.

नोट करें लक्षण

  • शरीर में झुनझुनी महसूस होना.
  • चलने के दौरान दिक्कत होना.
  • शरीर के कुछ हिस्सों में दर्द होना
  • गंभीर मामलों में पैरालिसिस हो जाना.
  • पैरों में कमजोरी महसूस होना.

3 साल तक लग जाते है ठीक होने में

गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) होने पर पीड़ित की हालत दो सप्ताह के दौरान खराब हो जाती है. फिर 4 हफ्तों के बाद लक्षण कम होने लगते हैं, जिसके बाद रिकवरी शुरू होती है. वैसे रिकवरी में 6 से लेकर 12 महीनों तक का समय भी लग सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, कई मामलों में मरीज को 3 साल भी लग जाते हैं, हालांकि यह कुछ मामलों में ही होती है.

क्या है इलाज

वैसे तो गुलियन बैरे सिंड्रोम का कोई उपचार नहीं हैं. पीड़ित को प्लाज्मा फोरेसिस औऱ हाई इन्युनोग्लोबलिन थेरेपी दी जाती है. इसकी चपेट में आने वाले व्यक्ति को संतुलित और पौष्टिक आहार लेना बहुत जरूरी है. इसके निजात पाने की कड़ी में रोजाना वर्कआउट या मेडिटेशन करना जरूरी है. इसमें वजन नियंत्रित रहना जरूरी है.

पेरू को लगानी पड़ी थी इमरजेंसी

इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जुलाई, 2023 में यह बीमारी फैली तो पेरू की सरकार ने तीन महीने के लिए नेशनल ईमरजेंसी घोषित कर दी थी. वर्ष 2019 में भी पेरू यह समस्या हुई थी, जब campylobacter नाम का एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन तेजी से फैला था. इसे ऑटो इम्यून डिसऑर्डर कहा जाता है.

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About the Author: JP Yadav
जेपी यादव डेढ़ दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। वह प्रिंट और डिजिटल मीडिया, दोनों में समान रूप से पकड़ रखते हैं। अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान, लाइव टाइम्स, ज़ी न्यूज और भारत 24 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवाएं दी हैं। कई बाल कहानियां भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं. मनोरंजन, साहित्य और राजनीति से संबंधित मुद्दों पर कलम अधिक चलती है। टीवी और थिएटर के प्रति गहरी रुचि रखते हुए जेपी यादव ने दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक 'गागर में सागर' और 'जज्बा' में सहायक लेखक के तौर पर योगदान दिया है. इसके अलावा, उन्होंने शॉर्ट फिल्म 'चिराग' में अभिनय भी किया है।
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