समोसा जलेबी सेहत से नहीं करें समझौता

समोसा जलेबी सेहत से नहीं करें समझौता

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, July 15, 2025

Updated On: Wednesday, July 16, 2025

Junk Food vs Health समोसा और जलेबी जैसे स्वादिष्ट पकवानों के साथ भी सेहत का रखें ध्यान, जानें कैसे स्वाद और सेहत में बना सकते हैं संतुलन, इस पोस्ट में।.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों से सिगरेट और तंबाकू की तरह समोसा, वड़ापाव, कचौरी और जलेबी जैसे भारतीय स्नैक्स पर स्वास्थ्य संबंधित चेतावनी दर्ज करने का आग्रह किया है. अगर ऐसा होता है, तो मोटापे के संकट से निपटने में मदद मिलेगी.

Authored By: स्मिता

Updated On: Wednesday, July 16, 2025

Samosa Jalebi Health Risks:  हम भारतीयों की खस्ता समोसा और कुरकुरी जलेबी देखते ही लार टपकने लगती है. इन दोनों को या अन्य स्नैक्स को हम अकसर शाम में गिल्ट फ्री होकर चट कर जाते हैं. नतीजा लटकी हुई तोंद के रूप में सामने आता है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में पांच में से एक वयस्क मोटापे से ग्रस्त है. स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में मोटापे को महामारी बताया था. उन्होंने लोगों से खाना पकाने के तेल का सेवन 10 प्रतिशत तक कम करने का आग्रह भी किया था. मोटापे की समस्या से चिंतित होकर मंत्रालय ने स्नैक्स पर स्वास्थ्य चेतावनी देने का निर्णय लिया है.

मोटापा और नॉन कम्युनिकेबल डिजीज से निपटने का उपाय 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों से भारतीय स्नैक्स पर चेतावनी प्रदर्शित करने का आग्रह किया है. मंत्रालय ने इन खाद्य पदार्थों में तेल और चीनी की मात्रा प्रदर्शित करने को कहा है. मंत्रालय ने मोटापे से लड़ने के लिए सभी आधिकारिक स्टेशनरी जैसे लेटरहेड, लिफाफे, नोटपैड, फ़ोल्डर और अन्य प्रकाशन माध्यमों की मदद से स्वास्थ्य संदेश मुद्रित करने का आह्वान किया है. अगर ऐसा होता है, तो आपको कोई भी स्नैक्स या मिठाई उदरस्थ करने से पहले यह जानकारी मिल जाएगी कि आप इनके माध्यम कितना तेल और चीनी की मात्रा ले चुके हैं. यह स्वास्थ्य चेतावनी सिगरेट की तरह आपके पसंदीदा भारतीय स्नैक्स जैसे समोसा, वड़ापाव, कचौरी और जलेबी पर भी जल्द दिखाई देगी। मोटापे और नॉन कम्युनिकेबल डिजीज से निपटने के लिए स्वस्थ खान-पान और जीवनशैली को बढ़ावा देने के एक प्रयास के रूप में ऐसा किया जा रहा है.

भारत में मोटापा और अधिक वजन है महामारी

पिछले कुछ वर्षों में भारत में मोटापे की दर में तेज़ वृद्धि अब एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय बन गई है. मोटापे के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं. इससे मधुमेह, हृदय रोग, गतिशीलता, जीवन की गुणवत्ता और कुछ कैंसर जैसी नॉन कम्युनिकेबल बीमारियां बढ़ती हैं. जहां 24% भारतीय महिलायें और 23% भारतीय पुरुष अधिक वज़न या मोटापे से ग्रस्त हैं, वहीं 5 वर्ष से कम उम्र के अधिक वज़न वाले बच्चों के प्रतिशत में भी 2.1% से 3.4% तक उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.
सुप्रसिद्ध मेडिकल पत्रिका लैंसेट के हालिया अध्ययन के अनुसार, 2050 तक भारत में लगभग 45 करोड़ वयस्क अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हो जायेंगे.

कितना हानिकारक है समोसा, जलेबी और अन्य स्नैक्स (Harmful Snacks)

मोटापा (Obesity) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. इस विकार को सक्रिय उपायों से ठीक किया जा सकता है. खासकर आहार और जीवनशैली में बदलाव लाकर. न्यूट्रिसनिष्ट डॉ. सीमा चौहान बताती हैं कि समोसा, वड़ापाव, गोलगप्पे, चाट-पकौड़ी जैसे स्नैक्स तेल में तले जाते हैं, जिसके कारण इनमें अन्हेल्दी फैट बहुत अधिक होता है. इन खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट (Trans Fat) की मात्रा भी अधिक होती है. ट्रांस फैट सूजन पैदा कर सकते हैं और धमनियों में प्लाक जमा कर सकते हैं. इससे धमनियों में रुकावट पैदा हो सकती है. वहीँ जलेबी जैसे खाद्य पदार्थों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) बहुत अधिक होता है. ये ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) बढ़ा देते हैं. इन खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन से मोटापा, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है.’

कितनी मददगार होगी ये चेतावनी

इससे आम लोग भोजन के पोषण मूल्य के बारे में जागरूक हो पाएंगे. इन स्नैक्स को खाने के बाद उन्हें पता चल जाएगा कि उन्होंने तेल, नमक और चीनी की कितनी अधिक मात्रा का सेवन कर लिया. इससे वे फ़ूड के हेल्दी विकल्प चुन सकेंगे.

यह कैसे लागू होगा

  • इन्फोर्मेशन देने वाले पोस्टरों में खाद्य पदार्थों में वसा और शर्करा की मात्रा का उल्लेख होगा. शुगर और ट्रांस फैट की मात्रा के बारे में स्पष्ट जानकारी सिगरेट और तंबाकू पर दी जाने वाली स्वास्थ्य चेतावनी लेबल की तरह काम करेगी.
  • स्कूलों, कार्यालयों, सार्वजनिक संस्थानों, स्वायत्त निकायों और अन्य संगठनों में “ऑइल और शुगर बोर्ड” लगाकर रोज़मर्रा के खाद्य पदार्थों में छिपे वसा और शर्करा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी जाएगी. इससे हानिकारक उपभोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिल सकती है. इन खाद्य पदार्थों के बार-बार सेवन से होने वाले दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिमों को रेखांकित करने वाले स्वास्थ्य संदेश भी लागू किए जाएंगे.
  • इस पहल ने संगठनों और संस्थानों से स्वास्थ्यवर्धक भोजन विकल्पों की उपलब्धता को बढ़ावा देने और मीठे पेय पदार्थों और हाई वसा वाले स्नैक्स की पहुंच को सीमित करने का भी आग्रह किया है.यह शारीरिक गतिविधि की भूमिका पर भी प्रकाश डालता है.

यह भी पढ़ें :- Gastric Cancer in India : भारत में पेट के कैंसर का बढ़ा खतरा, WHO Report

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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