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केंद्र सरकार के एक्शन का दिख रहा असर, नक्सलगढ़ नहीं अब विकास का गढ़ बन रहा छत्तीसगढ़
केंद्र सरकार के एक्शन का दिख रहा असर, नक्सलगढ़ नहीं अब विकास का गढ़ बन रहा छत्तीसगढ़
Authored By: सतीश झा
Published On: Wednesday, April 9, 2025
Updated On: Wednesday, April 16, 2025
छत्तीसगढ़ के दक्षिणी सीमावर्ती इलाकों में एक नया इतिहास लिखा जा रहा है. एक समय था जब यह क्षेत्र नक्सलवाद (Naxalism) की चपेट में रहकर डर, हिंसा और अस्थिरता का पर्याय बन गया था, लेकिन आज वही क्षेत्र विकास, उम्मीद और स्थायित्व का प्रतीक बन रहा है. इस परिवर्तन के पीछे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की नक्सलवाद (Naxalism) पर निर्णायक कार्यनीति और राज्य सरकार के साथ मिलकर किए गए समन्वित प्रयासों का प्रत्यक्ष परिणाम देखा जा रहा है.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Wednesday, April 16, 2025
Naxal eradication campaign : केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान (Naxal eradication campaign), बुनियादी ढांचे के निर्माण और सुरक्षा बलों की तैनाती जैसे ठोस कदमों के चलते अब छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में स्थिति तेजी से बदल रही है. विशेषकर बस्तर, सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जैसे जिलों में पिछले डेढ़ साल में विकास और विश्वास का माहौल बन गया है. राज्य सरकार के अनुसार, छत्तीसगढ़ के सात घोर नक्सल प्रभावित जिलों में से छह – कांकेर, बस्तर, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और नारायणपुर बस्तर संभाग में हैं, जबकि मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी दुर्ग संभाग का हिस्सा है. बीते 15 महीनों में राज्य सरकार ने सुरक्षा और विकास की दोहरी रणनीति अपनाकर उल्लेखनीय सफलता हासिल की है.
अमित शाह के निर्देशों पर हो रहा है तीव्र एक्शन
गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की मौजूदगी को मजबूती देने, नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से निगरानी बढ़ाने और स्थानीय लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए डबल एक्शन प्लान तैयार किया था. इसमें एक ओर नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, तो दूसरी ओर जनकल्याणकारी योजनाओं का तीव्र क्रियान्वयन शामिल है.
छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश से 31 मार्च तक नक्सलवाद के खत्म होने का भरोसा
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक अहम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार नक्सलवाद के समूल नाश के लिए पूरी शक्ति और प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि 31 मार्च से पहले छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में नक्सलवाद एक इतिहास बन जाएगा. गृह मंत्री ने कहा कि नक्सलवाद के कारण कई पीढ़ियाँ बर्बाद हो चुकी हैं. आदिवासी अंचलों में भय, विकास की कमी और हिंसा का जो वातावरण दशकों से बना रहा, वह अब समाप्ति की ओर है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नक्सलवाद को अब फिर से जड़ें जमाने का कोई अवसर नहीं मिलना चाहिए, इसलिए इसका समूल नाश अनिवार्य है.
सुरक्षा एजेंसियों में बेहतर समन्वय की आवश्यकता
अमित शाह ने यह भी कहा कि नक्सलियों के खिलाफ चल रही लड़ाई को scattered (बिखरी हुई) नहीं होने देना है. उन्होंने राज्यों और केन्द्रीय एजेंसियों को सतर्क करते हुए कहा कि नक्सली एक राज्य से दूसरे राज्य में पलायन करते हैं, जिससे उन्हें पकड़ने में कठिनाई आती है. इसलिए राज्य पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय और सूचना साझाकरण आवश्यक है. गृह मंत्री ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त रणनीति के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के साथ-साथ विकास की गति भी तेज की गई है. सड़कें, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, रोजगार के अवसर और मूलभूत सुविधाएं इन इलाकों में तेजी से पहुंचाई जा रही हैं, जिससे स्थानीय जनता का विश्वास प्रशासन पर बढ़ा है और नक्सलियों को जनसमर्थन से वंचित होना पड़ा है.
सुरक्षा और विकास साथ-साथ
सरकार ने 46 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए हैं, जिससे 145 गांवों में सुरक्षा का घेरा मजबूत हुआ है. इन गांवों में चल रही ‘नियद नेल्ला नार’ योजना के माध्यम से विशेष शिविरों में योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है. अब तक: 124 गांव सड़क से जुड़ चुके हैं, बाकी पर कार्य प्रगति पर है. स्कूलों की संख्या 122 से बढ़कर 144 हुई है. आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 193 से बढ़कर 202 हो गई है, और बच्चों की पंजी संख्या में 30% वृद्धि हुई है.
वित्तीय प्रबंधन और संरचना विकास
विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत कुल 1302 कार्य योजनाएं स्वीकृत की गईं, जिनमें से 308 पूर्ण हो चुकी हैं और 999 कार्य प्रगति पर हैं.
वित्तीय वर्ष 2024-25 में आवंटित ₹220 करोड़ में से ₹200 करोड़ प्राप्त कर शत-प्रतिशत व्यय कर लिया गया है, जिसका उपयोग बुनियादी ढांचे, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों में किया गया.
केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास
केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ समन्वय में राज्य सरकार ने इन क्षेत्रों में 1302 विकास कार्यों को स्वीकृति दी है, जिनमें से 308 पूरे हो चुके हैं और शेष प्रगति पर हैं. ₹220 करोड़ की राशि में से ₹200 करोड़ खर्च भी हो चुका है, जो इस बात का प्रमाण है कि योजनाएं केवल कागज़ों पर नहीं, ज़मीन पर उतर रही हैं.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की नीति स्पष्ट
छत्तीसगढ़ का वह हिस्सा, जिसे कभी नक्सलगढ़ कहा जाता था, अब विकास का गढ़ बनता जा रहा है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की नीति स्पष्ट है – “जहां कभी बारूद की गंध थी, वहां अब विकास की खुशबू हो.” यह परिवर्तन न सिर्फ आंकड़ों में है, बल्कि जमीनी हकीकत में भी दिखाई दे रहा है – उम्मीद, बदलाव और समर्पण के साथ.
(हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इनपुट के आधार पर)