International Dance Day 2025: जाने 29 अप्रैल को ही क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस और क्या है इसका ऐतिहासिक महत्व?

International Dance Day 2025: जाने 29 अप्रैल को ही क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस और क्या है इसका ऐतिहासिक महत्व?

Authored By: Nishant Singh

Published On: Monday, April 28, 2025

Updated On: Monday, April 28, 2025

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अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस (International Dance Day) हर साल 29 अप्रैल को नृत्य कला के महत्व और इसकी सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. यह दिन नृत्य के माध्यम से रचनात्मकता, भावनाओं और अभिव्यक्ति की शक्ति को पहचानने का अवसर प्रदान करता है. आइए जानें, इस खास दिन का इतिहास क्या है और इसे मनाने के पीछे क्या है खास वजह.

Authored By: Nishant Singh

Updated On: Monday, April 28, 2025

इस लेख में:

नृत्य सिर्फ़ एक कला नहीं, बल्कि एक एहसास है — जो शरीर से निकलकर आत्मा तक को झंझोर देता है. जब कोई इंसान संगीत की लय पर थिरकता है, तो वो सिर्फ़ अपने कदम नहीं बढ़ाता, बल्कि अपने भीतर छिपी भावनाओं को आज़ादी देता है. हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस (International Dance Day), इसी भावनात्मक और सांस्कृतिक यात्रा का उत्सव है. यह दिन दुनिया भर के नृत्य प्रेमियों के लिए एक ऐसा मंच बन गया है, जहाँ वे अपनी कला का जश्न मना सकते हैं और दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक कर सकते हैं.

इस दिवस की शुरुआत सिर्फ़ नृत्य को सम्मान देने के लिए नहीं हुई थी, बल्कि इसका उद्देश्य था लोगों को जोड़ना — चाहे वे किसी भी उम्र, देश, संस्कृति या भाषा से हों. नृत्य हमें सिखाता है कि एक लय में चलना कितना ज़रूरी है — चाहे वो ज़िंदगी की हो या समाज की. आज जब हर कोई भागदौड़ में उलझा है, नृत्य हमें रुककर मुस्कुराने, महसूस करने और खुद से जुड़ने का मौका देता है. यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस सिर्फ़ कलाकारों के लिए नहीं, बल्कि हर इंसान के लिए खास है.

विश्व पुस्तक दिवस कब मनाया जाता है?

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाता है. यह दिन नृत्य की विविधता, उसकी सुंदरता और समाज में उसके योगदान को सम्मान देने का अवसर है. इस दिन दुनिया भर में अलग-अलग नृत्य शैलियों को मंच मिलता है और कलाकार अपनी कला का उत्सव मनाते हैं. यह सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि भावनाओं और संस्कृतियों को जोड़ने वाला एक माध्यम है.

इस दिवस की शुरुआत वर्ष 1982 में ‘इंटरनेशनल डांस काउंसिल’ (CID) द्वारा की गई थी, जो कि यूनेस्को से संबद्ध एक वैश्विक संगठन है. 29 अप्रैल को इसलिए चुना गया क्योंकि यह आधुनिक बैले के जनक माने जाने वाले प्रसिद्ध कलाकार Jean-Georges Noverre का जन्मदिन है.

इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है लोगों को नृत्य के महत्व के प्रति जागरूक करना और इसे एक सशक्त अभिव्यक्ति के रूप में पहचान दिलाना. नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास में भी सहायक है.

यह दिन खासतौर पर नृत्य प्रेमियों, कलाकारों और शिक्षकों के लिए समर्पित है. यह उन्हें अपनी कला को साझा करने, प्रेरणा लेने और दूसरों से सीखने का मौका देता है. साथ ही यह संदेश भी देता है कि नृत्य एक सार्वभौमिक भाषा है, जो सभी सीमाओं से परे है.

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का इतिहास: जब नृत्य ने दुनिया को जोड़ने की ठानी

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अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत वर्ष 1982 में की गई थी, और इसका श्रेय जाता है इंटरनेशनल डांस काउंसिल (CID) को, जो कि यूनेस्को से जुड़ा एक अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठन है. इस दिवस को शुरू करने का मकसद था—नृत्य को एक वैश्विक मंच देना और इसे सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सम्मानित करना. 

इस तारीख का चयन यूं ही नहीं हुआ. 29 अप्रैल को महान बैले नर्तक और कोरियोग्राफर Jean-Georges Noverre का जन्मदिन होता है. उन्हें आधुनिक बैले का जनक कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने नृत्य को सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि भावों की अभिव्यक्ति और कहानी कहने का माध्यम बना दिया. उन्होंने मंच पर नृत्य को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया और कलाकारों को स्वतंत्रता दी कि वे नृत्य के ज़रिए खुद को ज़्यादा सशक्त ढंग से पेश करें. यह नृत्य को एक “विश्व भाषा” के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम था.

नृत्य का उत्सव: कब और कैसे मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस हर साल 29 अप्रैल को दुनिया भर में उत्साह और रंगों के साथ मनाया जाता है. यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि नृत्य के ज़रिए दिलों को जोड़ने और कला को सम्मान देने का अवसर है. इस दिन खासतौर पर डांस परफॉर्मेंस, वर्कशॉप्स, फ्री क्लासेस, सेमिनार्स और ऑनलाइन इवेंट्स का आयोजन किया जाता है, जिनमें हर उम्र और हर स्तर के कलाकार भाग लेते हैं.

थिएटर, स्कूल, नृत्य अकादमियाँ और सांस्कृतिक संस्थान पारंपरिक से लेकर समकालीन नृत्यों की प्रस्तुतियों से इस दिन को जीवंत बना देते हैं. वहीं डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाइव डांस शो, इंस्टाग्राम चैलेंज, ऑनलाइन डांस बैटल्स और ग्लोबल डांस मैराथन जैसे अनोखे कार्यक्रमों का आयोजन भी देखने को मिलता है.

कई जगहों पर यह दिन सामाजिक जागरूकता के लिए भी उपयोग किया जाता है, जहाँ नृत्य के ज़रिए सामाजिक संदेश दिए जाते हैं – जैसे पर्यावरण संरक्षण, लैंगिक समानता या मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता फैलाना.

नृत्य का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

नृत्य केवल कला का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज और संस्कृति का आईना भी है. हर संस्कृति का अपना अलग नृत्य रूप होता है, जो उसकी परंपराओं, भावनाओं और जीवनशैली को दर्शाता है. लोक नृत्य हों या शास्त्रीय, ये पीढ़ियों से चली आ रही कहानियों को ज़िंदा रखते हैं. वहीं, आज के दौर में नृत्य सामाजिक बदलाव और जागरूकता फैलाने का भी एक सशक्त माध्यम बन गया है.

  • नृत्य विभिन्न संस्कृतियों की पहचान और विरासत को दर्शाता है.
  • सामाजिक मुद्दों जैसे पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण और मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता फैलाने में मददगार.
  • समूह में नृत्य करना सामूहिकता, एकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है.
  • नियमित नृत्य शारीरिक फिटनेस, लचीलापन और मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है.
  • यह तनाव कम करने, आत्मविश्वास बढ़ाने और रचनात्मकता निखारने में भी लाभदायक है.

नृत्य न केवल मंच की शोभा है, बल्कि यह आत्मा की अभिव्यक्ति और समाज से संवाद का सशक्त जरिया भी है.

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भारत में नृत्य की समृद्ध परंपरा: संस्कृति से आधुनिकता तक का सफर

भारत में नृत्य केवल कला नहीं, बल्कि जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है. यहाँ नृत्य की परंपरा सदियों पुरानी है, जो विविधता, रंग और भावनाओं से भरपूर है. भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियाँ जैसे भरतनाट्यम (तमिलनाडु), कथक (उत्तर भारत), ओडिसी (ओडिशा), कुचिपुड़ी, मोहिनीअट्टम, मणिपुरी और कथकली – न केवल सौंदर्य और भाव-भंगिमा का प्रदर्शन करती हैं, बल्कि धार्मिक और दार्शनिक विचारों को भी अभिव्यक्त करती हैं.

भारत का लोकनृत्य भी उतना ही जीवंत और विविध है. भांगड़ा (पंजाब), गरबा (गुजरात), घुमर (राजस्थान), लावणी (महाराष्ट्र) और बिहू (असम) जैसे नृत्य जीवन के त्योहारों, ऋतुओं और लोककथाओं को जीवंत करते हैं. वहीं, आज की युवा पीढ़ी बॉलीवुड डांस, हिप-हॉप, कंटेम्परेरी, और फ्यूज़न स्टाइल्स के ज़रिए नृत्य को एक नया रूप दे रही है. यह परंपरा और आधुनिकता का मेल है, जो भारत की सांस्कृतिक गहराई और रचनात्मक ऊर्जा को दर्शाता है.

  • भारत के शास्त्रीय नृत्य भाव, संगीत और आध्यात्मिकता से भरे होते हैं.
  • लोकनृत्य गांव-गांव की संस्कृति को जीवंत करते हैं.
  • आधुनिक डांस फॉर्म्स युवाओं को आत्म-अभिव्यक्ति का नया मंच देते हैं.
  • नृत्य भारत की विविधता और एकता दोनों का प्रतीक है.

प्रसिद्ध नृत्य कलाकार और उनकी भूमिका

नृत्य की दुनिया में कई ऐसे महान कलाकार हुए हैं जिन्होंने अपनी कला से न केवल अपने देश बल्कि पूरी दुनिया में नृत्य की पहचान बनाई. इन कलाकारों ने नृत्य को सिर्फ एक कला के रूप में नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन के रूप में भी स्थापित किया. उनके योगदान ने नृत्य को एक नई दिशा दी और आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं.

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भारत के प्रमुख नृत्य कलाकार:

  • पंडित बिरजू महाराज (कथक):
    ➤ पंडित बिरजू महाराज ने कथक नृत्य को एक नई पहचान दी और इसे विश्व स्तर पर प्रसिद्ध किया.
    ➤ उन्होंने कथक नृत्य के भाव और अभिनय को जोड़कर उसे एक नया रूप दिया और फिल्म इंडस्ट्री में भी नृत्य निर्देशन किया.
    ➤ उनकी प्रेरणादायक कहानी यह है कि उन्होंने कठिनाईयों के बावजूद नृत्य में अपनी पहचान बनाई और नृत्य को अपनी ज़िंदगी बना लिया.
  • पद्मा सुब्रह्मण्यम (भरतनाट्यम):
    ➤ डॉ. पद्मा ने भरतनाट्यम नृत्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश किया और इसे शास्त्रीय नृत्य रूप में नई ऊँचाइयाँ दीं.
    ➤ उनका योगदान न केवल नृत्य में, बल्कि भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी अहम है.
    ➤ उनकी यात्रा एक प्रेरणा है कि कैसे कला को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई जा सकती है.
  • मल्लिका साराभाई (कुचिपुड़ी, भरतनाट्यम):
    ➤ मल्लिका साराभाई ने नृत्य को सामाजिक संदेश देने का एक प्रभावी माध्यम बनाया.
    ➤ उन्होंने महिलाओं के अधिकार और सामाजिक मुद्दों पर नृत्य के ज़रिए जागरूकता फैलायी.
    ➤ उनकी जीवन कहानी यह बताती है कि कला का सही उपयोग सामाजिक बदलाव ला सकता है.
  • उदय शंकर (आधुनिक भारतीय नृत्य):
    ➤ उन्होंने भारतीय नृत्य को पश्चिमी शैली के साथ मिलाकर एक नई कला शैली विकसित की.
    ➤ उदय शंकर ने नृत्य को एक वैश्विक पहचान दी और भारतीय नृत्य को दुनिया के कोने-कोने में पहुँचाया.

विश्व के प्रसिद्ध नर्तक:

  • Mikhail Baryshnikov (रूस):
    ➤ माइकल बैरीश्निकोव को बैले के सर्वश्रेष्ठ नर्तक में से एक माना जाता है.
    ➤ उनकी जीवन यात्रा यह बताती है कि कठिनाईयों के बावजूद अपने सपनों का पीछा करना चाहिए, और उनकी कला आज भी प्रेरणा का स्रोत है.
  • Martha Graham (अमेरिका):
    ➤ मार्था ग्राहम को आधुनिक नृत्य की जननी माना जाता है.
    ➤ उनका मानना था कि नृत्य सिर्फ शरीर का नहीं, बल्कि आत्मा का भी प्रदर्शन है.
    ➤ उन्होंने नृत्य को भावनाओं और मानसिकता की गहराई से जोड़ा.
  • Shakira (कोलंबिया):
    ➤ शकीरा ने लेटिन डांस को एक वैश्विक पहचान दिलाई.
    ➤ उनका नृत्य और संगीत आज के युवाओं के बीच लोकप्रियता का एक बड़ा कारण है.
    ➤ उनका जीवन यह दिखाता है कि किस तरह से कला को एक माध्यम बनाकर वैश्विक मंच पर पहुंचा जा सकता है.

ये कलाकार न केवल अपनी कला में दक्ष हैं, बल्कि उनके जीवन की कहानियाँ और संघर्ष हमें यह सिखाते हैं कि किसी भी कला को अपना जुनून बनाकर किसी भी कठिनाई से पार पाया जा सकता है.

नृत्य और युवा पीढ़ी: एक नई पहचान

आजकल की युवा पीढ़ी नृत्य को केवल एक कला या शौक के रूप में नहीं, बल्कि खुद को व्यक्त करने का एक प्रमुख माध्यम मानती है. नृत्य उनके लिए न केवल मनोरंजन का जरिया है, बल्कि यह एक ऐसी भाषा बन चुका है, जिसके माध्यम से वे अपनी भावनाओं, विचारों और अपनी पहचान को दुनिया के सामने रखते हैं.

युवाओं का नृत्य से जुड़ाव अब सिर्फ नृत्य कक्षाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स जैसे Instagram, YouTube आदि पर नृत्य ट्रेंड्स का जमकर पालन किया जाता है. यहाँ युवा अपनी क्रिएटिविटी को प्रदर्शित करते हैं, नए-नए डांस चैलेंजेज़ को अंजाम देते हैं और अपनी पहचान बनाते हैं.

नृत्य और करियर: नृत्य ने अब करियर के रूप में भी एक मजबूत स्थान बना लिया है. युवा नृत्य को अपने करियर के रूप में देख रहे हैं, न केवल पेशेवर डांसर के तौर पर, बल्कि नृत्य कोच, कोरियोग्राफर, डांस ट्रेनर, और डांस वीडियो निर्माता के रूप में भी. फिल्मों, टीवी शोज, और लाइव परफॉर्मेंस के जरिए डांस अब एक पेशेवर करियर बन चुका है.

  • भावनाओं का अभिव्यक्तिकरण: नृत्य युवाओं को अपने अंदर की भावनाओं और विचारों को दुनिया के सामने रखने का मंच देता है.
  • सोशल मीडिया पर ट्रेंड्स: इंस्टाग्राम, टिकटॉक और यूट्यूब पर डांस ट्रेंड्स और चैलेंजेज़ युवाओं को एकजुट करते हैं और नए नृत्य रूपों को जन्म देते हैं.
  • नृत्य करियर के अवसर: डांस को अब पेशेवर करियर के रूप में अपनाया जा रहा है. नृत्य कोच, कोरियोग्राफर और डांस वीडियो निर्माता के रूप में युवाओं के लिए अवसर बढ़ रहे हैं.
  • नृत्य के माध्यम से आत्मविश्वास: नृत्य युवाओं में आत्मविश्वास, रचनात्मकता और अनुशासन विकसित करने का एक बेहतरीन तरीका है.

नृत्य आज के युवाओं के लिए केवल एक कला नहीं, बल्कि उनके जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है, जो उन्हें अपनी पहचान बनाने और आत्म-अभिव्यक्ति के लिए स्वतंत्रता देता है.

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स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में नृत्य का महत्व

नृत्य सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के समग्र विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है. शिक्षा में नृत्य को शामिल करने से बच्चों में रचनात्मकता, आत्मविश्वास और अनुशासन को बढ़ावा मिलता है. नृत्य से विद्यार्थियों को शारीरिक व्यायाम, लचीलापन और समन्वय में मदद मिलती है, जो उनकी मानसिक और शारीरिक विकास में सहायक होता है.

नृत्य विद्यार्थियों को समर्पण, एकाग्रता और टीमवर्क जैसे गुण सिखाता है. जब बच्चे नृत्य करते हैं, तो उन्हें विभिन्न शैलियों के माध्यम से अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का अवसर मिलता है, जिससे उनकी संप्रेषण क्षमता मजबूत होती है.

पाठ्यक्रम में नृत्य को शामिल करने की ज़रूरत है, क्योंकि यह बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को संतुलित करता है और उन्हें जीवन के अन्य पहलुओं में भी सफलता पाने के लिए तैयार करता है. नृत्य, शिक्षा को और अधिक आकर्षक और प्रभावशाली बना सकता है.

 नृत्य दिवस का महत्त्व क्यों बना रहना चाहिए

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का महत्त्व इसलिए बना रहना चाहिए क्योंकि यह नृत्य के माध्यम से समाज को जोड़ने और कला की पहचान को बढ़ावा देने का एक अवसर है. यह दिन नृत्य को सिर्फ एक मनोरंजन के रूप में नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दिलाता है. नृत्य दिवस हमें यह याद दिलाता है कि नृत्य हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है, जो मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और सामाजिक एकता का प्रतीक है.

कैसे हम अपनी संस्कृति को नृत्य के ज़रिए संजो सकते हैं

हम अपनी संस्कृति को नृत्य के ज़रिए संजो सकते हैं क्योंकि नृत्य हमारी परंपराओं, कहानियों और मान्यताओं को जीवित रखता है. भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियाँ जैसे भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी आदि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रूप में प्रस्तुत करती हैं. इन्हें न केवल संरक्षित करना, बल्कि आगे आने वाली पीढ़ियों को सिखाना और प्रदर्शन करना ज़रूरी है.

नृत्य को जीवन का हिस्सा बनाने का संदेश

नृत्य को जीवन का हिस्सा बनाना हमें खुद को व्यक्त करने और अपनी भावनाओं को साझा करने का एक नया तरीका देता है. यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद है. नृत्य से जुड़ने से हम अपनी संस्कृति को सम्मान देते हैं और साथ ही, समाज में एकता, सौहार्द्र और रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं. नृत्य के ज़रिए हम जीवन को और अधिक रंगीन और अर्थपूर्ण बना सकते हैं.

FAQ

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाता है. यह दिन नृत्य की कला और उसके समाज में योगदान को सम्मानित करने के लिए निर्धारित किया गया है.

इसका मुख्य उद्देश्य नृत्य को एक वैश्विक भाषा के रूप में पहचान दिलाना, नृत्य के प्रति जागरूकता फैलाना, और नृत्य को कला, अभिव्यक्ति, और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के रूप में प्रस्तुत करना है. यह दिन उन सभी के लिए खास है जो नृत्य से जुड़े हैं, चाहे वे पेशेवर कलाकार हों, शौकिया नृत्य प्रेमी हों या फिर शिक्षक जो इस कला को अगली पीढ़ियों तक पहुँचाते हैं.

नृत्य समाज में एकता, सौहार्द्र और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देता है. यह विभिन्न संस्कृतियों, भावनाओं और विचारों को जोड़ने का माध्यम है. नृत्य के माध्यम से हम सामाजिक मुद्दों पर भी जागरूकता फैला सकते हैं.

हां, नृत्य आज के समय में एक शानदार करियर विकल्प बन चुका है. नृत्य कोच, कोरियोग्राफर, डांस ट्रेनर, और लाइव परफॉर्मेंस जैसी विभिन्न संभावनाओं के साथ नृत्य को पेशेवर रूप में अपनाया जा सकता है. नृत्य को शिक्षा में शामिल करने से विद्यार्थियों में रचनात्मकता, अनुशासन और आत्मविश्वास बढ़ता है. यह शारीरिक और मानसिक विकास को भी समर्थन देता है और बच्चों को अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है.

युवा पीढ़ी नृत्य को अपनी भावनाओं और व्यक्तित्व को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम मानती है. सोशल मीडिया और विभिन्न डांस ट्रेंड्स ने युवाओं को नृत्य के प्रति और भी आकर्षित किया है और उन्हें आत्म-expressions का एक नया तरीका दिया है.

About the Author: Nishant Singh
निशांत कुमार सिंह एक पैसनेट कंटेंट राइटर और डिजिटल मार्केटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता और जनसंचार का गहरा अनुभव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए आकर्षक आर्टिकल लिखने और कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने में माहिर, निशांत हर लेख में क्रिएटिविटीऔर स्ट्रेटेजी लाते हैं। उनकी विशेषज्ञता SEO-फ्रेंडली और प्रभावशाली कंटेंट बनाने में है, जो दर्शकों से जुड़ता है।
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