मंत्री विजय शाह को लगा सुप्रीम कोर्ट से झटका, SIT लेगी पूरी खोज खबर
मंत्री विजय शाह को लगा सुप्रीम कोर्ट से झटका, SIT लेगी पूरी खोज खबर
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, May 19, 2025
Updated On: Tuesday, May 20, 2025
मध्य प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री विजय शाह (Vijay Shah) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने उनके खिलाफ लगे गंभीर आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने के निर्देश दिए हैं. अब यह SIT पूरे मामले की गहराई से जांच करेगी और सच्चाई सामने लाएगी.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Tuesday, May 20, 2025
Vijay Shah controversial remark: भारतीय सेना की अधिकारी सोफिया कुरैशी पर विवादास्पद टिप्पणी को लेकर शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह (Vijay Shah) को फिर से फटकार लगाई है. माफ़ी को खारिज करते हुए एसआईटी (SIT) जांच के आदेश दिए हैं.
यह माफ़ी है या मगरमच्छ के आंसू?
भारतीय सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह को सोमवार को कड़ी फटकार लगाई. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “माफ़ी का कोई मतलब होता है! कभी-कभी लोग कार्रवाई से बचने के लिए विनम्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं और कभी-कभी वे मगरमच्छ के आंसू बहाते हैं! आपकी माफ़ी किस तरह की है?”
क्या है पूरा मामला?
भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के संदर्भ में विजय शाह (Vijay Shah) ने एक जनसभा में सेना की अधिकारी सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक और अमर्यादित टिप्पणी की थी. इस टिप्पणी को लेकर देशभर में विरोध हुआ और अदालत में याचिका दायर की गई. विजय शाह ने कोर्ट में माफ़ी मांगी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे “असत्य और औपचारिक” बताते हुए खारिज कर दिया.
अब एसआईटी करेगी जांच
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गहन और निष्पक्ष जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित करने का आदेश दिया है. SIT में तीन आईपीएस अधिकारी होंगे – एक आईजी रैंक और दो एसपी रैंक के. इन तीन अधिकारियों में से एक महिला अधिकारी का होना अनिवार्य है. सभी अधिकारी मध्य प्रदेश कैडर से हो सकते हैं, लेकिन वे राज्य के मूल निवासी नहीं होने चाहिए.
28 मई तक रिपोर्ट देगी SIT
कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यह SIT 28 मई 2025 तक अपनी स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करे। जांच के दायरे में विजय शाह की टिप्पणी के अलावा संबंधित परिस्थितियों, भाषण के वीडियो फुटेज, सोशल मीडिया पर प्रसार और राजनीतिक संदर्भों को भी शामिल किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट का रुख यह साफ कर रहा है कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के शब्दों का वजन होता है और अगर वे सीमा लांघते हैं तो कानून उन्हें बख्शेगा नहीं. अब सबकी निगाहें SIT की जांच और अदालत की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं. सवाल यही है – क्या विजय शाह को अपने शब्दों की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी?
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