Air Pollution : काठमांडू बन गया है विश्व का सबसे अधिक प्रदूषित शहर, पड़ रहे हैं लोग बहुत अधिक बीमार

Air Pollution : काठमांडू बन गया है विश्व का सबसे अधिक प्रदूषित शहर, पड़ रहे हैं लोग बहुत अधिक बीमार

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, April 4, 2025

Updated On: Friday, April 4, 2025

काठमांडू में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, धुंध से घिरा शहर और खांसता व्यक्ति।
काठमांडू में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, धुंध से घिरा शहर और खांसता व्यक्ति।

Air Pollution : अब तक दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहर माना जाता रहा है. पिछले कुछ दिनों से नेपाल की राजधानी काठमांडू विश्व का सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है. इसके कारण लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं

Authored By: स्मिता

Updated On: Friday, April 4, 2025

Air Pollution : नेपाल की राजधानी काठमांडू पिछले कुछ दिनों से विश्व का सबसे अधिक प्रदूषित शहर बना हुआ है. अत्यधिक प्रदूषण के कारण आम लोग बहुत अधिक बीमार पड़ रहे हैं. उनकी आंखों में जलन, सीने में दर्द, दम घुटने जैसी बीमारियां बहुत अधिक हो रही हैं. सरकार ने लोगों से अनावश्यक घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह (Air Pollution) दी है.

शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 268 (AQI 268)

काठमांडू में दिनभर धुंध के कारण लोगों को धूप नहीं मिल रही है. इस समय राजधानी के अस्पतालों में लोग अपनी आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई तथा दम घुटने जैसी शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. यहां के पर्यावरण विभाग के अनुसार, काठमांडू का वायु प्रदूषण अस्वास्थ्यकर स्तर पर पहुंच गया है, जिससे यह दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बन गया है। आईक्यू एयर (IQAir) के आंकड़ों से पता चलता है कि शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 268 पर पहुंच गया है. यह151-200 की अस्वास्थ्यकर सीमा को पार कर गया और 300 से ऊपर खतरनाक स्तर के करीब है.

श्वसन संबंधी समस्याएं और वायरल संक्रमण (Respiratory problems and viral infections)

काठमांडू के अस्पतालों में आंखों में जलन, गले में खराश, लगातार खांसी और श्वसन संकट से पीड़ित रोगियों में तेज वृद्धि हुई है. पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राजू पंगेनी ने बताया, ‘हाल के दिनों में उन्होंने जिन रोगियों का इलाज किया है, उनमें से आधे से अधिक वायु प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं विकसित हुई हैं. कई रोगी लंबे समय तक खांसी करते नजर आए तो कई वायरल संक्रमण से ग्रसित हैं.

निमोनिया की समस्या सबसे अधिक (Pneumonia problem)

अस्पतालों के आपातकालीन कक्ष और आईसीयू में इतने अधिक रोगी दिखाई दे रहे हैं, जिससे ऑक्सीजन की कमी हो गई है. निमोनिया और गंभीर श्वसन संकट वाले रोगियों की संख्या अस्पताल की क्षमता से अधिक हो गई है. अस्पतालों में मरीजों की संख्या अधिक होने से वेंटिलेटर की भी कमी महसूस की जा रही है. इस वायु प्रदूषण के सबसे अधिक शिकार बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं हो रही हैं.

जंगल की आग बन रहे हैं कारण (Forest fires)

वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ बिगड़ते प्रदूषण को जंगल की आग, वाहनों के उत्सर्जन और औद्योगिक प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराते हैं. वाइल्डफायर विशेषज्ञ सुंदर प्रसाद शर्मा के अनुसार, वर्तमान प्रदूषण का 80% जंगल की आग से उपजा है. वर्तमान में नेपाल में 300 से अधिक जंगल की आग जल रही है. इनमें परसा, चितवन, मकवानपुर, सिंधुली और उदयपुर जिलों के जंगलों में पिछले कई दिनों से लगातार आगलगी के कारण काठमांडू में फैले वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है.

वाहनों से निकलने वाला धुंआ है दूसरा कारण (Smoke coming out from vehicles)

इसके अतिरिक्त, स्थिर वायुमंडलीय परिस्थितियों ने घाटी में धूल और वाहनों से निकलने वाले धुंआ को प्रदूषण बढ़ने का कारक बताया है. पर्यावरण निरीक्षक गोविंद लामिछाने ने कहा कि काठमांडू में जब तक बारिश नहीं हो जाती तब तक प्रदूषण का यह असर जारी रहेगा।

अनावश्यक घरों से नहीं निकलने की सलाह (not to leave homes unnecessarily)

नेपाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग की महानिदेशक डॉ संगीता मिश्रा ने कहा है कि लोगों को अनावश्यक घरों से नहीं निकलने की सलाह दी जाती है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात की सिफारिश की गई है कि जब तक वायु प्रदूषण का असर कम नहीं होता तब तक राजधानी के सारे विद्यालयों को बंद कर दिया जाए. साथ ही हफ्ते में दो दिनों का अवकाश देने और वाहनों को odd-even प्रणाली में चलाने की सिफारिश की गई है.

क्या है भारत में स्थिति (Air Pollution status in India)

भारत का वायु प्रदूषण कई जटिल कारकों से उत्पन्न होता है, जिनमें औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों का आवागमन, जीवाश्म ईंधनों का जलना, तथा फसलों के अवशेषों को जलाना जैसी कृषि पद्धतियां शामिल हैं. तीव्र शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण यह समस्या और भी गंभीर हो गई है. वर्तमान समय में गुरुग्राम में एक्यूआई 186, तो भारत में 170 है. यह151-200 की अस्वास्थ्यकर सीमा से ऊपर है.

हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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