MHA ने गैजेट नोटिफिकेशन किया जारी, क्या 2027 की जनगणना का असर पड़ेगा बिहार विधानसभा चुनाव पर?

MHA ने गैजेट नोटिफिकेशन किया जारी, क्या 2027 की जनगणना का असर पड़ेगा बिहार विधानसभा चुनाव पर?

Authored By: सतीश झा

Published On: Monday, June 16, 2025

Last Updated On: Monday, June 16, 2025

क्या 2027 की जनगणना बदलेगी बिहार चुनाव का समीकरण?
क्या 2027 की जनगणना बदलेगी बिहार चुनाव का समीकरण?

MHA Gazette Notification 2025: भारत सरकार के गृह मंत्रालय (MHA) ने वर्ष 2027 में जनगणना (Census) कराने को लेकर औपचारिक अधिसूचना (गैजेट नोटिफिकेशन) जारी कर दी है. इस घोषणा के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि देश की अगली जनगणना अब 2027 में ही होगी. यानी 2021 में प्रस्तावित जनगणना पहले कोविड-19 के कारण टली. इस निर्णय ने एक बार फिर से राजनीतिक हलचलों को तेज कर दिया है. खासकर बिहार (Bihar) जैसे राज्य में, जहां जातीय जनसंख्या और सामाजिक न्याय की राजनीति गहराई से जुड़ी हुई है.

Authored By: सतीश झा

Last Updated On: Monday, June 16, 2025

MHA Gazette Notification 2025: भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा है कि देश की अगली जनगणना (Census) वर्ष 2027 में कराई जाएगी. इसके लिए राजपत्र अधिसूचना भी जारी कर दी गई है, जिससे यह औपचारिक रूप से स्पष्ट हो गया है कि लंबे समय से टलती आ रही जनगणना प्रक्रिया अब कुछ वर्षों में पूरी की जाएगी. लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा राजनीतिक प्रश्न उठ खड़ा हुआ है—क्या इस विलंबित जनगणना का असर 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) पर पड़ेगा?

जनगणना और सामाजिक न्याय

बिहार जैसे राज्य में, जहां जातीय और सामाजिक संरचना चुनावी राजनीति की रीढ़ है, वहां जनगणना केवल आंकड़ों का मामला नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, आरक्षण, और सत्ता संतुलन का आधार बनती है. 2021 में होने वाली जनगणना कोविड-19 के कारण टल गई थी. तब से जातिगत जनगणना की मांग लगातार जोर पकड़ती रही है. हाल ही में बिहार सरकार ने खुद की जातिगत गणना कराई और इसके आधार पर सामाजिक न्याय की नई परिभाषा गढ़ने की कोशिश की. लेकिन केंद्र सरकार की जनगणना में जाति आधारित आंकड़े शामिल होंगे या नहीं, इस पर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है.

2025 का चुनाव और जनगणना की राजनीति

बिहार विधानसभा का अगला चुनाव 2025 में होने वाला है. उससे पहले यदि केंद्र सरकार जनगणना नहीं कराती है (और 2027 तक इसे स्थगित रखती है), तो यह विपक्षी दलों खासकर तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा देगा. वे इसे सामाजिक न्याय की अनदेखी और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की उपेक्षा के रूप में प्रचारित कर सकते हैं.

भाजपा की रणनीति पर असर

भाजपा (BJP) और एनडीए (NDA) के लिए यह फैसला दोधारी तलवार की तरह है. एक ओर, केंद्र सरकार की स्थिरता और निर्णय क्षमता का उदाहरण दिया जाएगा, वहीं दूसरी ओर, विपक्ष इसे जानबूझकर सामाजिक आंकड़ों को दबाने की चाल बताएगा. खासकर बिहार जैसे राज्य में, जहां आरक्षण, जातिगत समीकरण और वर्गीय समीकरण बहुत प्रभावी हैं, वहां यह मुद्दा आसानी से राजनीतिक ध्रुवीकरण का कारण बन सकता है. 2027 में जनगणना कराना एक प्रशासनिक निर्णय है, लेकिन इसका असर केवल कागज़ों तक सीमित नहीं रहेगा. बिहार जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में, यह फैसला सीधे-सीधे चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है.

अगर केंद्र सरकार इस अंतराल को भरने के लिए कोई ठोस सामाजिक या आर्थिक सर्वे नहीं कराती, तो 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में जनगणना की गैर-मौजूदगी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकती है — और यह तय करेगा कि ‘जनगणना’ सिर्फ एक शब्द है, या जनता के मन की गणना भी उससे जुड़ी हुई है.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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